जटिल हालात में हुई बच्ची की मौत, कोर्ट ने निरस्त की डॉक्टर के खिलाफ दर्ज FIR, जानें पूरा मामला

Jabalpur News: बच्ची की मां जबलपुर में एफएसएल अफसर होने के बावजूद बिना पोस्टमार्टम के ही शव को ले गई थी और बच्ची की मौत के 10 दिन बाद लापरवाही का आरोप लगाकर एफआईआर करवा दी थी.

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कोर्ट ने एफआईआर को किया निरस्त

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने एक डॉक्टर के ऊपर दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है. डॉ राजीव जैन शिशु रोग विशेषज्ञ हैं. उनके ऊपर 5 नवंबर 2021 को एक एफआईआर दर्ज हुई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है. बताया जा रहा है कि यह एफआईआर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से मिलीभगत के बाद दर्ज की गई थी.

जटिल परिस्थितियों में हो गई थी बच्ची की मौत

दरअसल एक बच्ची खुशी तिवारी को कोविड-19 जैसे लक्षण थे. वह 13 साल से कई रोगों का इलाज करवा रही थी. बच्ची पहले से ही मानसिक रूप से कमजोर थी. वह जन्म से ही कंजेटियल रूबेला सिंड्रोम और दिल में छेद की बीमारी, आंशिक अंधेपन और फेफड़ों के इन्फेक्शन से ग्रसित थी, जिसकी 13 साल पहले 2008 में डॉक्टर राजीव जैन ने जान बचाई थी.

इसी बच्ची को कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान अति गंभीर अवस्था मे स्टार अस्पताल में भर्ती किया गया था. बच्ची की हालत बड़ी जटिल थी. ऐसी स्थिति में इलाज के दौरान खुशी तिवारी के माता-पिता ने अस्पताल स्टाफ के मना करने के बावजूद बच्ची को पानी पिला दिया था, जिससे बच्ची की हालत बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई थी.

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दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद दिया फैसला

खुशी की मां जबलपुर में एफएसएल अफसर होने के बावजूद बिना पोस्टमार्टम के ही शव को ले गई थी और बच्ची की मौत के 10 दिन बाद लापरवाही का आरोप लगाकर एफआईआर करवा दी थी. मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी जबलपुर ने जो जांच की थी उसमें कहा गया था कि जो इलाज किया गया है वह सही है. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने इस पूरे मामले पर दोनों पक्ष की दलीलें सुनने के बाद निर्णय लिया कि इस तरह का कोई आरोप डॉक्टर राजीव जैन पर नहीं बनता है. 

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