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Narak Chaturdashi: पंडित जी ने बताया नरक चौदस पर क्यों महत्वपूर्ण है यम पूजा?

Narak Chaturdashi 2024: दिवाली से एक दिन पहले यम की पूजा के लिए यम चतुर्दशी यानी नरक चतुर्दशी मनाई जाती है. इसे रूप चौदस भी कहा जाता है. इस दिन यम के नाम का दीपक जलाकर जातक परिवार समेत यम की यातनाओं से मुक्ति की प्रार्थना करता है. इस दिन यम पूजा और दीप दान का क्या महत्व है इसको लेकर पंडित जी ने यह कहा.

Narak Chaturdashi: पंडित जी ने बताया नरक चौदस पर क्यों महत्वपूर्ण है यम पूजा?

Naraka Chaturdashi: यमराज (Yamraj) का नाम सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं. यमराज यानी प्राण हरण करने वाले, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ग्वालियर (Gwalior) में यमराज का मंदिर (Yamraj Mandir) भी है. दीपोत्सव शुरू होने से पहले यानी दीवाली के एक दिन पहले यहां खास पूजा और अभिषेक होता है. यहां यमराज की पूजा कर उन्हें खुश करने के लिए न केवल ग्वालियर-चम्बल अंचल बल्कि देश भर से लोग पहुंचते हैं. ग्वालियर में देश का एकमात्र यमराज का मंदिर है जो लगभग पौने तीन सौ  साल पुराना है. दीपावली के एक दिन पहले नरक चौदस (Narak Chaturdashi) पर ग्वालियर में यमराज के इस मंदिर में पूजा करने के लिए विशेष इंतजाम किया जाता है.

कहां है ये मंदिर?

ग्वालियर के बीचों बीच फूल बाग पर स्थित मारकंडेश्वर मंदिर में यमराज की यह प्रतिमा स्थित है. यमराज के इस मंदिर की स्थापना सिंधिया वंश के राजाओं ने लगभग 275 साल पहले की थी. तब से लगातार यहां पूजा अर्चना होती है. इसका तांत्रिक महत्व होने के चलते यहां देश भर से लोग यहां पहुंचते हैं और यमराज की स्तुति पूजा करते हैं. 

क्या है महत्व?

इस मंदिर के पुजारी पंडित मनोज भार्गव बताते हैं कि यमराज की नरक चौदस पर पूजा-अर्चना करने का खास महत्व है. इसको लेकर पौराणिक कथा है कि यमराज ने जब भगवान शिव की तपस्या की थी, तब इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने यमराज को वरदान दिया था कि आज से तुम हमारे गण माने जाओगे और दीपावली से एक दिन पहले नरक चौदस पर जो भी तुम्हारी पूजा अर्चना और अभिषेक करेगा उसे जब सांसारिक कर्म से मुक्ति मिलने के बाद उसकी आत्मा को कम से कम यातनाएं सहनी होंगी. साथ ही बाद में उसे  स्वर्ग की प्राप्ति होगी. तभी से नरक चौदस पर यमराज की विशेष पूजा अर्चना की जाती है.

मन्दिर के पुजारी भार्गव बताते हैं कि नरक चौदस के दिन यमराज की पूजा अर्चना भी खास तरीके से की जाती है. पहले यमराज की प्रतिमा पर घी, तेल, पंचामृत, इत्र, फूल-माला, दूध, दही, शहद आदि से अनेक बार अभिषेक किया जाता है. उसके बाद स्तुति गान, पूजा करने के बाद दीपदान किया जाता है. इनका दीपक भी खास रहता है. इसमें चांदी के चौमुखी दीपक से यमराज की आरती उतारी जाती है.

पहले से ही भक्तों के पहुंचने का सिलसिला शुरू

यमराज की पूजा करने के लिए देश भर से लोग ग्वालियर पहुंचते हैं. इस बार भी पहले से ही भक्तों का यहां पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है. भक्तों का कहना है कि वे हर साल यहां पूजा करने पहुंचते हैं और उनकी मनोकामना पूरी होती है. यमराज का ये मंदिर देश में अकेला होने के कारण पूरे देश की श्रद्धा का केंद्र है. इस वर्ष भी यहां नरक चौदस पर देश भर से श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने पहुंच रहे हैं.

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