
Lord Ram Statue Made in Gwalior: प्रभु श्रीराम के ननिहाल पक्ष कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में भगवान राम की एक विशाल प्रतिमा स्थापित होने जा रही है. 51 फीट की ये प्रतिमा ग्वालियर में बनकर तैयार हो गई है. राम की इस प्रतिमा को ग्वालियर के मशहूर टिंटेड मिंट पत्थर (मिंट स्टोन) से तैयार किया गया है. 51 फीट की ये मूर्ति रायपुर से लगभग 25 किलोमीटर दूर चंदखुरी में लगाई जाएगी. चंदखुरी वो ऐतिहासिक स्थल है जिसे माता कौशल्या की जन्मस्थली और मायका माना जाता है और यह राम वनगमन पथ की महत्वपूर्ण कड़ी है.
रायपुर से 25 किलोमीटर दूर स्थापित होंगी भगवान श्रीराम की विशाल प्रतिमा.
राम पथगमन पर स्थापित होंगी यह प्रतिमा
शिल्पकार दीपक विश्वकर्मा दे रहे हैं इसे आकार.
छत्तीसगढ़ सरकार करवा रही हैं इसे स्थापित.
मतलब छत्तीसगढ़ में रामवन गमन पथ ग्वालियर की भी छाप दिखाई देगी. दरअसल, ग्वालियर के टिडमिंट पत्थर से बनी भगवान राम की 51 फीट की प्रतिमा छतीसगढ़ के रायपुर में लगाई जाएगी.

पत्थर में उकेरा गया पुष्प हार. 108 पत्थरों से आकर्षण रुद्राक्ष की माला तैयार किया गया.
25 कलाकारों ने 7 महीने में तैयार की मूर्ति
एनडीटीवी की टीम ग्वालियर के प्रसिद्ध कलाकार और नेशनल अवॉर्ड विजेता दीपक विश्वकर्मा से खास बातचीत की. दीपक विश्वकर्मा ने बताया कि उन्होंने और उनकी टीम के करीब 25 कलाकारों ने 7 महीने तक दिन रात मेहनत की है. इस पूरी प्रतिमा को ग्वालियर मिंट स्टोन से तैयार किया गया है और अलग-अलग पत्थरों को जोड़कर इसे एक स्वरूप दिया गया है.
शिल्पकार दीपक विश्वकर्मा मूर्ति को दे रहे आकार
इस प्रतिमा को बनाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से दीपक को डिजाइन उपलब्ध कराया गया था. उसी डिजाइन को दीपक ने पत्थर में हूबहू उकेरा है.

खड़ाऊ काफी आकर्षक बनाए गए हैं.
जानें वनवासी स्वरूप भगवान राम की प्रतिमा की खासियत
यह प्रतिमा भगवान श्री राम के वनवासी स्वरूप में है. इस भव्य प्रतिमा की ऊंचाई 51 फीट है. पूरी प्रतिमा ग्वालियर के मिंट स्टोन से बनाई गई है. हालांकि इसे तीन भागों में तैयार किया गया है, जो स्थापना के दौरान जोड़ा जाएगा. इस प्रतिमा में राम की सुंदरता और वनवासी रूप को दर्शाने के लिए पुष्प हार को पत्थर में ही उकेरा गया है. इसके अलावा प्रतिमा को 108 उकेरे गए रुद्राक्ष की मालाओं से सुसज्जित किया गया है. वहीं खड़ाऊ भी काफी आकर्षक बनाई गई है. बता दें कि इस मूर्ति को तैयार करने में करीब 70 टन टिडमिंट पत्थर का उपयोग किया गया है.