बारह साल पहले ग्वालियर में पकड़े गए पुलिस आरक्षक भर्ती घोटाले (Constable Recruitment Exam Scam) में तीन आरोपियों को ग्वालियर कोर्ट ने सज़ा सुनाई है. आरोपियों में मुन्ना भाई, उसके नाम पर परीक्षा दे रहा सॉल्बर और एक दलाल शामिल है. कोर्ट ने तीनों पर जुर्माना भी लगाया है.
लोक अभियोजक चंद्रपाल ने बताया कि ग्वालियर के आईआईटीटीएम में पुलिस आरक्षक की भर्ती परीक्षा के लिए बनाये गए परीक्षा केंद्र पर 30 सितम्बर, 2012 को लिखित परीक्षा का आयोजन किया गया था. इसमें चैकिंग के दौरान यूपी के फिरोजाबाद निवासी बृजमोहन सिंह को गोहद निवासी रिंकू सिंह के स्थान पर परीक्षा देते हुए पकड़ा गया था.
ऐसे दर्ज हुआ था केस
यहां से पकड़कर आरोपी को पुलिस के सुपुर्द किया गया था. थाना विवि पुलिस द्वारा जब आरोपी से पूछताछ की गई तो उसने बताया कि फिरोजाबाद निवासी महेश कुमार ऐसे मामलों की दलाली करता है. वही उसे मिला था और उसे रिंकू सिंह की जगह परीक्षा देने का ऑफर दिया था. इसके बदले उसे 30 हजार रुपये देना तय हुआ था. उसी के कहने पर वो रिंकू सिंह के स्थान पर आरक्षक भर्ती की परीक्षा देने के लिए पहुंचा था. पुलिस इस मामले में रिंकू सिंह और दलाल बृजमोहन सिंह को गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान पेश किया था.
13100 रुपये का लगाया गया जुर्माना
लोक अभियोजक चन्द्रपाल ने बताया कि इस मामले की जांच सीबीआई ने की और चालान पेश किया. विशेष न्यायालय सीबीआई कोर्ट ने अभियोजन पक्ष द्वारा बताए गए तथ्यों को सही मानते हुए इस केस में तीनों आरोपियों को 4-4 साल की सज़ा सुनाई है. साथ ही आरोपियों पर 13100 -13100 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है.
गौरतलब है कि आरक्षक भर्ती घोटाले में अब तक दर्जनों आरोपियों को कोर्ट सज़ा सुना चुका है. बीते महीने भी चार आरोपियों को चार-चार वर्ष के कारावास और जुर्माने की सज़ा सुनाई थी.
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