उमरिया का 'काला सोना' मध्यप्रदेश की उम्मीदों पर खरा उतरता है. यहां के बाघों की दहाड़ दुनियाभर में सुनाई देती है. एमपी का दूसरा सबसे कम आबादी वाला जिला कभी रीवा रियासत की दक्षिणी राजधानी था. साल 1998 में नया जिला बनने से पहले तक उमरिया शहडोल जिले का हिस्सा हुआ करता था. इस जिले के चारों तरफ जंगल और पहाड़ हैं. यहां की वादियां काफी खूबसूरत है. इसी खूबसूरती में बसे इस जिले की पहचान बांधवगढ़ से है. बांधवगढ़ नेशनल पार्क मध्य प्रदेश का वह जंगल है जहां एमपी में सबसे ज्यादा बाघ पाए जाते हैं. एक समय ऐसा भी था, जब उमरिया चीनी मिट्टी के बर्तनों के लिए भी मशहूर हुआ करता था. यहां खनिज संपदा का अकूत भंडार पाया जाता है. काला सोना यानी कोयला यहां अत्यधिक मात्रा में पाया जाता है.
बांधवगढ़ से है उमरिया की पहचान
मध्य प्रदेश के उमरिया में स्थित बांधवगढ़ नेशनल पार्क टाइगर देखने के लिए बेस्ट लोकेशन है. बांधवगढ़ उमरिया से महज 32 किलोमीटर की दूरी पर है.
यहां पर्यटक देश-विदेशों से बाघों को देखने के लिए आते हैं. साल 1968 में इसे राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया. यहां पर साल, बंबू के वृक्ष ज्यादा पाए जाते हैं. मुख्य पर्वत बांधवगढ़ पर्वत है, जो कि 811 मीटर ऊंची पहाड़ी है. यहां की प्राकृतिक सौंदर्यता का कोई मोल नहीं है.
देश की ऊर्जा की जरूरत पूरी करता है उमरिया
देश की ऊर्जा जरूरत पूरी करने में उमरिया के कोयले की अहम हिस्सेदारी है. यहां SECL की 8 कोयला खदानें हैं. बिरसिंहपुर में संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र मध्यप्रदेश का सबसे पड़ा थर्मल पावर प्लांट है. यहां 1,350 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है. इससे मध्य प्रदेश की काफी हद तक ऊर्जा की आवश्यकता पूरी होती है. इसी वजह से ये जिला मध्यप्रदेश ही नहीं देश के लिए भी काफी अहम है.
वन संपदा में संपन्न जिला
उमरिया के कुल क्षेत्रफल का 42 प्रतिशत वनों से भरा है. यहां पर्याप्त मात्रा में वनोपज और औषधीय जड़ी-बूटियां मिलती हैं. जिसका आर्युवेद में इस्तेमाल होता है.जानकार बताते हैं कि उमरिया का नाम छोटी सी नदी उमरार के नाम पर रखा गया है. यहां बांधवगढ़ के अलावा बिरसिंहपुर पाली का कलचुरी कालीन मां बिरासनी देवी का मंदिर शक्तिपीठ है. हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं. पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इसे डेवलप करने पर काम भी चल रहा है.
उमरिया की खास बातें
- जनसंख्या- 6.45 लाख
- विधानसभा सीट- 2
- लोकसभा- शहडोल
- सारक्षता- 65.89 प्रतिशत
- प्रमुख उत्पादन- धान, सहजन (मुंगना)
- प्रमुख व्यंजन- लौंगलता, समोसा, कचौरी
- तहसील -5
- गांव -591