![भारत भवन की 43वीं वर्षगांठ: रंगमंडल की वापसी का ऐलान, CM ने प्रदान किए 15 राज्य शिखर सम्मान भारत भवन की 43वीं वर्षगांठ: रंगमंडल की वापसी का ऐलान, CM ने प्रदान किए 15 राज्य शिखर सम्मान](https://c.ndtvimg.com/2025-02/h190ai7g_bharat-bhavan-43rd-anniversary-_625x300_13_February_25.jpg?im=FitAndFill,algorithm=dnn,width=773,height=435)
Bharat Bhavan 43rd anniversary: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि कलाएं स्वयं बोलती हैं. यह हमारे व्यवहार और भावनाओं से भी व्यक्त होती है. मध्यप्रदेश कला की धरती है. यहां से कई विश्व मान्य कला मनीषी हुए हैं. कलाओं और कलासाधकों से ही हमारी संस्कृति पोषित है, पल्लवित है. मध्यप्रदेश को विश्व में कला गौरव स्थल की पहचान दिलाने में भारत भवन की प्रमुख भूमिका है. हम सब भारत भवन के एक गौरवशाली अतीत के गवाह हैं. आज भारत भवन की 43वीं वर्षगांठ मनाते हुए हम बेहद गौरवान्वित हैं. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव गुरूवार को भारत भवन के मुक्ताकाश मंच से राज्य शिखर सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे.
मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को एक नई पहचान देते हुए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने वर्ष 2022 एवं 2023 के राज्य शिखर सम्मान प्रदान किए. इस अवसर पर 15 कला मनीषियों को उनके अतिविशिष्ट योगदान के लिए शॉल, श्रीफल, सम्मान पट्टिका एवं दो लाख रूपए की सम्मान राशि देकर अलंकृत किया गया. समारोह में संगीत, नृत्य, नाटक, जनजातीय एवं लोक कला, साहित्य तथा रंगकर्म के क्षेत्र में योगदान देने वाले कलाकारों, साहित्यकारों एवं रंगकर्मियों को शिखर सम्मान से सम्मानित किया गया.
‘कलाकार हमारे समाज की आत्मा'
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने राज्य शिखर सम्मान से सम्मानित सभी कला विभूतियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को आगे बढ़ाने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है. कलाकार हमारे समाज की आत्मा हैं, और उनका सम्मान हमारी प्राथमिकता है. कला के सम्मान से हम स्वयं सम्मानित होते हैं. मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने भारत भवन के 43वें स्थापना दिवस के खास बनाते हुए यहां रंगमण्डल को पुनः प्रारंभ करने की महत्वपूर्ण घोषणा की. मुख्यमंत्री ने कहा कि रंगमण्डल की वापसी सिर्फ रंगमंच ही नहीं, बल्कि पूरे कला जगत के लिए एक नया आनंद लेकर आयेगी. मुख्यमंत्री की इस घोषणा का सभी रंगमंच प्रेमियों और कलाकारों ने स्वागत किया. क्योंकि रंगमण्डल की वापसी इनके लिए किसी उत्सव से कम नहीं है. भारत भवन का रंगमण्डल वर्षों से प्रदेश के रंगकर्मियों और नाटक प्रेमियों के लिए एक प्रमुख मंच था, अब फिर से जीवंत होने जा रहा है. इसकी वापसी से युवा रंगकर्मियों को नए अवसर मिलेंगे और थिएटर को भी एक नई ऊर्जा मिलेगी. रंगमण्डल की पुनर्स्थापना से प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत और भी समृद्ध होगी.
राज्य शिखर सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास और धर्मस्व राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेन्द्र सिंह लोधी ने कहा कि भारत भवन हमारी कला आस्था का केन्द्र रहा है.
भारत भवन सभी कला विधाओं का संगम
भारत भवन के न्यासी अध्यक्ष वामन केंद्रे ने कहा कि भारत भवन सभी कला विधाओं का संगम है. सदियों से विभिन्न कला एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का संचालन यहां से होता रहा है. भोपाल को देश के प्रमुख सांस्कृतिक केन्द्र का दर्जा दिलाने में भारत भवन की भूमिका निरापद रूप से सराहनीय रही है. उन्होंने मुख्यमंत्री से भारत भवन के विकास और यहां रंगमण्डल पुन: प्रारंभ करने की मांग रखी.
प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन तथा भारत भवन के न्यासी सचिव शिवशेखर शुक्ला ने भारत भवन की 43 साल से चल रही कला साधना यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि दिलों में कला और इसके प्रति प्रेम का संचार करने वाले कला विभूतियों का सम्मान कर हम स्वयं गौरवान्वित हैं. भारत भवन समेकित रूप से कलाओं का उत्कृष्ट केन्द्र है. कलाओं के संवर्धन और कलाकारों के प्रोत्साहन के क्षेत्र में यह देश का एक अनूठा और अनुपम कला केन्द्र है.
9 विधाओं में इन 15 कला मनीषियों को मिला राज्य शिखर सम्मान
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने विभिन्न कला क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 15 कला मनीषियों को वर्ष 2022 एवं 2023 के राज्य शिखर सम्मान प्रदान किया. समारोह में डॉ. उर्मिला शिरीष (भोपाल) को हिन्दी साहित्य के लिए वर्ष 2022 का शिखर सम्मान दिया गया. महमूद अहमद सहर (उज्जैन) को उर्दू साहित्य के लिए वर्ष 2023 का शिखर सम्मान दिया गया. डॉ. मिथिला प्रसाद त्रिपाठी (इंदौर) को संस्कृत साहित्य के लिए वर्ष 2022 का और डॉ. गोविंद दत्तात्रेय गंधे (उज्जैन) को संस्कृत साहित्य के लिए ही वर्ष 2023 का शिखर सम्मान दिया गया.
इसी क्रम में विदुषी कल्पना झोकरकर (इंदौर) को शास्त्रीय संगीत के लिए वर्ष 2022 का और विदुषी शाश्वती मण्डल (दिल्ली) को भी शास्त्रीय संगीत के लिए ही वर्ष 2023 का शिखर सम्मान दिया गया. मोहिनी मोघे पूछवाले (जबलपुर) को शास्त्रीय नृत्य के लिए वर्ष 2022 का और विदुषी भारती होम्बल (भोपाल) को भी शास्त्रीय नृत्य के लिए ही वर्ष 2023 के शिखर सम्मान से अलंकृत किया गया. रूपंकर कलाएं श्रेणी में ईश्वरी रावल (इंदौर) को वर्ष 2022 का और इसी श्रेणी में हरि भटनागर (जबलपुर) को वर्ष 2023 का शिखर सम्मान दिया गया. श्रीराम जोग (इंदौर) को नाट्य कला के लिए वर्ष 2022 का और इसी कला संवर्ग में सतीश दवे (उज्जैन) को वर्ष 2023 का शिखर सम्मान दिया गया. जनजातीय एवं लोक कलाएं श्रेणी में रामसिंह उर्वेती (पाटनगढ़) को वर्ष 2022 का एवं इसी श्रेणी में कैलाश सिसोदिया (धार) को वर्ष 2023 के राज्य शिखर सम्मान से अलंकृत किया गया. दुर्लभ वाद्य वादन श्रेणी में पंडित सुनील पावगी (ग्वालियर) को वर्ष 2023 के शिखर सम्मान से अलंकृत किया गया.
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