अलीराजपुर : गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा के पास बसा अलीराजपुर (Alirajpur) आदिवासी बहुल जिला है. यहां की अधिकांश आबादी भील, भिलाला, मानकर, धाणक हैं. यहां जनजातीय दूर दराज पहाड़ों में बसे हैं. अपने-अपने खेतों में मकान बनाकर ये लोग रहते हैं. कुछ शहर के आसपास छोटे-छोटे गांवों में भी रहती हैं. यहां आदिवासी राजाओं का शासन था और पूर्व की रियासत के नाम पर ही इस जिले का नाम रखा गया है.
अलीराजपुर नया जिला कब बना
1947 में आजादी के बाद इस क्षेत्र को भारतीय संघ में शामिल किया गया और बाद में यह मध्य भारत का हिस्सा बन गया. मध्यप्रदेश के गठन के बाद से अलीराजपुर झाबुआ जिले का हिस्सा हुआ करता था. 17 मई, 2008 को इसे अलग जिला बनाया गया. अलीराजपुर के अंतिम शासक सुरेंद्र सिंह थे. उन्हें स्पेन में भारत का राजदूत बनाया गया था.
क्रांतिकारी चंद्रशेखर की जन्मस्थली
अलीराजपुर में पांच तहसील हैं। इन्हीं में से एक भाभरा (चंद्रशेखर आजाद नगर) क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की जन्मभूमि है. उन्होंने यहीं आदिवासी बच्चों के साथ बचपन बिताया और उनके साथ रहते-रहते ही तीर-कमान चलाना सीखा. शहर में मुख्य आकर्षण का केंद्र उनकी झोपड़ी है.
अलग और खास है अलीराजपुर की हर बात
अलीराजपुर के जनजातीय लोगों का रीति रिवाज और धार्मिक मान्यता बाकी जगहों और धर्म से बिल्कुल ही अलग है. यहां मूर्ति पूजा नहीं की जाती है. जनजातीय लोग पहाड़, झरना और बाबादेव की पूजा करते हैं. ढास और पड़जिया उनकी अच्छी परंपरा है. इस परंपरा में गांव के लोग मिलकर किसी भी काम को पूरा कर देते हैं. इसके लिए वे पैसे नहीं लेते, बस खाना खिलाना पड़ता है. उनके इस परंपरा की मिसाल दी जाती है.
2,000 साल पुराना जैन मंदिर
अलीराजपुर जैन मंदिरों के लिए काफी प्रसिद्ध है. यहां का लक्ष्मणी तीर्थ मंदिर 2,000 साल पुराना है. यह जैन धर्म के प्रमुख तीर्थस्थल में से एक है. यहां पद्म प्रभु स्वामी की मूर्ति विराजमान है. यह जिला मुख्यालय से सिर्फ 8 किलोमीटर की दूरी पर ही बसा है.
अलीराजपुर एक नजर में
- आबादी- 7,28,999
- भाषा- हिंदी
- गांव- 552
- विधानसभा क्षेत्र- अलीराजपुर, जोबट
- तहसील- अलीराजपुर, जोबट, चंद्रशेखर आजाद नगर, सोंडवा
- प्रमुख खनिज - डोलोमाइट के पत्थर
- प्रमुख व्यंजन- दाल पानीये, कचौरी
- प्रमुख फसल- सीताफल