पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) का जन्मदिन आज पूरे देश में श्रद्धा और गर्व के साथ मनाया जा रहा है, लेकिन विदिशा में यह दिन सिर्फ जनप्रतिनिधि की यादों का दिन नहीं… यह एक भावनात्मक जुड़ाव का उत्सव है. वो जुड़ाव जो 1991 के लोकसभा चुनावों में जन्मा था और आज भी यहां की हवा में, यहां की गलियों में जिंदा है.
जब विदिशा ने अटल जी को अपना ‘अटल' बना लिया
वर्ष 1991 में लोकसभा चुनाव की हलचल के दौरान विदिशा में एक खबर आग की तरह फैली, जिसमें पता चला कि अटल जी विदिशा आ रहे हैं. और फिर जो हुआ, उसे भारतीय राजनीति आज भी उदाहरण के रूप में याद करती है. कांग्रेस के नेता प्रताप भानु शर्मा बताते हैं कि राजीव गांधी ने खुद उन्हें फोन कर कहा था- “जहां से अटल जी चुनाव लड़ रहे हों, वहां कांग्रेस नहीं लड़ेगी… आप दूसरी सीट से लड़ लें.”

यह वक्त था दलगत राजनीति से ऊपर उठकर किए सम्मान का. उस समय विदिशा की जनता, चाहे किसी भी पार्टी की हो, अटल जी के स्वागत में एक साथ खड़ी थी.
नामांकन के बाद रोड शो, और विदिशा हो गया अटलमय
लोकसभा सांसद का चुनाव लड़ने के लिए जब विदिशा में अटल जी ने नामांकन के बाद रोड शो किया तो पूरा शहर अटलमय हो गया था. नामांकन से लेकर धन्यवाद सभा तक, हर जगह सिर्फ एक ही नारा “अटल जी-अटल जी” सुनाई दे रहा था.
पूर्व वित्त मंत्री राघवजी की बेटी ज्योति शाह ने टीका किया
उस दौरान पूर्व वित्त मंत्री राघवजी की बेटी ज्योति शाह ने अटल बिहारी वाजपेयी का टीका किया. कार्यकर्ताओं ने नोटों की मालाएं पहनाईं. चंदा भी हुआ, सम्मान भी. अटल जी जब भी सभाओं के बाद देर रात लौटते तो सीधे डॉ. दातार साहब के कार्यालय पहुंच जाते थे.

वह कार्यकर्ताओं से मुस्कुराकर कहते थे- “थकना मना है… सुबह फिर काम पर लौटना है.” यह उनका स्नेह ही था, जिसने कार्यकर्ताओं को परिवार बना दिया.
वह एक तस्वीर… जो इतिहास बन गई
रोड शो के दौरान एक 6 महीने के बच्चे राहुल सोनी को अटल जी ने गोद में उठाया था. आज राहुल मुंबई में इंजीनियर हैं, लेकिन वह तस्वीर अटल जी के घर से लेकर
अनगिनत किताबों तक अमर है.
लखनऊ से जीते पर विदिशा को दिल में रखा
अटल जी लखनऊ और विदिशा दोनों सीटों से लोकसभा का चुनाव जीते, लेकिन पर पीएम बनने की राह पर आगे बढ़ते हुए उन्हें विदिशा छोड़नी पड़ी. लेकिन विदिशा ने अटल जी को कभी नहीं छोड़ा।
यहां की जनता ने कहा-“एक बार आए तो दिल में बस गए”
जहां-जहां भाजपा मजबूत है, वहां अटल की छाप है. विदिशा लोकसभा
16 चुनावों में से 14 बार भाजपा के पास रही. सुषमा स्वराज, शिवराज सिंह चौहान... कई बड़े नाम इसी परंपरा को आगे बढ़ाते रहे.
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