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रेप पीड़िता को दोबारा आरोपी के घर भेजा, फिर से हुआ रेप ! छतरपुर में 10 अधिकारियों पर एक्शन

MP News: पन्ना में नाबालिग रेप पीड़िता को दोबारा आरोपी के घर भेजने के मामले में एक बड़ी कार्रवाई हुई है. इस मामले में बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष, महिला बाल विकास अधिकारी सहित 10 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है. 

रेप पीड़िता को दोबारा आरोपी के घर भेजा, फिर से हुआ रेप ! छतरपुर में 10 अधिकारियों पर एक्शन

Chhatarpur-Panna Rape Case: मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के पन्ना में बाल कल्याण समिति ने तो हद की कर दी. समिति ने नियमों को ताक पर रखते हुए नाबालिग रेप पीड़िता को को आरोपी के ही घर पर भेज दिया. इस नासमझी भरे फैसले का अंजाम ये हुआ कि नाबालिग दोबार रेप की शिकार हो गई. जब यह जानकारी पन्ना पुलिस को लगी तो उसने अपनी गर्दन बचाने आनन- फानन आरोपी के खिलाफ कोतवाली पन्ना में दोबारा अपराध कायम कर डायरी जुझारनगर थाना जिला छतरपुर भेज दिया गया. छतरपुर पुलिस ने आरोपी को गिरफ़्तार कर दोबारा जेल भेजा.

नाबालिग रेप पीड़िता को आरोपी के घर भेजने के मामले में अब छतरपुर पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है. पुलिस ने बाल कल्याण समिति पन्ना के अध्यक्ष, समिति के पांचों सदस्य, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी, वन स्टॉप सेंटर के तीन कर्मचारी और एक अन्य महिला के खिलाफ अपराध दर्ज किया है. हालांकि अभी किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है.

दोबारा रेप का शिकार हो गई थी नाबालिग

 बाल कल्याण समिति सहित ग़ैर ज़िम्मेदारों पर मामला दर्ज हुआ है. बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष भानुप्रताप जड़िया , सदस्य अंजली भदौरिया, आशीष बॉस, सुदीप श्रीवास्तव और प्रमोद कुमार सिंह पिता मोहन सिंह के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 17 के तहत कायम की गई है. वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक कविता पाण्डेय, काउंसलर प्रियंका सिंह, केस वर्कर शिवानी शर्मा के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 21 के तहत अपराध कायम किया गया है. 

जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी अवधेश सिंह के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 21, एससीएसटी एक्ट की धारा 4, बीएनएस की धारा 199, 239 सहित एक अन्य महिला अंजली कुशवाहा के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम की धारा 82 के तहत अपराध दर्ज किया गया है.

इस परिस्थिति में भेजा जा सकता था

जिस प्रक्रिया में देरी हुई जो प्रक्रिया होनी थी अगर सही मायने में ज़िम्मेदार बाल कल्याण समिति सदस्य महिला एवं बाल विकास महकमे से सोशल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट लेना था. उसमें यह देखा जाता कि नाबालिग रेप पीड़िता का सर्वोत्तम हित है या नहीं. यह रिपोर्ट महिला बाल विकास विभाग का मैदानी अमला तैयार करता. मैदानी अमला इन्वेस्टिगेशन कर यह सुनिश्चित करता कि नाबालिग का संबंधित घर में सर्वोत्तम हित है, उसे किसी भी प्रकार का खतरा नहीं है. तब उसे संबंधित घर में भेजा जा सकता था. यहां बाल कल्याण समिति ने पीड़िता का दर्द नहीं समझा. सभी ने आरोपी का हित देख निर्णय लिया. जिससे नाबालिग फिर से रेप का शिकार हो गई. 

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ये है मामला 

पन्ना जिले के पवई विधानसभा के एक गांव में रहने वाली 15 साल की नाबालिग 16 जनवरी 2025 को विद्यालय जाने के लिए घर से निकली फिर लौटी नहीं. परिजनों ने थाना में गुमशुदगी दर्ज कराई. पुलिस ने मामला दर्ज कर नाबालिग को 17 फरवरी 2025 को गुरुग्राम हरियाणा से दस्तयाब किया. नाबालिग को भगा ले जाने वाले आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत अपराध दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया. नाबालिग को बाल कल्याण समिति पन्ना के समक्ष प्रस्तुत किया गया. बाल कल्याण समिति ने अस्थाई आश्रय के लिए वन स्टॉफ पन्ना भेज दिया. इसी बीच बाल कल्याण समिति ने 29 मार्च 2025 को नियम विरुद्ध तरीके से नाबालिग बलात्कार पीड़िता को आरोपी के घर भेज दिया. इधर नाबालिग के परिजनों ने बेटी को सुपुर्द करने कलेक्ट्रेट पन्ना जनसुनवाई में शिकायत दर्ज कराई.

हुआ था खुलासा 

कलेक्टर ने शिकायत को संज्ञान में लेकर बाल कल्याण समिति को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने निर्देश दिए थे. गलत और मनमाने निर्णय का खुलासा न हो, इसलिए नाबालिग को 29 अप्रैल 2025 को दोबारा वन स्टॉप सेंटर भेज दिया. वहां वन स्टॉप सेंटर की काउंसलिंग में खुलासा हुआ कि उसके साथ कई बार रेप हुआ है. मीडिया के 'खुलासे के बाद जिम्मेदारों की नींद टूटी.पुलिस ने जांच में पाया कि बाल कल्याण समिति के गलत निर्णय से ही नाबालिग दोबारा दुष्कर्म का शिकार हो गई. पुलिस ने जांच में यह भी पाया कि जिला कार्यक्रम अधिकारी ने एफआइआर दर्ज कराने के बजाय पर्दा डाल रखा था. वन स्टॉप सेंटर के अमले ने भी मामले को दबाए रखा था. एसडीओपी लवकुशनगर छतरपुर नवीन दुबे ने बताया कि नाबालिग रेप पीड़िता को आरोपी के घर भेजने का गलत निर्णय करने वाले और इसे छिपाने वालों के खिलाफ अपराध दर्ज किया है. पुलिस मामले की बारीकी से जांच कर रही है. 

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