Balaghat Ganesh Dev Temple: मध्य प्रदेश के बालाघाट जिला वनों के लिए जाना जाता है. पहले कान्हा नेशनल पार्क और अब सोनेवानी कंजर्वेशन रिजर्व पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है. यहां के घने जंगल और वन्य प्राणी तो खास है ही, लेकिन एक ऐसा मंदिर भी है, जो इन दिनों आस्था का केंद्र बना हुआ है. दरअसल, घने जंगलों के बीचों-बीच गणेश देव मंदिर स्थित है. इस मंदिर की खास बात ये है कि यह सिर्फ साल में एक बार खुलता है. साथ ही इस मंदिर में स्थापित गणेश देव की प्रतिमा सदियों पुरानी भी बताई जाती है.
घने जंगलों के बीचों-बीच है गणेश देव मंदिर
सोनेवानी कंजर्वेशन रिजर्व स्थित गणेश देव मंदिर इसके लिए हमें घने जंगल, पहाड़ और नदी पार कर जाना पड़ा, साथ वन्य प्राणियों का खतरा भी बना हुआ था. यहां जाने पर वन विभाग ने प्रतिबंध लगा दिया है. वन विभाग की अनुमति लेकर स्थानीय लोगों के साथ मंदिर का सफर का शुरू किया. गणेश देव मंदिर वन ग्राम चिखलाबड्डी और सोनेवानी के बीच है. यहां पहुंचना काफी कठिन माना जाता है. ऐसे में यहां पर साल में एक बार ही लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
साल में एक बार ही खुलता है मंदिर
पूर्व मुखी गणेश मंदिर साल में एक बार ही खुलता है. यह गणेश चतुर्थी के दौरान आम लोगों को आने की अनुमति रहती है. ऐसे में बालाघाट और सिवनी के रहने वाले लोग भगवान के दर्शन के लिए आते हैं.
मंदिर की प्रतिमा है बेहद खास
घने जंगलों की बीच स्थित भगवान गणेश की प्रतिमा चौदहवीं शताब्दी की बताई जाती है. इस प्रतिमा में भगवान गणेश अपनी सवारी मूषक पर सवार है. ये प्रतिमा 5 फिट ऊंची है. ऐसा माना जाता है कि गणेश जी की प्रतिमा के नीचे एक किला दबा हुआ है. जंगल के काफी अंदर होने की वजह से इस मंदिर के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. जंगल में बाघ, तेंदुए, भालू समेत कई जंगली जानवर डेरा डाले रहते हैं.
4 दशक पहले ऐसा क्या हुआ
ग्रामीणों का कहना है कि करीब 4 दशक पहले सिवनी जिले के आष्टा और चंदौरी के कुछ लोग मूर्ति को अपने गांव ले जाना चाहते थे. लेकिन जिस ट्रैक्टर से मूर्ति ले जा रहे थे वह दो भागों में बट गया. लेकिन मूर्ति अपनी जगह से एक इंच भी नहीं हिली.
मंदिर जाते समय सतर्क रहने की चेतावनी
वन विभाग का कहना है कि सोनेवानी कंजर्वेशन रिजर्व में स्थित गणेश देव मंदिर जाते वक्त सावधान रहने की चेतावनी दी है. ऐसा इसलिए है क्योंकि घने जंगल में बाघ, चिता, भालू सहित कई वन्य प्राणी है.