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Dhar: सरकारी छात्रावास के 17 बच्चों को सिकल सेल बीमारी होने से मचा हड़कंप, अस्पताल में कराया गया भर्ती

MP News: धार में एक सरकारी छात्रावास के 17 बच्चे सिकल सेल से बीमार हो गए. जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए भोज अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

Dhar: सरकारी छात्रावास के 17 बच्चों को सिकल सेल बीमारी होने से मचा हड़कंप, अस्पताल में कराया गया भर्ती
सिकल सेल से पीड़ित बच्चों का इलाज भोज अस्पताल में किया जा रहा है.

Sickle Cell Disease: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के धार (Dhar) में एक आवासीय छात्रावास के 17 बच्चों में अनुवांशिक सिकल सेल बीमारी (Sickle Cell) के लक्षण पाए गए. जिसके बाद इन बच्चों को इलाज के लिए भोज चिकित्सालय (Bhoj Hospital) में भर्ती किया गया है. बता दें कि धार जिला आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, जहां अवेयरनेस की कमी के कारण बच्चों में सिकल सेल की बीमारी पाए जाने के मामले देखने को मिलते है. छात्रावास में रहने वाले बच्चों में यह बीमारी चिंता का विषय भी बन जाती है.

ताजा मामला धार ग्राम लबरावदा रोड़ पर स्थित एकलव्य आवासीय छात्रावास का है. इस छात्रावास में रहने वाले 17 बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान अनुवांशिक सिकल सेल बीमारी के लक्षण पाए गए.

ऐसे सामने आया मामला

बता दें कि शासन के आदेशानुसार स्वास्थ्य विभाग की टीम बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करने छात्रावास पहुंची थी. जहां परीक्षण के दौरान 17 बच्चों में अनुवांशिक सिकल सेल बीमारी के लक्षण पाए गए, जिन्हें तत्काल एंबुलेंस की सहायता से धार के जिला भोज चिकित्सालय में इलाज के लिए पहुंचाया गया. छात्रावास में रहकर पढ़ने वाले विद्यार्थियों में इस बीमारी के लक्षण पाए जाने से सरकारी महकमे में हड़कंप मच गया. जिले में संचालित अन्य सरकारी छात्रावासों में स्वास्थ्य परीक्षण कराने पर संभव है कि और भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं.

15 बच्चों को चढ़ाया जाएगा ब्लड

छात्रावास के सिकल सेल बीमारी के लक्षण पाए गए 17 बच्चों के रक्त परीक्षण के बाद 15 बच्चे पॉजिटिव पाए गए, जबकि दो बच्चे नॉर्मल हैं. अस्पताल सूत्रों के अनुसार, इन 15 बच्चों में से कुछ बच्चों में हीमोग्लोबिन की कमी पाए जाने पर उन्हें रक्त चढ़ाया जाएगा. इस संबंध में जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर सुधीर मोदी ने बताया कि यह बीमारी अनुवांशिक है और धार जिले के आदिवासी अंचलों में इसका ज्यादा प्रभाव देखा जाता है. इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है. परिवार के माता-पिता को ही अपने बच्चों का ध्यान खाने-पीने पर रखना होगा. यदि बच्चे स्वस्थ रहेंगे तो इस बीमारी से लड़ सकेंगे.

इस बीमारी से होती हैं ये समस्याएं

भोज चिकित्सालय के प्रभारी और सिविल सर्जन डॉक्टर जितेंद्र चौधरी के अनुसार, सभी प्रभावित 17 छात्रों को जिला चिकित्सालय लाया गया है. जहां पर उनकी पूरी जांच के बाद रिकार्ड आने पर सिकल सेल बीमारी की पुष्टि हो सकेगी. फिलहाल सभी बच्चों को प्रारंभिक जांच के बाद आवश्यक उपचार दिया जा रहा है. बता दें कि सिकल सेल बीमारी को अनुवांशिक गंभीर बीमारी बताई जाती है. जिसमें खून की कोशिकाओं के बिखरने व चटकने के कारण बच्चों में असहनीय पीड़ा होती हैं.

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