MP News: पति अपनी पत्नी का प्रसव कराने पहुंचा हॉस्पिटल, लेकिन जाना पड़ेगा जेल, वजह जानकर रह जाएंगे दंग

Husband in Jail: जबलपुर में एक पति अपनी गर्भवती पत्नी को अस्पताल लेकर पहुंचा और प्रसव का इंतजार करने लगा. लेकिन, बच्चे के जन्म से पहले ही पुलिस आ गई... पुलिस ने पति और उसकी सास से गहन पूछताछ की. अगर दोष सिद्ध होता है, तो पति और सास सहित अन्य घरवालों को भी जेल जाना पड़ेगा.

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MP Crime News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के जबलपुर (Jabalpur) के नजदीकी गांव मझौली (Majhauli) से प्रसव के लिए मेडिकल अस्पताल (Medical Hospital) में भर्ती की गई प्रसूता (Pregnant) के उम्र संबंधी दस्तावेज देखकर डॉक्टरों के होश उड़ गए... गंभीर अवस्था में मझौली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से मेडिकल अस्पताल जबलपुर में रेफर की गई प्रसूता की हालत गंभीर थी.. जब डॉक्टर ने उसकी प्रसव (Delivery) संबंधी चिकित्सा प्रारंभ की, तो उन्हें शक हुआ कि प्रसूता की उम्र कम है. लेकिन, गंभीर अवस्था को देखते हुए प्रसव कराया गया. प्रसव के बाद जब प्रसूता के भर्ती संबंधी पेपर की जांच की गई, तो उसमें 17 वर्ष उम्र लिखी गई थी. गहरी पूछताछ के बाद मालूम हुआ कि प्रसूता की उम्र 15 वर्ष के लगभग है. मेडिकल प्रशासन द्वारा पुलिस को तत्काल सूचना दी गई, जिससे पति और परिवार के चार अन्य सदस्यों पर बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम (Prohibition of Child Marriage Act) और पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है.

कटनी जिले से किशोरी की शादी

मझौली थाना क्षेत्र निवासी युवक की साल भर पहले शादी कटनी जिले की किशोरी से हुई थी. तब किशोरी की उम्र 15 साल या इससे कम ही रही थी. इस बाल विवाह के बारे में कोई सूचना न मिलने पर प्रशासन द्वारा कार्रवाई नहीं की गई और बाल विवाह संपन्न हो गया. किशोरी पति के घर मझौली थाना क्षेत्र में रह रही थी. मेडिकल अस्पताल प्रबंधन ने पुलिस को सूचना दी. जिसकी जांच की गई तो पता चला कि किशोरी 15 साल 9 माह की है. पुलिस ने उसके खिलाफ बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया. 

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भारत सरकार ने बाल विवाह निरोधक अधिनियम 1929 के कानून के स्थान पर बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 को अधिनियमित किया. गौरतलब है कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 की धारा 9 के अनुसार, अगर 18 वर्ष से अधिक आयु का वयस्क पुरुष बाल-विवाह करेगा, तो उसे कठोर कारावास (जिसमें दो साल की जेल या एक लाख रुपए तक का जुर्माना) या दोनों सजा हो सकती है.

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पॉक्सो एक्ट: बाल यौन शोषण से सुरक्षा

पॉक्सो एक्ट (Protection of Children from Sexual Offences Act) 2012, बाल यौन शोषण के मामलों में सख्त कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है. इस अधिनियम के तहत बच्चों (18 वर्ष से कम आयु) के खिलाफ यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी के मामलों में सजा का प्रावधान है. इसमें धारा 3 से 10 तक विभिन्न अपराधों को परिभाषित किया गया है. पॉक्सो एक्ट के तहत दोष सिद्ध होने पर दोषियों को कठोर कारावास की सजा हो सकती है, जो 20 साल से लेकर आजीवन कारावास तक हो सकती है.

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