Bhopal Gas Tragedy: हाई कोर्ट ने दिए नए निर्देश, मॉनिटरिंग कमेटी को तिमाही रिपोर्ट पेश करने को कहा

Bhopal Gas Tragedy Case: भोपाल गैस त्रासदी के मामले में एमपी हाई कोर्ट की जबलपुर पीठ ने नया आदेश जारी किया. कोर्ट ने मॉनिटरिंग कमेटी की थोड़ा और समय देने की बात पर ये आदेश जारी किए है.

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Madhya Pradesh High Court-Jabalpur Bench

Bhopal Gas Tragedy New Update: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) की जबलपुर पीठ (Jabalpur Bench) ने भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) मामले में गठित मॉनिटरिंग कमेटी (Monitoring Committee) को त्रैमासिक रिपोर्ट (Quarterly Report) पेश करने के आदेश दिए हैं. मॉनिटरिंग कमेटी ने मांग करते हुए कहा था कि उन्हें कुछ समय और दिया जाए. न्यायाधीश शील नागू व न्यायमूर्ति देव नारायण मिश्रा की डबल बेंच ने मामले की अगली सुनवाई मई माह के दूसरे सप्ताह में निर्धारित की है. बता दें कि भोपाल गैस कांड का केस आज 40 साल बाद भी कोर्ट में चल रहा है.

2012 में जारी हुए थे केस से जुड़े जरूरी निर्देश

भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला, उद्योग संगठन, सहित अन्य की ओर से दायर की गई जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार और पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किए थे. इन बिंदुओं के क्रियान्वयन की मॉनिटरिंग के लिए एक कमेटी गठित करने के निर्देश भी जारी किए गए थे. मॉनिटरिंग कमेटी प्रत्येक तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाई कोर्ट के समक्ष पेश करने और रिपोर्ट के आधार पर हाई कोर्ट द्वारा केन्द्र और राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने के निर्देश दिए थे.

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याचिका के लंबित रहने के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का परिचालन नहीं किये जाने के विरुद्ध अवमानना याचिका भी 2015 में दायर की गई थी. मामले की सुनवाई के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी के अधिवक्ता ने त्रैमासिक रिपोर्ट पेश करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया था. इसे हाई कोर्ट ने स्वीकार कर लिया. इस मामले में एसीएस सुलेमान सहित अन्य को राहत मिली है जब अवमानना संबंधी आदेश रि-कॉल किया गया था.

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आदेश को किया गया रिकॉल

भोपाल गैस त्रासदी मामले में अतिरिक्त मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान सहित अन्य को फिलहाल हाईकोर्ट से राहत मिली है. मो. सुलेमान सहित राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र के अमर कुमार सिन्हा तथा विजय कुमार विश्वकर्मा को अवमानना का दोषी करार दिया गया था. इसके साथ ही अन्य अनावेदकों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही के हाईकोर्ट ने निर्देश दिये थे.

मध्य प्रदेश सरकार की ओर से उक्त आदेश वापस लेने का आवेदन पेश किया गया था. जस्टिस शील नागू व जस्टिस विनय सराफ की युगल पीठ ने सुनवाई के बाद सरकार के आवेदन को स्वीकार करते हुए पूर्व में जारी आदेश को रिकॉल करने के निर्देश दिये थे.

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