Ground Report: शराब की लत से क्राइम बढ़ा, फिर महिलाओं ने ऐसा किया कि पूरा गांव सुधर गया, जानिए पूरी कहानी

Liquor Free Village: मध्य प्रदेश में एक ऐसा गांव था जहां अवैध शराब की वजह से आए दिन झगड़े होते थे, महिलाओं पर अत्याचार होते थे, हालात ये हो गए थे कि बच्चों तक शराब की लत पहुंच रही थी. इस समस्या की वजह से कोई पिता इस गांव में अपनी बेटी की शादी करने को तैयार नहीं था. महिलाएं घर छोड़कर जा रही थी. फिर एक दिन महापंचायत हुई और उसके बाद बदलाव की शुरुआत हो गई. पढ़िए NDTV की खास ग्राउंड रिपोर्ट...

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Alcohol Free Village in MP: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के टीकमगढ (Tikamgarh) जिले में जो काम शासन और प्रशासन नहीं कर सका, वह काम गांव की जागरुक महिलाओं और लोगों ने कर दिखाया. इस सराहनीय काम की वजह से टीकमगढ जिले का अंतोरा गांव (Antora Village) मिशाल बनकर सामने आया है. जी हां! टीकमगढ जिले के अंतोरा गांव की आबादी महज 2500 के आसपास है. इस गांव में सभी समाज के लोग निवास करते हैं. जिसमे सबसे ज्यादा लोग किसान वर्ग के हैं. कुछ समय पहले तक इस गांव में खुलेआम शराब बिकती थी. जिससे गांव के युवाओं में शराब की लत बढ़ रही थी. वहीं नशे और शराब की वजह से गांव में लड़ाई-झगड़े व महिलाओं के साथ मारपीट जैसी हिंसक घटनाएं बढ़ रही थीं. लेकिन अब हालात बदल गए हैं. आइए बदलाव की पूरी कहानी समझते हैं. एनडीटीवी की इस खास ग्राउंड रिपोर्ट (NDTV Ground Report) में...

कई परिवार हुए बर्बाद, फिर ऐसे हुई शुरुआत

पहले इस गांव के हर मोहल्ले में अवैध शराब मिलने से लोग शराब की लत से ग्रस्त हो गए थे. शराब पीकर अपने घर की महिलाओं के साथ मारपीट करते थे. जिससे कई परिवार बबार्द हो गए और कई महिलाएं शराब के चलते अपने पतियों को छोड़कर भाग गईं. पूरे गांव में अशांति का माहौल निर्मित हो गया था. जिससे लोग परेशान हो गए थे.

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पुलिस और आबकारी अफसरों से शिकायत की गई. जिले के वरिष्ठ अधिकारियों से भी शराब बन्द करवाने को लेकर कई बार आवेदन दिए गए. जब कुछ नहीं हुआ तब गांव के ही बुजुर्गों और कुछ महिलाओं ने इसकी कमान संभाली.

इन्होंने गांव लोगों को प्रेरित कर गांव में मन्दिर के पास बने चबूतरे पर एक महापंचायत बुलाई और लोगों को हिदायत दी कि यदि गांव के बच्चो का भविष्य बचाना है और महिलाओं पर हो रहे अपराधों को रोकना है तो सभी को मिलकर गांव में बिकने वाली अवैध शराब को बन्द करवाना होगा. तभी गांव का विकास होगा.

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इस तरह हुआ 'शराबबंदी' का काम

पंचाय में हुए फैसले को लेकर गांव में मुनादी करवाई गई और गांव में फिर से पंचायत बुलाई गई. फिर उसमे निर्णय लिया गया कि जो भी व्यक्ति गांव में अवैध शराब बेचता पाया गया तो उस पर 21 हजार रुपए का जुर्माना लगेगा और जो शराब पीते पाया गया और शराब पीकर उत्पाद मचाते देखा गया तो उस पर 11 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा. पंचायत के फैसले का सभी ने समर्थन किया. कुछ लोगों पर जुर्माना लगाया गया, तभी से आज तक इस गांव में अब अवैध और कोई भी शराब नहीं बेची जाती.

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आ गई बदलाव की बहार

अब इस गांव के हालत बदल गए हैं. इस गांव में अब कोई शराब नहीं पीता है अब गांव की दिशा और दशा बदल गई. यहां की महिलाओ का कहना है कि पहले यह गांव बर्बाद हो गया था. आए दिन मारपीट, लड़ाई-झगड़ा होता, चौराहों पर शराबी शराब पीकर गाली-गलौज करते थे. महिलाओ के साथ छेड़खानी की घटनाएं घटित होती थीं. छोटे-छोटे बच्चे शराब पीने लग गए थे. मगर अब सब ठीक हो गया. पहले गांव में लड़कों की शादी के लिए लोग नहीं आते थे. मगर अब तीन-चार माह से गांव में सब ठीक हो गया है.

गांव के बुजुर्गों का कहना रहा गांव की पंचायत होने से अब गांव में न शराब बिकती है और न अब कोई व्यक्ति शराब पीकर उत्पाद मचाता है. जो लोग शराब पर पैसे बर्बाद करते थे. अब वही लोग वह पैसे अपने बच्चो की परवरिश और शिक्षा पर खर्च कर रहे हैं. जिससे यह गांव जिले के लिए आदर्श गांव बनकर उभरा है.

इस गांव के जागरूक लोगों की पहल ने इस गांव को आखिरकार एक नई रोशनी दी. यदि इसी तरह हर गांव के लोग एकजुट होकर जागरूकता का परिचय दे तो सभी गांव शराब से मुक्त हो सकते है. टीकमगढ जिले के पुलिस अधीक्षक का कहना है कि अंतोरा गांव के लोगों और महिलाओं की जागरूकता का परिचय है. जिन्होंने इस गांव को शराब से मुक्त करवाया, जिससे इस गांव में अपराध कम हुए है.

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