Gopashtami 2023 : कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी (Gopashtami) का त्यौहार मनाया जाता है. इसी के मद्देनजर इस बार 20 नवम्बर को गोपाष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है. इस दिन खासतौर पर गौ माता की पूजा और सेवा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन सबसे पहले भगवान कृष्ण (Lord Krishna) ने गायों को चराना शुरू किया था. तब से ही आज के दिन गाय माता के साथ-साथ बछड़ों की भी पूजा की जाती है. आइये जानते हैं गोपाष्टमी की पूजा विधि और महत्व के बारे में.....
कहा जाता है कि गोपाष्टमी के दिन विधि-विधान से गाय की पूजा और सेवा की जाएं तो देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है. गाय की पूजा करने से श्री कृष्ण प्रसन्न होते हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूरी कर देते हैं. गोपाष्टमी के दिन गायों की सेवा करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है. आइये जानें कैसे करें गौ माता की पूजा,
गाय और बछड़े की करें पूजा
अष्टमी तिथि को ब्रह्ममुहूर्त में जगकर सबसे पहले स्वयं स्नान आदि करना चाहिए.
उसके बाद भगवान श्रीकृष्ण के सामने दीप प्रज्ज्वलन करना चाहिए.
इसके बाद गाय और उसके बछड़े को नहलाकर गौ माता को सजाएं. आप घुँघुरु इत्यादि पहनाकर गाय को सजा सकते हैं.
गाय को आभूषण या फूलों की माला पहनाकर और चुनरी बाँधकर पूजा करें. गाय की भलीभाँति पूजन करें. गाय को अच्छा भोजन कराएं इसके बाद गाय की परिक्रमा करें.
गौधूलि बेला में पुनः गाय को भोजन खिलाएं, जिसमें गाय को हरा चारा, गुड़ इत्यादि खिला सकते हैं.
यदि आपके घर में कहीं गाय न हो तो पास के गौशाला में जाकर भी गौ पूजा कर सकते हैं.
एक और मान्यता
एक मान्यता यह भी है कि कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर सप्तमी तक भगवान श्री कृष्ण ने अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाए रखा था और आठवें दिन जब इंद्रदेव का अहंकार टूटा तो वे श्री कृष्ण के पास क्षमा माँगने आए तब से कार्तिक शुक्ल अष्टमी पर गोपाष्टमी का उत्सव मनाया जा रहा है.
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