Dr Rajendra Prasad Jayanti: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद (Dr Rajendra Prasad Jayanti) को उनकी 141वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी. पीएम मोदी ने उनकी बेहतरीन सेवा और विजन की तारीफ की, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "डॉ. राजेंद्र प्रसाद को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि. भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदार होने से लेकर, संविधान सभा की अध्यक्षता करने से लेकर हमारे पहले राष्ट्रपति बनने तक, उन्होंने अतुलनीय गरिमा, समर्पण और उद्देश्य की स्पष्टता के साथ हमारे देश की सेवा की. सार्वजनिक जीवन में उनके लंबे साल सादगी, साहस और राष्ट्रीय एकता के प्रति समर्पण से चिह्नित थे. उनकी अनुकरणीय सेवा और दूरदर्शिता पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी."
Tributes to Dr. Rajendra Prasad Ji on his birth anniversary. From being an active participant in India's freedom struggle, presiding over the Constituent Assembly to becoming our first President, he served our nation with unmatched dignity, dedication and clarity of purpose. His… pic.twitter.com/oeOdtiZOVP
— Narendra Modi (@narendramodi) December 3, 2025
कौन थे डॉ राजेंद्र प्रसाद?
राजेंद्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति रहे, 26 जनवरी, 1950 से 13 मई, 1962 तक इस पद पर रहे. उनका जन्म 3 दिसंबर, 1884 को बिहार के जिरादेई में हुआ था. प्रसाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक अहम व्यक्ति और भारतीय राजनीति में एक अहम नेता थे, जो अपनी विनम्रता, समझदारी और देश के प्रति समर्पण के लिए जाने जाते थे. 26 जनवरी, 1950 को, प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति चुने गए.
देश के प्रथम राष्ट्रपति 'भारत रत्न' से अलंकृत डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी की जयंती पर उन्हें सादर विनम्र श्रद्धांजलि!
— Vinod Tawde (@TawdeVinod) December 3, 2025
उनके विचार, उनका तप और उनका सादगीपूर्ण जीवन हर भारतीय के लिए निरंतर प्रेरणा का स्रोत है। स्वाधीनता संग्राम से लेकर संविधान निर्माण तक उनका महनीय योगदान सदैव स्मरणीय… pic.twitter.com/d14OuvvpnR
डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को एक साधारण किसान परिवार में हुआ था. उनके पिता महादेव सहाय संस्कृत के विद्वान, जबकि माता कमलेश्वरी देवी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी. चार भाई-बहनों में सबसे छोटे राजेंद्र बचपन से ही मेधावी थे. मात्र पांच वर्ष की आयु में उन्होंने फारसी की शिक्षा ग्रहण की. छपरा जिला स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने प्रेजिडेंसी कॉलेज, कलकत्ता में प्रवेश लिया.
भारत रत्न से सम्मानित, भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की पुण्यतिथि पर उन्हें राष्ट्र का नमन।#DrRajendraPrasad@HMOIndia @PIBHomeAffairs @MinOfCultureGoI @AshwiniVaishnaw @Murugan_MoS @PIBHindi @DDNewsHindi @AIRNewsHindi @AmritMahotsav pic.twitter.com/j43uaqoqmy
— सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (@MIB_Hindi) February 28, 2025
डॉ. प्रसाद का वैवाहिक जीवन भी उस युग की परंपरा के अनुरूप था. मात्र 12 वर्ष की आयु में 1896 में उनका विवाह राजवंशी देवी से हो गया. पत्नी के निधन के बाद वे विधुर रहे. उनके पुत्र महेंद्र प्रसाद भी राजनीति में सक्रिय हुए. डॉ. प्रसाद का जीवन उच्च विचारों से ओतप्रोत था. वे वेदांत, धर्म और साहित्य के प्रेमी थे. उनकी रचनाएं जैसे 'भारत विभाजन', 'चंपारण में सत्याग्रह' और 'आत्मकथा' आज भी प्रासंगिक हैं. हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक डॉ. प्रसाद ने सामाजिक सुधारों में भी योगदान दिया.
1920 में असहयोग आंदोलन में भाग लेते हुए उन्होंने वकालत छोड़ दी. डॉ. प्रसाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के चार बार (1934, 1939, 1947, 1948) अध्यक्ष चुने गए. नमक सत्याग्रह, भारत छोड़ो आंदोलन और व्यक्तिगत सत्याग्रह में उनकी सक्रियता सराहनीय रही. जेल यात्राओं के बावजूद वे कभी विचलित नहीं हुए.
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद डॉ. प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष बने. उन्होंने 26 नवंबर 1949 को संविधान को अंतिम रूप दिया. 26 जनवरी 1950 को वे भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने. 12 वर्षों (1950-1962) तक इस पद पर रहते हुए उन्होंने लोकतंत्र की जड़ें मजबूत कीं. संविधान के निर्माण में उनकी भूमिका निष्पक्ष और सुव्यवस्थित रही. वे एकमात्र राष्ट्रपति हैं जो लगातार दो बार चुने गए. राष्ट्रपति भवन में भी सादा जीवन जिया- खादी पहने, शाकाहारी भोजन और प्रार्थना सभाओं से जुड़े रहे. 1962 में भारत रत्न से सम्मानित होने के बाद उन्होंने पद छोड़ दिया. डॉ. प्रसाद का निधन 28 फरवरी 1963 को पटना के सदाकत आश्रम में हुआ. अपने अंतिम दिनों में वे आध्यात्मिक चिंतन में लीन रहे. उनका जीवन 'सादा जीवन, उच्च विचार' का सार था. वे कहते थे, "राष्ट्रसेवा ही मेरा धर्म है."
अन्य नेताओं ने ऐसे दी श्रद्धांजलि
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पूर्व राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि दी और भारतीय लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने में उनके योगदान की सराहना की. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "भारत के पहले राष्ट्रपति, एक महान स्वतंत्रता सेनानी और संविधान सभा के अध्यक्ष, 'भारत रत्न' से सम्मानित डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी की जयंती पर हम उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि देते हैं."
उन्होंने आगे कहा, "डॉ. राजेंद्र प्रसाद का आदर्श जीवन, विनम्रता और राष्ट्र सेवा की भावना हर भारतीय के लिए प्रेरणा का काम करती है. उनके योगदान ने भारतीय लोकतंत्र की नींव को मजबूत और मजबूत किया है." भारत की आजादी के बाद, प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष चुना गया, जो भारत का संविधान बनाने के लिए जिम्मेदार थी. उन्होंने खाद्य और कृषि सभा की कमेटी की भी अध्यक्षता की.
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने लिखा, "देश के प्रथम राष्ट्रपति 'भारत रत्न' डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की जयंती पर उन्हें सादर नमन. भारतीय गणराज्य की नींव को स्थिरता, संतुलन और नैतिक मार्गदर्शन प्रदान करने में उनका योगदान अद्वितीय है. स्वतंत्रता संग्राम से लेकर संविधान निर्माण तक, उनकी तपस्वी भूमिका ने राष्ट्र को एक नई दिशा दी. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने भारत को जनमानस की भावनाओं के अनुरूप नेतृत्व दिया और लोकतंत्र की संस्कृति को चरित्र का आधार बनाया. उनका आदर्श जीवन हम सभी को राष्ट्रसेवा हेतु प्रेरित करता है."
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