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Three Wells of Tikamgarh: आजादी के बाद 77 साल भी बदस्तूर जारी है यहां भेदभाव का दस्तूर, आज भी लोग अलग-अलग कुओं से पानी भरने को हैं मजबूर

आजादी के 77 साल बाद भी टीकमगढ़ जिले से सामने आई तस्वीर लोकतांत्रिक मर्यादाओं को न केवल तार-तार करती है, बल्कि यह जातिगत भेदभाव की नुमाइश भी करती है. 21वीं सदी में भी मौजूद तीन कुओं से आज भी अलग-अलग समुदायों के अपने-अपने कुंए से पानी भरते हैं.

Three Wells of Tikamgarh: आजादी के बाद 77 साल भी बदस्तूर जारी है यहां भेदभाव का दस्तूर, आज भी लोग अलग-अलग कुओं से पानी भरने को हैं मजबूर
मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड अंचल के टीकमगढ़ जिले में मौजूद तीन कुआं

Caste Based Discrimination: मध्य प्रदेश के सबसे पिछले इलाकों में शुमार बुन्देलखण्ड के टीकमगढ जिले में आजादी के 77 साल बाद भी लोग जातिगत भेदभाव के शिकार हैं, जहां 21वी सदी में भी जातिगत भेदभाव बदस्तूर कायम है. टीकमगढ़ जिले में वर्तमान में भिन्न समुदायों के लिए तीन अल- अलग कुएं मौजूद हैं, जहां से लोग पीने का पानी भरते हैं, जो न केवल एक सभ्य समाज के लिए बल्कि लोकतांत्रिक देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है.

आजादी के 77 साल बाद भी टीकमगढ़ जिले से सामने आई तस्वीर लोकतांत्रिक मर्यादाओं को न केवल तार-तार करती है, बल्कि यह जातिगत भेदभाव की नुमाइश भी करती है. 21वीं सदी में भी मौजूद तीन कुओं से आज भी अलग-अलग समुदायों के अपने-अपने कुंए से पानी भरते हैं.
टीकमगढ़ जिले के सुजानपुरा में स्थित जातियों में बंटे एक कुएं से पानी निकालते लोग

टीकमगढ़ जिले के सुजानपुरा में स्थित जातियों में बंटे एक कुएं से पानी निकालते लोग

जातिगत कुओं की मौजूदगी उठाते हैं शासन और प्रशासन पर सवाल

टीकमगढ जिले में आई यह तस्वीर यह बताने के लिए काफी है कि हमारे देश में राजशाही समय से चली आ रही परम्परा कितनी गहरी है, जिसका वजूद आज भी कायम है और लोग आज भी अलग-अलग समाज के लिए बनाए अलग-अलग कुओं से पानी भरने को अभिसप्त हैं.  21वीं सदी में भी इन कुओं की मौजूदगी शासन और प्रशासन पर भी सवाल उठाते हैं.

जातिगत कुओं पर टीकमगढ जिला प्रशासन ने साथ रखी है चुप्पी

टीकमगढ जिला प्रशासन जातियों को बांटने वाले कुओं की मौजूदगी पर चुप्पी साध रखी है. अलग अलग समाज के लोगों के लिए निर्मित अलग-अलग कुएं समाज में छुआछूत को बढ़ावा दे रहे हैं. सैकड़ों सालों से चली आ रहा यह छुआछूत आज भी बदस्तूर जारी है, लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं हैं.

दिलचस्प यह है कि छुआछूत को बढ़ावा देन वाले राजशाही समय में निर्मित टीकमगढ़ जिले के तीन कुओं का जिला प्रशासन ने हाल में जीर्णोधार कराया गया है, जबकि उसे समाज में जातिगत भेदभाव फैलाने और रूढ़िवादिता की निशानी वाले कुओं को बंद करवा देना चाहिए था.
जातियों में बंटे टीकमगढ़ जिले के सुजानपुरा गांव के तीन कुएं

जातियों में बंटे टीकमगढ़ जिले के सुजानपुरा गांव के तीन कुएं

टीकमगढ जिले के बल्देवगढ़ ब्लॉक के सुजानपुरा गांव में मौजूद हैं तीन कुएं

अक्सर सुर्खियों में रहने वाले टीकमगढ जिले के बल्देवगढ़ ब्लॉक में स्थित सुजानपुरा गांव में तीन कुएं मौजूद हैं. सुजानपुरा गांव तीन कुओं के वाले गांव के नाम से चर्चित है. तीन कुओं वाले गांव सुजानपुरा की आबादी करीब 4500 है, जहां सभी समुदाय के लोग रहते हैं. इनमें ब्राह्मण, यादव, नाई ओर कुशवाहा शामिल हैं.

एक कुए से पण्डित, दूसरे से यादव, तीसरे से कुशवाहा समाज भरता है पानी

सुजापुरा गांव में मौजूद तीन कुएं में से एक कुआं ब्राह्मण के लिए समर्पित हैं, जिससे सिर्फ ब्राह्मण समाज के लोग पानी भरते हैं, जबकि दूसरा कुआं अहिरवार ( दलित) समाज के लिए हैं, जहां सिर्फ दलित समजा के लोग पानी भरते ओर तीसरा कुआं सिर्फ बंशकार जाति के लोग पानी भरते है. बड़ी बात यह है कि कोई भी दूसरे के कुएं से पानी नहीं भर सकता है.

21सदी में भी मौजूद है टीकमगढ़ जिले के सुजानपुरा गांव में बने तीन कुएं

21सदी में भी मौजूद है टीकमगढ़ जिले के सुजानपुरा गांव में बने तीन कुएं

राजशाही के जमाने से चली आ रही परंपरा,आज भी निभा रहा है समाज

सुजानपुरा ग्राम पंचायत के सरपंच उमराव ने गांव के तीन कुओं के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि, अहिरवार समाज के कुएं से सिर्फ समाज के लोग ही पानी भर सकते है और मन्दिर के पास निर्मित ब्राह्मण समाज के कुएं से पण्डित ,यादव, राय, नाई जाति के लोग पानी भरते है. वहीं, वंशकार जाति के लिए निर्मित तीसरे कुएं से सिर्फ वंशकार ही पानी भरते हैं.

21वीं में जब भारत जब चांद पर पहुंच गया और अंतरिक्ष पर कदम रखने वाला है, तब टीकमगढ़ में समाज को विघटित करने वाले कुएं की मौजूदगी शर्मसार करते हैं, जो समाज में जातिगत भेदभाव और छुआछूत की नुमाइश करते हैं. आजादी 77 साल बाद समाज को बांटने वाले तीन कुओं को लेकर प्रशासन और समाज दोनों संजीदा नहीं है.

सदियों से चली आ रही राजशाही मर्यादा, किसी ने नहीं किया उल्लंघन 

21वीं में जब भारत जब चांद पर पहुंच गया और अंतरिक्ष में कदम रखने वाला है, तब टीकमगढ़ में समाज में विघटित करने वाले कुएं की मौजूदगी शर्मसार करते हैं, जो समाज में जातिगत भेदभाव और छुआछूत की नुमाइश करते हैं. आजादी 77 साल बाद समाज को बांटने वाले तीन कुओं को लेकर प्रशासन और समाज दोनों संजीदा नहीं है.

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