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Shardiya Navratri 2024: पहले दिन करें मां शैलपुत्री की पूजा, मंत्र से आरती तक सब कुछ है यहां

Shardiya Navratri 2024: दुर्गा पूजा के दौरान नवरात्रि में पहले दिन मां शैलपुत्री के स्वरूप को पूजा जाता है. ऐसी मान्यता है कि माता शैलपुत्री की पूजा से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. आइए हम आपको बताते हैं कि शारदीय नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री के स्वरूप की पूजा कैसे की जानी चाहिए, पूजा की विधि (Puja Vidhi) क्या है, माता का मंत्र और उन्हें किस चीज का भोग लगाना चाहिए.

Shardiya Navratri 2024: पहले दिन करें मां शैलपुत्री की पूजा, मंत्र से आरती तक सब कुछ है यहां

Shardiya Navratri 2024, Maa Shailputri Puja: मां दुर्गा (Durga Maa) सभी दुखों को हरने वाली हैं. वे अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करती तथा उनकी हर मनोकामना पूरी करती हैं. इतना ही नहीं दुर्गा मां का नाम लेने से ही सारे कष्टों का निवारण अपने आप ही हो जाता है. नवरात्रि (Navratri) में दुर्गा पूजा (Durga Puja 2024) के पहले दिन मां शैलपुत्री (Shailputri Mata) की पूजा की जाती है. मार्कण्डेय पुराण के अनुसार देवी का यह नाम हिमालय के यहां जन्म होने से पड़ा. हिमालय हमारी शक्ति, दृढ़ता, आधार व स्थिरता का प्रतीक है. मां शैलपुत्री को अखंड सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है. नवरात्रि के प्रथम दिन योगीजन अपनी शक्ति मूलाधार में स्थित करते हैं व योग साधना करते हैं.

माता का मंत्र (Shailputri Mantra)

शैलपुत्री का आराधना करने से जीवन में स्थिरता आती है हिमालय की पुत्री होने से यह देवी प्रकृति स्वरूपा भी है. माता को पीला रंग पसंद है. स्त्रियों के लिए उनकी पूजा करना ही श्रेष्ठ और मंगलकारी है. मां शैलपुत्री का मंत्र इस प्रकार है:-

वन्दे वांछित लाभाय चन्द्राद्र्वकृतशेखराम्
वृषारूढ़ा शूलधरां यशस्विनीम्

अर्थात्- देवी वृषभ पर विराजित हैं. शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है. यही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं. नवरात्रि के प्रथम दिन देवी उपासना के अंतर्गत शैलपुत्री का पूजन करना चाहिए. इसके अलावा ऊं ऐं ह्नीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम: मंत्र का जाप भी कर सकते हैं.

हमारे जीवन प्रबंधन में दृढ़ता, स्थिरता व आधार का महत्व सर्वप्रथम है. इसलिए नवरात्रि के पहले दिन हमें अपने स्थायित्व व शक्तिमान होने के लिए माता शैलपुत्री से प्रार्थना करनी चाहिए.

माता शैलपुत्री पूजन विधि (Maa Shailputri Puja Vidhi)

सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. सबसे पहले गणेश भगवान का आह्वान कीजिए, इसके बाद लाल रंग का फूल लेकर माता शैलपुत्री का आह्वान करें. माता को अक्षत, सिंदूर, धूप, गंध, पुष्प चढ़ाएं. शैलपुत्री मंत्रों का जप करें. घी से दीपक जलाइए. माता की आरती करें. शंख-घंटी बजाएं, माता को प्रसाद अर्पित करें. 

मां शैलपुत्री का भोग (Maa Shailputr Bhog)

माता शैलपुत्री को गाय के घी से बनी शुद्ध सात्विक चीजों का भोग लगाना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि माता दुर्गा को गाय के घी से बने खाद्य पदार्थ बेहद प्रिय हैं. गाय के घी से बने हलवे से मां शैलपुत्री को भोग लगा सकते हैं. 

आरती देवी शैलपुत्री जी की (Maa Shailputri Ki Aarti)

शैलपुत्री माँ बैल असवार। करें देवता जय जय कार॥

शिव-शंकर की प्रिय भवानी।तेरी महिमा किसी ने न जानी॥

पार्वती तू उमा कहलावें।जो तुझे सुमिरे सो सुख पावें॥

रिद्धि सिद्धि परवान करें तू।दया करें धनवान करें तू॥

सोमवार को शिव संग प्यारी।आरती जिसने तेरी उतारी॥

उसकी सगरी आस पुजा दो।सगरे दुःख तकलीफ मिटा दो॥

घी का सुन्दर दीप जला के।गोला गरी का भोग लगा के॥

श्रद्धा भाव से मन्त्र जपायें।प्रेम सहित फिर शीश झुकायें॥

जय गिरराज किशोरी अम्बे।शिव मुख चन्द्र चकोरी अम्बे॥

मनोकामना पूर्ण कर दो।चमन सदा सुख सम्पत्ति भर दो॥

दुर्गा शब्द का अर्थ

देवी पुराण में दुर्गा शब्द का व्यापक अर्थ बताया गया है उसके अनुसार-
दैत्यनाशार्थवचनो दकार: परिकीर्तित:
उकारो विघ्ननाशस्य वाचको वेदसम्मत:
रेफो रोगघ्नवचनो गच्छ पापघ्नवाचक:
भयशत्रुघ्नवचनश्चाकार: परिकीर्तित:

