
Corruption in Madhya Pradesh: "एमपी अजब है, सबसे गजब है" यह स्लोगन यी तो टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया था, लेकिन यह स्लोगन अब एमपी में हो रहे भ्रष्टाचार पर सबसे सटीक बैठता है. दरअसल, एमपी (MP) में आए दिन नए-नए घोटाले सामने आ रहे हैं, जो न सिर्फ चौंकाने वाले है, बल्कि ये सरकारी खजाने में चूना भी लगा रहे हैं.
सिंगरौली जिला में शिक्षा विभाग का कारनामा
दरअसल, जिन कीटनाशक दवाओं का बाजार भाव एक से दो हजार प्रति बॉक्स है, शिक्षा विभाग ने उसे 15 हजार 980 रुपये में खरीदी है. इसी तरह एक स्प्रे बॉटल जिसकी बाजार कीमत करीब 150 से 300 रुपये तक है, उसकी खरीदी 1525 रुपये में की गई है. यह सब खेल सिंगरौली जिला शिक्षा विभाग की ओर से खेला गया है. DMF मद से शिक्षा विभाग ने कीटनाशक दवाओं व स्प्रे बॉटल खरीदने के लिए करोड़ों रुपये की राशि स्वीकृत कर दी गई. हालांकि, शिक्षा अधिकारी एसबी सिंह का कहना है कि सब कुछ नियमानुसार हुआ है.
जेम पोर्टल पर मिले बिलों से हुआ खुलासा
शिक्षा विभाग में हुए इस घोटाले का खुलासा जेम पोर्टल पर मिले बिलों से हुआ है, जिस बिल में साफ तौर पर हैंड स्प्रे 1525 रुपये की और Disinfection टैबलेट की 15980 रुपये फीड की गई है. इससे साफ जाहिर हो रहा है कि जो हैंड स्प्रे और Disinfection टैबलेट मार्केट में कम दामों में खरीदा जा सकता था, उसे महंगे दामों पर खरीदा गया. अब आरोप लग रहे हैं कि ठेकेदार और फर्म को फायदा पहुंचाने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से टेंडर जारी किया गया और महंगे दामों पर खरीदी की गई है.
पहली बार हुई कीटनाशक दवाओं की खरीदी
सिंगरौली जिले शिक्षा विभाग की ओर से सरकारी स्कूलों में कीटनाशक दवाओं और स्प्रे की भारी मात्रा में जेम से खरीदी की गई, जिसकी कुल लागत 97.67 लाख रुपये है. बताया जा रहा है कि इस तरह की कीटनाशक दवाओं और स्प्रे की खरीदी शिक्षा विभाग में पहली बार हुआ है. ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि आखिर इस खरीदी की वजह क्या है? वहीं, दूसरा सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि करीब एक करोड़ रुपये की राशि खर्च करके जिन कीटनाशक दवाओं व स्प्रे की खरीदी की गई है, उसका उपयोग विभाग कहां करेगा? अगर इसका उपयोग स्कूलों में किया जाएगा, तो जिले के ज्यादातर स्कूलों में फिलहाल शौचालय की व्यवस्था इस स्तर की नहीं है कि उसके लिए कीटनाशक दवाओं का उपयोग करने की आवश्यकता हो.
स्कूलों में शौचालय बदहाल
NDTV की टीम ने जिले के जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के बगल में सरकारी स्कूल के शौचालय का हाल जाना, तो शौचालय किसी खंडहर से कम नहीं दिखा. सरकारी स्कूल का भवन देखकर कोई नहीं कह सकता है कि यहां के शौचालय की यह दशा होगी. स्कूल का भवन बाहर से बिल्कुल चमचमाता हुआ दिखाई दे रहा है, लेकिन अंदर शौचालय की स्थिति को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब जिला शिक्षा अधिकारी के बगल के सरकारी स्कूल का यह हाल है, तो बाकी अन्य जगहों के सरकारी स्कूलों के शौचालय का क्या हाल होगा? NDTV की टीम इसके अलावा भी दूसरे भी कई गांव के सरकारी स्कूल में जाकर शौचालय की स्थिति को देखा जहां शौचालय में ताला लटके मिले. कई शौचालय, तो खंडहर में तब्दील हो चुके है. इस तरह जिले के ज्यादातर सरकारी स्कूलों में शौचालयों का हाल बेहाल मिला. किसी स्कूल में शौचालय नहीं है, जहां है भी, तो वहां उपयोग करने लायक नहीं है.
बिना जरूरत खरीदी पर भी उठे सवाल
ऐसे में ये सवाल उठना लाजमी है कि शिक्षा विभाग को DMF मद से कीटनाशक दवाओं व स्प्रे की खरीदी के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने की आवश्यकता क्या है, जो कीटनाशक दवाओं का बाजार कीमत एक से दो हजार प्रति बॉक्स है, उसे 15 हजार 980 रुपये में खरीदने की जरूरत क्या थी. इसी तरह एक स्प्रे बॉटल की बाजार कीमत करीब 150 से 300 रुपए तक है, उसकी खरीदी 1525 रुपये में क्यों की गई. लेकिन बिना जरूरत यह सब खेल सिंगरौली जिला शिक्षा विभाग की ओर से खेला गया. दरअसल, DMF मद से शिक्षा विभाग को कीटनाशक दवाओं व स्प्रे बॉटल खरीदने के लिए करोड़ों रुपये की राशि स्वीकृत कर दी गई थी.
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इस पूरे मामले पर जिला शिक्षा विभाग के शिक्षा अधिकारी एसबी सिंह ने NDTV को बताया कि जेम पोर्टल में टेंडर जारी हुआ था, अभी प्रक्रिया में है. इसलिए ज्यादा जानकारी नहीं है. हालांकि, सबसे कम रेट जिसने डाला था, टेंडर उसी को मिला है. सब कुछ नियमानुसार हुआ है.