Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस त्रासदी की 40वीं बरसी से पहले अमेरिका में आरोपी कंपनी डॉव केमिकल के खिलाफ कार्रवाई का मुद्दा उठा है. अमेरिकी कांग्रेस के करीब 12 सदस्यों ने देश के न्याय विभाग को पत्र लिखकर डॉव पर चल रहे आपराधिक मामले में भोपाल जिला अदालत के समन की तामील करने के लिए तत्काल एक्शन लेने की मांग की है.
जहरीली गैस लीक होने से मारे गए थे सैकड़ों लोग
बता दें कि डॉव केमिकल कंपनी के पास यूनियन कार्बाइड कंपनी लिमिटेड की 100 फीसदी हिस्सेदारी है. जिसके पास भोपाल में उर्वरक संयंत्र का स्वामित्व था, जहां से दिसंबर 1984 में जहरीली गैस लीक हुई थी, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे और हजारों लोग जीवन भर के लिए अपाहिज हो गए थे.
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अब तक भेजे जा चुके हैं सात समन
भोपाल की अदालत में जहां गैस त्रासदी के आपराधिक मामले की सुनवाई चल रही है, उसने डॉव केमिकल को अदालत में उपस्थित होने और मुकदमे का सामना करने के लिए सात समन भेजे हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. सातवें समन में एक बार फिर कंपनी के अधिकारियों को 4 अक्टूबर को अदालत में पेश होने को कहा गया है.
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कांग्रेस सदस्यों ने लिखा पत्र
अमेरिकी अखबार द वीक में छपी खबर के मुताबिक डॉव केमिकल को समन भेजने में अमेरिकी सरकार द्वारा कोई अग्रिम कार्रवाई नहीं किए जाने पर, 12 कांग्रेस सदस्यों ने अमेरिकी न्याय विभाग के डिप्टी अटॉर्नी जनरल लिसा मोनाको को एक पत्र लिखा है. कांग्रेस सदस्यों ने कहा है कि "विभाग की निष्क्रियता अंतरराष्ट्रीय कानूनी और नैतिक मानकों को बनाए रखने के लिए हमारे देश की प्रतिष्ठा पर एक दाग लगा रही है जिसे ठीक किया जाना चाहिए."
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में रशीदा तलीब, फ्रैंक पैलोन जूनियर, प्रमिला जयपाल, जेम्स पी. मैकग्रोवेन, राउल एम. ग्रिजाल्वा, लिंडा टी. सांचेज़, डेविड जे. ट्रोन, बारबरा ली, जेमी रस्किन, एलेनोर होम्स नॉर्टन, ग्रेग कैसर और कोरी बुश शामिल हैं.
बता दें कि 2 और 3 दिसंबर, 1984 की दरमियानी रात को भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने से जहरीली 'मिथाइल आइसोसाइनेट' गैस रिसने के बाद सैकड़ों लोगों की मौत हुई थी, हजारों लोग प्रभावित हुए थे. तत्कालीन यूनियन कार्बाइड के अध्यक्ष वारेन एंडरसन इस मामले में मुख्य अभियुक्त थे, लेकिन मुकदमे के लिए उपस्थित नहीं हुए. भोपाल की एक अदालत ने उन्हें 1992 में भगोड़ा घोषित कर दिया था. वहीं 7 जून 2010 को भोपाल की एक अदालत ने यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के सात अधिकारियों को दो साल की जेल की सजा सुनाई थी.