Bhopal AIIMS: काम के दबाव में महिला डॉ. ने एनेस्थीसिया का डबल डोज लिया, 7 मिनट नहीं धड़का दिल... दिल्ली तक हलचल

Bhopal AIIMS Doctor Rashmi Verma: भोपाल एम्स की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रश्मि वर्मा का मामला अब सिर्फ एक व्यक्तिगत घटना नहीं रह गया है. इस केस ने देश के बड़े सरकारी चिकित्सा संस्थानों में डॉक्टरों पर बढ़ते प्रशासनिक दबाव और मानसिक स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, इस मामले ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय तक हलचल मचा दी है.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins

Bhopal AIIMS Doctor Rashmi Verma Case: भोपाल एम्स की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रश्मि वर्मा के आत्महत्या के प्रयास ने दिल्ली तक हलचल मचा दी है. डॉ. रश्मि ने एनेस्थीसिया का हाई डोज इंजेक्शन लगाया था, जिससे उनकी हालत बिगड़ गई. फिलहाल, रश्मि वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं, उनका ब्रेन गंभीर रूप से डैमेज हुआ है. उनकी हालत में कब सुधार होगा डॉक्टर यह साफतौर पर नहीं बता पा रहे हैं.

बताया जा रहा है, डॉ रश्मि ने काम के दबाव और गुटबाजी से परेशान होकर खुदकुशी की कोशिश की है. इस मामले को एम्स प्रशासन और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी गंभीरता से लिया है. रविवार को बैठक के बाद मामले की जांच के लिए एक गोपनीय कमेटी बनाई गई, जो अपनी रिपोर्ट सीधे केंद्र को भेजेगी. साथ ही, HOD डॉ. मोहम्मद यूनुस को भी पद से हटा दिया गया है.   

डॉ प्रभात का कमाल: 15 लाख की मशीन की जरूरत खत्म, 80 रुपये के 'फॉलिस कैथेटर' से बच्चों की आहार नली में फंसा सिक्का निकलेगा

क्या है पूरा मामला? 

जानकारी के अनुसार, डॉ. रश्मि वर्मा अस्पताल से केनुला यानी IV लाइन लगवाकर घर गई थीं. जहां, उन्होंने एनेस्थीसिया (बेहोशी) की हाई डोज दवा खुद को इंजेक्ट कर ली. केनुला के कारण दवा सीधे नस में गई और कुछ ही मिनटों में उसका असर गया. कुछ देर बाद डॉ. रश्मि के पति ने उन्हें बेहोश देखा तो एम्स लेकर पहुंचे. इस सब में करीब 25 मिनट खराब हो गए. साथ ही, जब तक उन्हें एम्स लाया गया, तब तक कार्डियक अरेस्ट हो चुका था, हार्टबीट जा चुकी थी.   इमरजेंसी में डॉ. रश्मि को सीपीआर दिया गया, करीब सात मिनट बाद उनकी हार्टबीट वापस लौटी, लेकिन तब तक उनके ब्रेन को गंभीर नुकसान हो चुका था.

Advertisement
डॉक्टर के अनुसार, एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लेने के बाद डॉ. रश्मि का दिल करीब सात मिनट तक धड़कना बंद रहा. इस दौरान ब्रेन को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल सकी, जिससे ग्लोबल हाइपोक्सिया ब्रेन (मस्तिष्क की कोशिकाएं ठीक से काम करना बंद कर देती हैं) की स्थिति बन गई. 72 घंटे बाद हुई एमआरआई जांच में इसकी पुष्टि हुई है. डॉक्टरों का कहना है कि इस तरह का ब्रेन डैमेज कई मामलों में स्थायी हो सकता है, रिकवरी को लेकर कुछ भी निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता.

साथियों ने लगाए आरोप 
  

डॉ. रश्मि इमरजेंसी विभाग की अस्टिटेंट प्रोफसर हैं. उनके साथियों ने आरोप लगाया कि विभागाध्यक्ष काम का दवाब बनाते थे, विभाग में गुटबाजी है. इसी के चलते डॉ. रश्मि के आत्महत्या का प्रयास करने की बात सामने आ रही है. 

नागिन से मिलने आता था नाग…सागर की कॉलोनी में एक महीने से दहशत, 5 घंटे के रेस्क्यू के बाद निकला कोबरा जोड़ा

Advertisement

छुट्टी के दिन हाईलेवल मीटिंग, गोपनीय कमेटी बनाई  

डॉ. रश्मि का मामले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय तक पहुंच गया है. जिसके बाद रविवार को छुट्टी के दिन भी एम्स प्रबंधन और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की आपात बैठक हुई. इस बैठक में संकेत मिले कि यह मामला सिर्फ व्यक्तिगत तनाव का नहीं, बल्कि टॉक्सिक वर्क कल्चर और प्रशासनिक दबाव से भी जुड़ा हो सकता है. चूंकि कोई सामने नहीं आ रहा है इसलिए एम्स ने मामले की जांच के लिए गोपनीय कमेटी बनाई है, जो अपनी रिपोर्ट सीधे केंद्र को भेजेगी. 

HOD डॉ. मोहम्मद यूनुस हटाए गए 

बैठक के बाद ट्रॉमा एंड इमरजेंसी विभाग के HOD डॉ. मोहम्मद यूनुस को तत्काल प्रभाव से पद से हटा दिया गया. उन्हें एनेस्थीसिया विभाग से अटैच किया गया है, जहां वे अब रिपोर्टिंग भूमिका में काम करेंगे. इसके साथ ही एम्स ने ट्रॉमा और इमरजेंसी मेडिसिन विभाग को अलग करने का बड़ा फैसला लिया. अब ट्रॉमा विभाग न्यूरोसर्जरी के अंतर्गत काम करेगा, जबकि इमरजेंसी मेडिसिन मेडिसिन विभाग के अधीन रहेगा.

Advertisement

MP Weather Today: कड़ाके का जाड़ा और कोहरे की मार, 14 जिलों में अलर्ट, पचमढ़ी सबसे ठंडा; कब मिलेगी राहत?

हाई लेवल कमेटी करेगी जांच 

अब इस पूरे मामले की जांच के लिए एक हाई लेवल कमेटी गठित की जाएगी. यह कमेटी गोपनीय रूप से जांच कर अपनी रिपोर्ट सीधे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपेगी. सूत्रों के अनुसार, ट्रॉमा एंड इमरजेंसी विभाग में पहले भी एक महिला डॉक्टर ने HOD के खिलाफ शिकायत की थी, जिसकी जांच रिपोर्ट अब तक लंबित है.