
Jagannath Rath Yatra 2025 Begins : उड़ीसा के पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं. इस त्योहार के दौरान, तीन देवताओं - भगवान जगन्नाथ, उनके भाई भगवान बलभद्र और बहन सुभद्रा को भक्तों द्वारा तीन विशाल लकड़ी के रथों में गुंडिचा मंदिर तक खींचा जाता है, जहां वे एक सप्ताह तक रहते हैं और फिर जगन्नाथ मंदिर लौट आते हैं. आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को हर साल उड़ीसा के पुरी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलती है. ऐसी मान्यता है इस यात्रा में शामिल होने और भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है.
#WATCH पुरी, ओडिशा: 27 जून से शुरू होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं। वापसी कार महोत्सव या 'बहुदा यात्रा' 5 जुलाई को है।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 10, 2025
त्योहार के दौरान, तीन देवताओं - जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को भक्तों द्वारा तीन विशाल लकड़ी के रथों में गुंडिचा मंदिर तक… pic.twitter.com/qRvQ1qqmN1
हर रथ होता है खास
भगवान जगन्नाथ यात्रा पर निकलने से पहले 14 दिन तक बीमार रहते हैं इस दौरान वे एकांतवास पर रहते हैं, फिर शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि पर दर्शन देते हैं. जिसमें भगवान जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा का रथ शामिल होता है.
#WATCH | Odisha CM Mohan Charan Majhi attends the Snana Ustav ahead of Lord Jagannath Rath yatra.
— ANI (@ANI) June 11, 2025
Snana Yatra of Lord Jagannath is a significant religious event marking the onset of the annual Rath Yatra festival. The sibling deities- Lord Balabhadra, Devi Subhadra and Lord… pic.twitter.com/BGOeRDN0LV
Greetings on the start of the sacred Rath Yatra. We bow to Mahaprabhu Jagannath and pray that His blessings constantly remain upon us. pic.twitter.com/lMI170gQV2
— Narendra Modi (@narendramodi) July 7, 2024
इस विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा में शामिल होने के लिए देश ही नहीं दुनिया के कोने-कोने से भगवान जगन्नाथ के श्रद्धालु आते हैं. क्योंकि इस मंदिर की प्रतिमाओं को वर्ष में एक बार मंदिर से बाहर निकाला जाता है.
इस साल कब है रथ यात्रा?
इस साल उड़ीसा में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि यानी शुक्रवार 27 जून 2025 को निकाली जाएगी. शुभ मुहूर्त की बात करें तो द्वितीया तिथि दिन में 11 बजकर 19 मिनट तक रहेगी. वहीं, इस दिन पुनर्वसु नक्षत्र प्रातः 7 बज कर 21 मिनट तक रहेगा, इसके बाद पुष्य नक्षत्र शुरू हो जाएगा. यह उड़ीसा का भव्य उत्सव है, जिसमें दुनिया भर से आने वाले श्रद्धालु भगवान के विशाल रथों को रस्सियों से खींचते हुए भक्ति रस में डूबे रहते हैं.
Rath Yatra greetings to everyone. As we celebrate this sacred occasion, may the divine journey of Lord Jagannath fill our lives with health, happiness and spiritual enrichment. pic.twitter.com/ATvXmW3Yr0
— Narendra Modi (@narendramodi) June 20, 2023
रथ यात्रा में जो व्यक्ति श्री जगन्नाथ जी के नाम का कीर्तन करता हुआ गुंडिचा नगर तक जाता है वह पुनर्जन्म के बंधन से मुक्त हो जाता है.
पौराणिक कथा क्या है?
भगवान जगन्नाथ की यात्रा का वर्णन स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में मिलता है. इसमें इस यात्रा का महत्व और इतिहास बताया गया है. वहीं इस यात्रा से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं भी हैं. ऐसा माना जाता है जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत 12वीं से 16वीं शताब्दी के बीच हुई थी. कुछ लोग कहते हैं कि यह भगवान कृष्ण की अपनी मां की जन्मभूमि की यात्रा को दर्शाता है. जबकि दूसरों का मानना है कि इसकी शुरुआत राजा इंद्रद्युम्न से हुई थी.
एक अन्य कथा के अनुसार यह यात्रा भगवान कृष्ण की मथुरा यात्रा का प्रतीक है. जब श्री कृष्ण मथुरा गए थे, तब उनके साथ बलराम और सुभद्रा भी थे. यह रथ यात्रा उसी घटना की याद में भी मनाया जाता है.
सालबेग की मजार के सामने रुकता है भगवान जगन्नाथ का रथ
रथ यात्रा से जुड़ी एक कथा और है जो काफी प्रचलिह है. हर साल जब रथ यात्रा निकाली जाती है, तब भगवान जगन्नाथ का रथ सालबेग की मजार के सामने से गुजरता है तो वह कुछ देर के लिए अपने आप ही रुक जाता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ का सालबेग नामक एक मुस्लिम भक्त था, जिसे भगवान ने एक बार सपने में दर्शन दिए थे. उसके बाद उसी क्षण सालबेग ने प्रभु के चरणों में प्राण त्याग दिए थे. बाद में जब भगवान की रथ यात्रा निकली, तो रथ अचानक मजार के पास आकर रुक गया. तब लाखों की भीड़ ने प्रभु से सालबेग की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की थी. तभी से यह परंपरा बन गई कि रथ यात्रा के दौरान सालबेग की मजार पर रोका जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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