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BJP Candidate List: ग्वालियर की जगह गुना से क्यों चुनाव लड़ सकते हैं सिंधिया? कुलस्ते की सीट कौन सी होगी?

सिंधिया की इस बार ग्वालियर सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा थी, क्योंकि भाजपा में आने के बाद से ज्योतिरादित्य लगातार इसी क्षेत्र में फोकस कर रहे थे. यहां उन्होंने हर जाति के सम्मेलन कराए थे और पांच सौ करोड़ की लागत से नया एयर टर्मिनल बनवाने के साथ-साथ अनेक विकास प्रोजेक्ट भी यहां लेकर आये थे.

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BJP Candidate List: ग्वालियर की जगह गुना से क्यों चुनाव लड़ सकते हैं सिंधिया? कुलस्ते की सीट कौन सी होगी?
सिंधिया को गुना से मिल सकता है टिकट

Madhya Pradesh News: लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) के चुनावों में ज्यादा समय नहीं बचा है. भाजपा (BJP) ने अपने प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. सूत्रों के अनुसार गुरुवार को भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की देर रात तक चली बैठक में मध्यप्रदेश (madhya pradesh) की जिन दो सीटों पर नाम फाइनल हुए हैं उनमें एक नाम केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) का है और दूसरा हाल ही में विधानसभा चुनाव हार चुके आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते का माना जा रहा है. सिंधिया को भाजपा एक बार फिर उनकी परम्परगत सीट गुना (Guna) से मैदान में उतार सकती है.

ग्वालियर से लड़ने की चर्चा क्यों थी? 

सिंधिया की इस बार ग्वालियर सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा थी, क्योंकि भाजपा में आने के बाद से ज्योतिरादित्य लगातार इसी क्षेत्र में फोकस कर रहे थे. यहां उन्होंने हर जाति के सम्मेलन कराए थे और पांच सौ करोड़ की लागत से नया एयर टर्मिनल बनवाने के साथ-साथ अनेक विकास प्रोजेक्ट भी यहां लेकर आये थे.

ग्वालियर सीट से उनके पिता माधव राव सिंधिया कई बार सांसद रह चुके है. इसलिए ऐसा लग रहा था कि ज्योतिरादित्य सिंधिया इस बार ग्वालियर से चुनाव लड़ सकते हैं, क्योंकि 2019 में गुना में हारने के बाद उनका वहां से मन हट गया था लेकिन यह अनुमान गलत साबित हुआ और सूत्र बताते हैं कि वे इस बार भी गुना से ही चुनाव लड़ने जा रहे हैं.

गुना है सिंधिया परिवार की परंपरागत सीट

गुना संसदीय सीट सिंधिया परिवार की परंपरागत सीट है. 1952 से अगर देखें तो दल कोई भी रहा हो लेकिन इस सीट पर जीत सिंधिया समर्थक को ही मिली. यहां से राजमाता विजयाराजे सिंधिया सांसद रहीं, उसके बाद 1972 में जनसंघ के टिकट पर माधव राव सिंधिया ने राजनीति में डेब्यू किया, उस समय वो महज 25 साल के थे और सबसे कम उम्र के सांसद बने थे. इसके बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गए और 1977, 1980 में यहीं से कांग्रेस से सांसद रहे और इसके बाद 1884 से 1990 तक ग्वालियर में सांसद रहे लेकिन 1999 में वो एक बार फिर वे गुना वापस लौट गए.

2001 में एक दुखद विमान दुर्घटना में उनके निधन के बाद कांग्रेस ने उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया उपचुनाव लड़े और तब से 2019 तक वे गुना से सांसद रहे, लेकिन 2019 में मोदी लहर में भाजपा ने उनके खिलाफ उनके ही एक एक समर्थक डॉ केपी यादव को मैदान में उतारा. यादव ने सबको चौंकाते हुए यादव ने उन्हें एक लाख मतों से ज्यादा के अंतर से हरा दिया. इसके डेढ़ साल बाद सिंधिया कमलनाथ की सरकार गिराकर भाजपा में शामिल हो गए और राज्यसभा सदस्य बनने के बाद वो मोदी सरकार में नागरिक उड्डयन और इस्पात मंत्री बन गए. हालांकि अभी उनका कार्यकाल बाकी है लेकिन बताया जा रहा है कि वो लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं.

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फग्गन सिंह कुलस्ते 2023 में विधानसभा का चुनाव हार चुके हैं

फग्गन सिंह कुलस्ते 2023 में विधानसभा का चुनाव हार चुके हैं

फग्गन सिंह कुलस्ते एक बार फिर लड़ेंगे लोकसभा चुनाव

इसी तरह एक गुरुवार की बैठक के बाद एक अनुमान ये भी लगाया जा रहा है कि बीजेपी अपने दिग्गज आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते को एक बार फिर लोकसभा भेजने के लिए तैयार है. कुलस्ते पिछली बार भी सांसद चुने गए थे और केंद्र सरकार में मंत्री भी बने थे. 2023 में पार्टी ने उन्हें विधानसभा के मैदान में उतारा लेकिन वे हार गए थे तब लग रहा था कि उनका राजनीतिक करियर समाप्त हो गया है लेकिन अब पार्टी ने एक बार फिर उनको लोकसभा में ले जाने का मन बना लिया है.

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