
बीजापुर छत्तीसगढ़ राज्य का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है. बस्तर संभाग के अंतिम छोर पर स्थित बीजापुर पहले दंतेवाड़ा जिले का हिस्सा था, जिसे 1 मई 2007 को अलग जिला बनाया गया. छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले का ज्यादातर भाग पहाड़ी है. यहां जाने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन दंतेवाड़ा और हवाई अड्डा रायपुर है. दक्षिण-पश्चिम में, यह तेलंगाना राज्य पर, पश्चिम में महाराष्ट्र राज्य पर लगती है. तेलंगाना राज्य की सीमा से सटा होने के कारण यहां तेलुगु भाषी आबादी भी काफी संख्या में है.
बीजापुर जिले के घने जंगलों में बाघ और तेंदुए जैसे वन्य जीव भी खूब पाए जाते हैं. यहां के आदिवासियों द्वारा बनाई और खाई जाने वाली खतरनाक लाल चींटी की चटनी के चर्चे तो दूर- दूर तक हैं. गोवा की लोकल शराब फेनी की तरह ही यहां के आदिवासियों द्वारा निर्मित सल्फी भी काफी प्रसिद्ध है, जिसे 'बस्तर बीयर' के नाम से भी जाना जाता है. बीजापुर के सूरजपुर, प्रतापपुर और सारासोर क्षेत्र में यूरेनियम पाया जाता है.
बीजापुर नाम सुनकर अकसर लोग इसे गोल गुंबद के लिए दुनिया भर में मशहूर शहर समझ लेते हैं, पर छत्तीसगढ़ का बीजापुर कर्नाटक में स्थित बहमनी व आदिलशाही सल्तनत की राजधानी बीजापुर से अलग है, जिसका नाम 2014 में बदल कर विजयपुर किया जा चुका है.
नाग वंश की राजधानी थी यहां
बीजापुर, जिसे पहले बिरजापुर कहा जाता था. कई शताब्दियों पहले यहां के भोपालपट्टनम में नल व नाग वंश की राजधानी थी. जिले के भैरमगढ़ में नागवंशी राजाओं द्वारा बनवाए गए कई मंदिर आज भी मौजूद हैं. यहां मिले केसरीबेड़ा शिलालेख से पता चलता है कि वाकाटक नरेश पृथ्वी सेन ने नागवंशीय राजा अर्थपति भट्टारक को पराजित कर राजधानी भोपालपट्टनम (पुस्करी ) को तहस-नहस कर दिया था.
सुंदर झरने, अभ्यारण्य और दर्शनीय स्थल
16 वीं शताब्दी में बना बीजापुर किला एक प्रमुख पर्यटन स्थल है. महाराज प्रताप सिंह के छोटे भाई राव शक्ति सिंह द्वारा बनवाए गए इस किले को अब हेरिटेज होटल में तब्दील कर दिया गया है.
बीजापुर के प्राचीन भद्रकाली मंदिर में बसंत पंचमी पर लगने वाला मेला काफी प्रसिद्ध है. बीजापुर नगर के रहवासियों के आराध्य देव का मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है. भैरमगढ़ में भैरमदेव मंदिर भी एक प्राचीन देवालय है. इस वन आच्छादित जिले में कई पामेड़ व भैरमगढ़ अभ्यारण्य और इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान में वन्य जीवन की सुंदर झलक देखने को मिलती है.
'मद्देड़ बाजा' की सुरीली तान है बेहद खास
छत्तीसगढ़ का मद्देड़ बाजा अपने आप में काफी खास है. इसे भोपालपट्टनम तहसील के मद्देड़ गांव में बनाया और बजाया जाता है. बीजापुर जिले की विभिन्न विशेषताओं में इस सुरीले साज का भी अपना विशेष महत्व है. इसमें शहनाई, बाजा, हार्न, झुनझुना जैसे वाद्य यंत्र शामिल रहते हैं. मांगलिक एवं अन्य शुभ अवसरों पर इसे खासतौर पर बजाया जाता है. इसके स्वर, ताल में इतनी मिठास होती है कि लोग झूमने-नाचने पर मजबूर हो जाते हैं. इस अनूठे पर पुराने सदाबहार गीतों के साथ नई पीढ़ी के पसंदीदा गीतों को भी बजाए जाने के कारण इसकी मांग अब भी बनी हुई है.
बीजापुर जिला एक नज़र में
- क्षेत्रफल : 6562.48 sq km
- जनसंख्या : 2,55,230
- साक्षरता दर : 41.58 %
- विकासखंड : 4
- विधानसभा क्षेत्रः 1
- गाँव : 699
- नगरीय निकाय : 1(बीजापुर)
- पोलिस थाना : 21
- भाषा : 6