इस श्लोक के अनुसार दुर्गा शब्द में द अक्षर दैत्यनाशक, उ अक्षर विघ्ननाशक, रेफ रोगनाशक, ग कार पापनाशक तथा आ कार शत्रुनाशक है। इसीलिए मां दुर्गा को दुर्गतिनाशिनी भी कहते है. जो भी मां दुर्गा की सच्चे मन से भक्ति करता है माता उसके सभी दु:ख दूर कर उसे अपनी शरण में ले लेती हैं.

क्यों हुआ मां दुर्गा का अवतार?

हिंदू धर्म ग्रंथों में मां दुर्गा के अवतरित होने की कई कथाएं मिलती है. ऐसी ही एक कथा इस प्रकार है. पुरातन काल में दुर्गम नामक एक दैत्य हुआ. उसने भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न कर सभी वेदों को अपने वश में कर लिया जिससे देवताओं का बल क्षीण हो गया. तब दुर्गम ने देवताओं को हराकर स्वर्ग पर कब्जा कर लिया. तब देवताओं को देवी भगवती का स्मरण हुआ. देवताओं ने शुंभ-निशुंभ, मधु-कैटभ तथा चण्ड-मुण्ड का वध करने वाली शक्ति का आह्वान किया.

देवताओं के आह्वान पर देवी प्रकट हुईं. उन्होंने देवताओं से उन्हें बुलाने का कारण पूछा. सभी देवताओं ने एक स्वर में बताया कि दुर्गम नामक दैत्य ने सभी वेद तथा स्वर्ग पर अपना अधिकार कर लिया है तथा हमें अनेक यातनाएं दी हैं. आप उसका वध कर दीजिए.

देवताओं की बात सुनकर देवी ने उन्हें दुर्गम का वध करने का आश्वासन दिया. यह बात जब दैत्यों का राज दुर्गम को पता चली तो उसने देवताओं पर पुन: आक्रमण कर दिया. तब माता भगवती ने देवताओं की रक्षा की तथा दुर्गम की सेना का संहार कर दिया. सेना का संहार होते देख दुर्गम स्वयं युद्ध करने आया. तब माता भगवती ने काली, तारा, छिन्नमस्ता, श्रीविद्या, भुवनेश्वरी, भैरवी, बगला आदि कई सहायक शक्तियों का आह्वान कर उन्हें भी युद्ध करने के लिए प्रेरित किया. भयंकर युद्ध में भगवती ने दुर्गम का वध कर दिया. दुर्गम नामक दैत्य का वध करने के कारण भी भगवती का नाम दुर्गा के नाम से भी विख्यात हुआ.

मां दुर्गा को किस देवता ने क्या भेंट किया?

देवी दुर्गा को महाशक्ति बनाने के लिए सभी देवताओं ने उन्हें अपनी प्रिय वस्तुएं भेंट कीं. देवी भागवत के अनुसार जब असुरों का अत्याचार बढ़ने लगा तब मां शक्ति देवताओं और मानवता की रक्षा के लिए प्रकट हुईं. मां भवानी ने सभी को असुरों के अत्याचारों से बचाने का संकल्प लिया. शक्ति को प्रसन्न करने के लिए देवताओं ने अपने प्रिय अस्त्र-शस्त्र सहित कई शक्तियां उन्हें प्रदान की. इन सभी शक्तियों को प्राप्त कर देवी मां ने महाशक्ति का रूप ले लिया.

  • भगवान शंकर ने मां शक्ति को त्रिशूल भेंट किया.
  • भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र प्रदान दिया.
  • वरुणदेव ने शंख भेंट किया.
  • अग्निदेव ने अपनी शक्ति प्रदान की.
  • पवनदेव ने धनुष और बाण भेंट किए.
  • इंद्रदेव ने वज्र और घंटा अर्पित किया.
  • यमराज ने कालदंड भेंट किया.
  • प्रजापति दक्ष ने स्फटिक माला दी.
  • भगवान ब्रह्मा ने कमंडल भेंट दिया.
  • सूर्य देव ने माता को तेज प्रदान किया.
  • समुद्र ने मां को उज्जवल हार, दो दिव्य वस्त्र, दिव्य चूड़ामणि, दो कुंडल, कड़े, अर्धचंद्र, सुंदर हंसली और अंगुलियों में पहनने के लिए रत्नों की अंगूठियां भेंट कीं.
  • सरोवरों ने उन्हें कभी न मुरझाने वाली कमल की माला अर्पित की.
  • पर्वतराज हिमालय ने मां दुर्गा को सवारी करने के लिए शक्तिशाली सिंह भेंट किया.
  • कुबेरदेव ने मधु (शहद) से भरा पात्र मां को दिया.

देवताओं से प्राप्त इन सभी शक्तियों को प्राप्त कर देवी मां ने महाशक्ति का रूप ले लिया.

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