
Betwa River Origin Point: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की पहचान और जीवनदायिनी कही जाने वाली बेतवा नदी (Betwa River) आज अपने अस्तित्व की बड़ी लड़ाई लड़ रही है. रायसेन (Raisen) जिले के झिरी ग्राम से निकलने वाली यह नदी अब पूरी तरह से सूख चुकी है. सीएम मोहन यादव (Dr. Mohan Yadav) ने हाल ही में इस नदी में नर्मदा (Narmada RIver) का पानी मिलाने की घोषणा की थी, लेकिन आज तक यह केवल कागजों में ही रह गई... नतीजा यह हुआ कि आज बेतवा नदी सूखी, दम तोड़ती और कराहती हुई नजर आ रही है... जिन पुलों के नीचे और उद्गम स्थलों पर कभी लहराती जलधाराएं बहा करती थीं, वहां अब सिर्फ सूखी धरती और काई जमी हुई जलधाराएं नजर आ रही हैं. यह केवल एक नदी का सूखना नहीं, बल्कि रायसेन, विदिशा (Vidisha) और आसपास के इलाकों के लिए बड़े जल संकट की चेतावनी है.

लगातार सूखती जा रही बेतवा नदी
सूख गया उद्गम स्थल
एमपी के रायसेन जिले में बेतवा का उद्गम स्थल अब सूख चुका है. बोरिंग के कारण जलधारा टूट चुकी है और पानी का बहाव थम चुका है. यह समस्या केवल रायसेन तक सीमित नहीं है, बल्कि बेतवा के पूरे जलमार्ग को प्रभावित कर रही है.

बेतवा नदी का उद्गम स्थल
'पुरातन काल से निकल रहा था पानी'
इस क्षेत्र के जानकार गोपाल दास महाराज बेतवा नदी के बारे में बताते हैं कि 'यहां पुरातन काल से एक बावड़ी थी, जिसमें से पानी निकलता था और वहीं से बेतवा नदी की धारा शुरू होती थी. लेकिन, देखरेख के अभाव में अब यह पूरी तरह सूख गई है.' दूसरी तरफ, राकेश मीणा का कहना है कि रायसेन से लेकर विदिशा तक बेतवा के जल को रोकने और बोरिंग के जरिए पानी को निकाला जा रहा है. जंगलों को काटकर और नदी के प्राकृतिक प्रवाह को रोक कर इसे बर्बाद किया जा रहा है. बेतवा को खत्म करने की यह साजिश बहुत ही गंभीर है.

लगातार सूखती जा रही बेतवा नदी
क्या है कारण
बेतवा का यह हाल सिर्फ मौसम की मार नहीं, बल्कि इंसानी लालच और लापरवाही का नतीजा भी है. गैरकानूनी तरीकों से जंगलों को काटना, रेत का अवैध उत्खनन और तेजी से घटती जा रही बारिश ने इस नदी को मौत के कगार पर ला खड़ा किया है. विचारक बृजेंद्र पांडे कहते हैं कि बेतवा आज अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही है. 40 साल पहले हमने एक आंदोलन किया था, जब भोपाल के कलियासोत का गंदा पानी इस नदी में मिलाया गया था. कलेक्टर और सांसद से कई बार निवेदन किया लेकिन आज तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला.
किसानों ने बताई परेशानी
किसान लक्ष्मण मीणा ने कहा, "बेतवा की जलधारा पूरी तरह टूट चुकी है. यह बेहद चिंताजनक और निंदनीय विषय है. आज बेतवा की यह हालत हो गई और किसी ने इसकी सुध नहीं ली. हर बार की तरह, अधिकारी इस बार भी अपना रटा-रटाया बयान देकर पल्ला झाड़ रहे हैं."

कलेक्टर ने कही ये बात
रायसेन कलेक्टर अरुण कुमार विश्वकर्मा ने बेतवा की खराब हालत को लेकर कहा, 'रायसेन के लिए यह सौभाग्य की बात है कि बेतवा का उद्गम यहीं से होता है. यह एक आस्था का केंद्र भी है. हमने इस पर काम करने की योजना बनाई है और जल्द ही इसके परिणाम दिखाई देंगे.'
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क्या फिर जिंदा हो सकती है बेतवा?
बेतवा सिर्फ एक नदी नहीं, बल्कि रायसेन, विदिशा और मध्य प्रदेश की धरोहर है. अगर समय रहते हमने इसे बचाने के लिए कदम नहीं उठाए, तो आने वाली पीढ़ियां सिर्फ सूखी नदी का इतिहास ही पढ़ेंगी. हमें चाहिए कि आज ही से जागें, मिलकर प्रयास करें और बेतवा को फिर से जीवन दें.
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