Health News: कोरोना महामारी के बाद देश-दुनिया में लोगों की हेल्थ को लेकर तरह-तरह की रिसर्च हो रही है .भारत की बात करें तो देश में अब युवा भी ब्रेन स्ट्रोक (Brain Stroke) और साइलेंट हार्ट अटैक(Silent Heart Attack) के शिकार हो रहे हैं .पिछले कुछ समय में लगातार ऐसी घटनाएं सामने आईं हैं, जिसमें युवाओं में देखा गया है कि वह ब्रेन स्ट्रोक या फिर साइलेंट हार्ट अटैक के शिकार हो रहे हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि इनका शिकार होने वाले लोगों को न तो शुगर की समस्या रही है.. न ही बीपी की, न ही वे हाइपरटेंशन के शिकार थे. बावजूद इसके वह ब्रेन स्टोक और हार्ट अटैक के शिकार हुए. हार्ट अटैक के मामले में कई बार ऐसा देखने में आया है कि मरीज खुद को गैस-एसिडिटी का शिकार मानता रहता है, जबकि स्थिति उसके दिल की खराब होती जाती है. बहरहाल इन दोनों ही बीमारियों से बचाव के लिए कुछ उपाय हमारे एक्सपर्ट्स ने आप तक पहुंचाए हैं.
आखिर क्यों हो रहा है ब्रेन स्टोक?
आमतौर पर पहले के समय में यह देखा जाता था कि ब्रेन स्ट्रोक की बीमारी 50 वर्ष और उससे अधिक उम्र वाले लोगों को होती थी. हालांकि अब यह बीमारी युवाओं में आम हो रही है. दरअसल, कोविड के बाद यह सामान्य रूप से देखा जा रहा है कि कई वजहों से हमारे दिमाग में खून पहुंचाने वाली नसों में रुकावट पैदा हो जाती है, जिससे खून आगे नहीं बढ़ पाता है और स्ट्रोक की समस्या हो जाती है. ब्रेन स्ट्रोक के कारणों का पता लगाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है.
कुछ डॉक्टर्स के अनुसार, ब्रेन स्ट्रोक के होने का पता आप भी लगा सकते हैं. इसके लिए बस कुछ कारण और लक्षणों को पहचानने की जरूरत है.
- ब्रेन स्ट्रोक का खतरा उन लोगों पर मंडराता रहता है, जिनका बीपी अचानक बढ़ जाता है.
- अगर आप स्मोकिंग या शराब का सेवन करते हैं, तो भी ब्रेन स्ट्रोक का रिस्क ज्यादा है.
- मौजूदा लाइफस्टाइल में देर रात तक जगना, लैपटॉप पर देर रात तक काम करना.. या मोबाइल-टीवी पर देर तक स्क्रीन देखना भी ब्रेन स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाता है.
- अधिक फास्ट फूड और जंक फूड खाने वाले लोगों को और खानपान में अधिक तेल, मसाला आदि का सेवन करने वाले लोगों को भी ब्रेन स्ट्रोक का रिस्क रहता है.
- उन लोगों के लिए भी ब्रेन स्ट्रोक या हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है, जो न तो नियमित कसरत करते हैं न ही कोई खेल खेलते हैं .
- जिन मरीजों का शुगर और बीपी घटता-बढ़ता रहता है, उनके लिए भी खतरा हो सकता है.
बचाव के लिए कुछ ऐसा करें:
- ब्रेन स्ट्रोक की बीमारी में ब्लड प्रेशर, डायबिटीज सबसे अधिक कॉमन है. इसलिए खाने-पीने में लापरवाही न बरतें.
- जिन लोगों में बीपी का स्तर अचानक से ऊपर-नीचे होता है. उन्हें स्ट्रोक हो सकता है.
- देर रात तक जागने की आदत को बदलें और बेहतर होगा अपने सोने से करीब 1-2 घंटे पहले ही किसी तरह की स्क्रीन को न देखें .
- यह सुनिश्चित करें कि आपकी 8 घंटे की नींद अच्छे से पूरी हो..नींद पूरी न होने से दिमाग में कई तरह की उलझनें बढ़ जाती हैं. ये हाइपरटेंशन, स्ट्रेस और अन्य बीमारियों का कारण बन सकता है.
- बेहतर होगा कि आप नियमित व्यायाम करें. अपने खाने-पीने की आदतों में जंग फूड से दूरी बना लें.
- समय-समय पर अपनी शारीरिक जांच करवाते रहें.
साइलेंट हार्ट अटैक
अमूमन ऐसा देखा जाता है कि कई लोग गैस-एसिडिटी की समस्या से ग्रसित रहते हैं और कुछ लोग सीने में दर्द और सांस फूलने की समस्या को भी इसी तरह गैस की समस्या मान लेते हैं. ऐसे में इन दोनों के बीच अंतर समझना काफी मुश्किल हो जाता है. एक रिपोर्ट में यहां तक दावा किया गया है कि 45 फीसदी मामलों में मरीजों को साइलेंट हार्ट अटैक आता है, जिसके लक्षणों के बारे में किसी को कुछ पता नहीं होता. इसके तहत अमूमन पहले हार्ट अटैक का लोगों को पता ही नहीं चलता और दूसरे में इलाज का समय नहीं मिलता.
साइलेंट हार्ट अटैक के लक्षण
अगर किसी मरीज को साइलेंट हार्ट अटैक आया है तो उसे सीने में दर्द के बजाए जलन मससूस होगी. इसके साथ की कमजोरी और थकान महसूस होगी. कई बार लोग इसे गैस एसिडिटी मान लेते हैं.
क्या जांच करवाएं
अगर आपको भी कुछ ऐसी समस्याएं होती हैं तो बेहतर होगा कि आप इसकी जांच के लिए एलेक्ट्रोकार्डियोग्राम और इकोकार्डियोग्राम की जांच करवा सकते हैं. इससे हार्ट में होने वाले बदलावों के बारे में पता लगाया जा सकता है. मरीज की स्थिति के हिसाब से एंजियोप्लास्टी, हार्ट ट्रांसप्लांट, बाईपास सर्जरी जैसे इलाज किए जाते हैं.