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मनरेगा में MP के 32 लाख श्रमिकों को मिला रोजगार, 1500 करोड़ रुपये की मजदूरी का भी हुआ भुगतान 

MP News: मनरेगा के तहत स्थानीय स्तर पर रोजगार मिला. जिससे काम की तलाश में दूसरे राज्यों या जिलों में नहीं जाना पड़ा. सरकार का दावा है कि लोगों के पलायन में भी कमी आई.

मनरेगा में MP के 32 लाख श्रमिकों को मिला रोजगार, 1500 करोड़ रुपये की मजदूरी का भी हुआ भुगतान 

Madhya Pradesh News: मनरेगा योजना से जल गंगा संवर्धन अभियान में अब तक मध्य प्रदेश के 32 लाख लोगों को रोजगार मिला है. वर्ष 2025-26 में मजदूरों को अब तक लगभग 1500 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया गया है.

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि इस योजना के माध्यम से न सिर्फ गरीब, श्रमिकों और किसानों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिला रहा है, बल्कि सिंचाई की उपलब्धता भी बन रही है. योजना के अंतर्गत खेत-तालाब, अमृत-सरोवर, कुएं, चेक-डैम, भूमि समतलीकरण, मेड़बंदी, बागवानी, जल निकायों का निर्माण, जीर्णोद्धार और वर्षा जल संचयन संरचनाओं के निर्माण सहित जल संचयन के अन्य निर्माण कार्य किए जा रहे हैं. 

22 लाख परिवारों को मिला लाभ

ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में निवासरत लोगों को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार मिले, इसके लिए केंद्र और प्रदेश सरकार मनरेगा योजना चला रही है. मनरेगा योजना में लोगों को स्थानीय स्तर पर 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जाता है. प्रदेश में अप्रैल माह से अब तक 22 लाख परिवारों के 32 लाख लोगों को मनरेगा योजना का लाभ मिला है.

वृहद स्तर पर किए जा रहे जल संरचना के कार्य

प्रदेश में बारिश के पानी का बड़े स्तर पर संचयन किया जा सके, लोगों को रोजगार मिले, इसके लिए प्रदेश सरकार जल गंगा संवर्धन अभियान चला रही है. अभियान के अंतर्गत प्रदेश में बड़े स्तर पर जल संरचना के कार्य किए जा रहे हैं. 14 जून की स्थिति में प्रदेश में 80 हजार 496 खेत तालाब, एक लाख एक हजार 61 कूप रिचार्ज पिट और एक हजार 283 अमृत सरोवरों का निर्माण कराया जा रहा है, इसमें बड़ी संख्या में स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार मिल रहा है.

कारगर साबित हो रहा जल गंगा संवर्धन अभियान

प्रदेश सरकार द्वारा तीन माह के लिए जल गंगा संवर्धन अभियान चलाया जा रहा है, वह भी ऐसे समय में जब खेती-किसानी का समय नहीं रहता है.किसानों, गरीबों और श्रमिकों को रोजगार की तलाश रहती है. ऐसे में जल गंगा संवर्धन अभियान कारगर साबित हुआ है. मनरेगा के तहत स्थानीय स्तर पर रोजगार मिला. जिससे काम की तलाश में दूसरे राज्यों या जिलों में नहीं जाना पड़ा. साथ ही लोगों के पलायन में भी कमी आई.

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खेती-किसानी और घरेलू खर्चों में बनी मददगार

मनरेगा योजना से मिलने वाली मजदूरी श्रमिकों-किसानों-गरीबों के लिए केवल रोज़गार का साधन नहीं, बल्कि खेती-किसानी, घरेलू ज़रूरतों और बच्चों की शिक्षा जैसी आवश्यकताओं को पूरा करने में भी मददगार बन रही है. योजना के माध्यम से खेत-तालाब, अमृत सरोवर, कूप रिचार्ज पिट, सड़कों का सुधार, वर्षा जल संचयन सहित अन्य विकास कार्य किए जा रहे हैं, जो ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मज़बूत बना रहे हैं.

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