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This Article is From Jul 12, 2023

गौरेला-पेंड्रा-मरवाहीः यहीं से हुआ था छत्तीसगढ़ के पहले अखबार का प्रकाशन

आदिवासी समुदाय में पुजारी के रूप में मान्यता प्राप्त बैगा जनजाति केंवची, आमाडोह, पीपरखुंटी ग्राम पुचायतों में निवास करती है. पेंड्रा कभी पिंडारे डाकुओं का गढ़ था जिसके कारण इस क्षेत्र को पिंडारा कहा जाता था, जो आगे चलकर पेंड्रा में बदल गया.

गौरेला-पेंड्रा-मरवाहीः यहीं से हुआ था छत्तीसगढ़ के पहले अखबार का प्रकाशन

छत्तीसगढ़ के 28वें जिले के रूप में गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिला का गठन  10 फरवरी 2020 को किया गया है. यह क्षेत्र पहले बिलासपुर का भाग था. छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित इस जिले का मुख्यालय गौरेला में स्थित है. गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिला चावल की गुणवत्ता, आदिवासी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि और यहां की जलवायु के लिए जाना जाता है. पेंड्रा छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी की जन्मभूमि है. पेंड्रा की उत्तम जलवायु के कारण ब्रिटिश काल में वहां टीबी सेनेटोरियम बनवाया गया था.

गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर अपनी पत्नी मृणालिनी देवी के इलाज के लिए यहां आए थे. यह बैगा जनजाति का प्रमुख निवास स्थान है. आदिवासी समुदाय में पुजारी के रूप में मान्यता प्राप्त बैगा जनजाति केंवची, आमाडोह, पीपरखुंटी ग्राम पुचायतों में निवास करती है.

पेंड्रा कभी पिंडारे डाकुओं का गढ़ था जिसके कारण इस क्षेत्र को पिंडारा कहा जाता था, जो आगे चलकर पेंड्रा में बदल गया. अचानकमार टाइगर रिजर्व का कुछ भाग इस जिले में आता है.


पहले समाचार पत्र ‘छत्तीसगढ़ मित्र' का प्रकाशन
छत्तीसगढ़ का प्रथम समाचार पत्र ‘छत्तीसगढ़ मित्र' का प्रकाशन यहीं हुआ था, आजादी के संघर्ष के दौरान हिंदी साहित्य के चिंतक, पत्रकार और लेखक माधवराव सप्रे ने इसे मासिक पत्रिका के रूप में 1900 से पेंड्रा से प्रारंभ किया था. इस पत्र का प्रकाशन तीन वर्ष तक हुआ था.

संत कबीर और गुरू नानक देव की यहां हुई थी मुलाकात!

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के पेंड्रा रोड स्टेशन से 23 किमी पर स्थित धनुपर ऐतिहासिक नगर है. यह कभी जैन धर्मावलंबियों का सबसे बड़ा व्यवसायिक केंद्र था और वैभवशाली नगर के रूप में प्रसिद्ध था.

यहां जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर को समर्पित ऋषभदेव तालाब है. गौरेला के निकट स्थित कबीर चबूतरा के बारे में मान्यता है कि यहां संत कबीर और गुरु नानक देव की मुलाकात हुई थी.

इसके अलावा यहां शिवघाट मनौरा, सोनकुंड पेंद्रा, झोझा जलप्रपात, लक्ष्मणधारा और जलेश्वर धाम जैसे कई ऐतिहासिक और प्राकृतिक पर्यटन केंद्र हैं.

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिला एक नजर में- 
 

  • क्षेत्रफल -  2307.39 वर्ग किमी
  • जनसंख्या – 336420
  • साक्षरता दर – 55.92%
  • ब्लॉक- 3
  • तहसील 1
  • नगर पंचायत 2
  • गांव  223
  • विधानसभा- 1 मरवाही
     

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