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अब सीबीआई करेगी ग्वालियर की 'लापता लेडीज' की खोज, नार्को टेस्ट में आया था पुलिसवाले का नाम 

साल 2017 में लापता हुई नाबालिग केस की जांच हाईकोर्ट ने सीबीआई को सौंप दी है. कोर्ट ने सीबीआई को केस सौंपने से पहले पुलिस को खूब खरी-खोटी सुनाई. कोर्ट ने कहा कि यह काफी चौंकाने वाली बात है कि नाबालिग 7 साल से लापता है और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है.

अब सीबीआई करेगी ग्वालियर की 'लापता लेडीज' की खोज, नार्को टेस्ट में आया था पुलिसवाले का नाम 
Gwalior Missing Minor Girl Case

Lapta Ledies: ग्वालियर जिले से रहस्यमय ढंग से लापता हुई एक नाबालिग से जुड़े मामले में मंगलवार को सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खण्डपीठ ने नाबालिग को खोजने का काम अब जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दिया है. हाई कोर्ट ने पुलिस जांच पर सवाल उठाते हुए यह जि्म्मेदारी सीबीआई को सौंपी है. 

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साल 2017 में लापता हुई नाबालिग केस की जांच हाईकोर्ट ने सीबीआई को सौंप दी है. कोर्ट ने सीबीआई को केस सौंपने से पहले पुलिस को खूब खरी-खोटी सुनाई. कोर्ट ने कहा कि यह काफी चौंकाने वाली बात है कि नाबालिग 7 साल से लापता है और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है.

15 दिन में सीबीआई को जांच के लिए स्पेशल जांच टीम गठित करना होगा

मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की ग्वालियर खण्डपीठ ने तमाम तर्कों और तथ्यों को सुनने और विचार करने के बाद मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी.कोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिया है कि वे 15 दिन में इस मामले से जुड़े सभी दस्तावेजों को पुलिस से लेंगे और जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम गठित करेंगे. हाईकोर्ट ने सीबीआई से उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने को कहा जिन्होंने जांच को प्रभावित किया.

नार्को टेस्ट में एक पुलिस अधिकारी अभय प्रताप सिंह का नाम आया था सामने

लापता नाबालिग के पिता गजेंद्र चंदेल द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने केस सीबीआई को ट्रांसफर करने का फैसला सुनाया. याची ने आरोपी जितेंद्र पर उसकी नाबालिग बेटी को बंदी बनाने का आरोप लगाया था. हालांकि ट्रायल के बाद आरोपी जितेंद्र मामले सेबरी हो गया, लेकिन आरोन पुलिस नाबालिग को नहीं ढूंढ सकी.

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मामले में पिता गजेंद्र और संदेही जितेंद्र का नार्को टेस्ट भी कराया गया, जिसमें पुलिस अधिकारी अभय प्रताप सिंह का नाम संदिग्ध के रूप में आया, लेकिन एसडीओपी दीपा डुडवे हाईकोर्ट को यह नही बता सकीं कि अभय प्रताप के खिलाफ क्या कार्रवाही की गई. 

नाबालिग की गुमशुदगी की रिपोर्ट को पुलिस ने गंभीरता से नहीं लिया

पिता के मुताबिक नाबालिग बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने मामले को गम्भीरता से नही लिया और कोई ठोस परिणाम नहीं निकलता देख पिता ने गत 11 दिसम्बर 2017 को हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर किया. तब से लेकर अब तक दर्जनों बार मामले की सुनवाई हुई, लेकिन अब जाकर मामला सीबीआई को सौेपा गया है. 

हाईकोर्ट के निर्देश पर पुलिस द्वारा पांच बार एसआईटी का गठन किया

गौरतलब है लापता नाबालिग लड़की को ढूंढने के लिए हाई कोर्ट के निर्देश में पिछले 7 सालों में 5 एसआईटी का गठन किया गया, लेकिन नाबालिग का कोई पता नहीं चल सका. हाईकोर्ट ने इस मामले में दो न्यायमित्र भी नियुक्त किए थे और उनकी रिपोर्ट में पुलिस द्वारा जांच में की गई लापरवाही उजागर हुई थी.

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पीड़ित पिता गजेंद्र के एडवोकेट अनिल कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि आरोन पुलिस में गत 9 अगस्त 2017 को मामले में FIR दर्ज की थी, जबकिं विभागीय जांच में सामने आया कि पिता ने नाबालिग की गुमशुदगी को लेकर 3 अगस्त 2017 को ही थाने में शिकायत दर्ज करवा दी थी.

नार्को टेस्ट में पुलिस अधिकारी अभय प्रताप सिंह का नाम आया था सामने

मामले में पिता गजेंद्र और संदेही जितेंद्र का नार्को टेस्ट भी कराया गया, जिसमें पुलिस अधिकारी अभय प्रताप सिंह का नाम संदिग्ध के रूप में आया, लेकिन एसडीओपी दीपा डुडवे हाईकोर्ट को यह नही बता सकीं कि अभय प्रताप के खिलाफ क्या कार्रवाही की गई. 

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