Unique Initiative: जबलपुर जिले में भिखारी मुक्त अभियान के तहत एक अनूठी योजना की शुरूआत की जा रही है, इसके तहत अब भिखारियों को खासकर बच्चों को पैसे की जगह कूपन दिए जाएंगे. यह अनूठी योजना शहर में भिक्षावृत्ति के खिलाफ एक जागरूकता अभियान के तहत शुरू की जाएगी.
लोगों का नजरिया बदलने की कोशिश करेगी प्रशासन
जबलपुर जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना ने योजना के बारे में बताते कहा कि इसमें रोटरी जैसे प्रमुख सामाजिक संगठनों को शामिल किया जा रहा है. कलेक्टर ने कहा कि जिला प्रशासन लोगों की यह मानसिकता बदलने के लिए प्रयास करेगी, वह बच्चों को नकद पैसे देकर दान नहीं कर रहे हैं, बल्कि उनका भविष्य बिगाड़ रहे हैं.
योजना में सामाजिक संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी
कलेक्टर ने स्पष्ट किया कि अक्सर लोग सड़क पर बच्चों को पैसे देकर मदद करने की कोशिश करते हैं, लेकिन इससे बच्चों को शिक्षा और बेहतर जीवन से जोड़ने की प्रक्रिया बाधित होती है. कलेक्टर ने कहा कि, इस सोच को बदलने और एक दीर्घकालिक समाधान पेश करने के लिए प्रशासन रोटरी जैसे संगठनों के साथ मिलकर काम करेगा ताकि लोगों को भिखारियों के शिक्षा और पुनर्वास में योगदान देने के लिए प्रेरित किया जा सके.
जबलपुर में नकद के बदले कूपन योजना की शुरूआत
दीपक सक्सेना ने बताया कि प्रशासन ने नकद के बदले कूपन देने की एक नई योजना बनाई है. इसके तहत, दान करने वाले लोगों को कुछ चुनी हुई दुकानों के कूपन दिए जाएंगे, जहां से गरीब और जरूरतमंद लोग निर्धारित सामग्री ले सकेंगे. यह योजना नकद दान की जगह सामग्री आधारित सहायता देने पर केंद्रित है, जिससे भिक्षावृत्ति को हतोत्साहित किया जा सके और जरूरतमंद लोगों को सही तरीके से सहायता मिल सके.
रोटरी ने जिला प्रशासन की पहल का किया समर्थन
रोटरी के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अखिल मिश्रा ने जिला प्रशासन की पहल का समर्थन देते हुए कहा कि रोटरी के सभी सदस्य इस महत्वपूर्ण कार्य में अपना योगदान देंगे और बच्चों के पुनर्वास की दीर्घकालिक योजना पर काम करेंगे. उन्होंने कहा कि रोटरी के सदस्य विभिन्न चौराहा पर भी लोगों को जागरूक करने का प्रयास करेंगे कि वह बच्चों को नकद पैसे ना दें.
नकद पैसे बच्चों के में नशे की प्रवृत्ति को बढ़ा रहे हैं
कहा जाता है कि यदि आपने एक बार किसी एक बच्चों को एक रुपया भी दे दिया तो आपने उसे जिंदगी भर के लिए भिखारी बना दिया. जबलपुर प्रशासन द्वारा उठाया गया यह कदम भिक्षावृत्ति को समाप्त करने और बच्चों के बेहतर भविष्य के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास साबित हो सकता है.
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