छत्तीसगढ़ का जिला बलरामपुर, बलरामपुर-रामानुजगंज के नाम से भी जाना जाता है. ये जिला राज्य के सबसे ऊपरी छोर पर है और सूबे का एकमात्र जिला है, जिसकी सीमाएं उत्तर प्रदेश को छूती हैं. बलरामपुर जिला, पहले सरगुजा जिले का हिस्सा हुआ करता था, 17 जनवरी, 2012 में यह एक स्वतंत्र जिला बना. बलरामपुर अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और रहस्यों के लिए जाना जाता है.
बलरामपुर आदिवासी बहुल जिलों में गिना जाता है.
जमीन ने निकलता है खौलता हुआ पानी
बलरामपुर खासतौर पर तातापानी के लिए मशहूर है. स्थानीय भाषा में ‘ताता' का अर्थ है गर्म. रिपोर्ट्स के अनुसार तातापानी कुंड के नीचे भू-गर्भ का तापमान 170 से 200 डिग्री सेल्सियस तक है. तातापानी में भूगर्भ से प्राकृतिक रूप से गर्म पानी निकलता है. इस जगह की खासियत को देखते हुए ही साल 2013 में यहां देश का पहला जियो थर्मल पावर प्लांट बनाने का प्रस्ताव रखा गया था. देश भर में गर्म पानी के नौ कुंडों पर रिसर्च के बाद तातापानी को देश के पहले जियो थर्मल पावर प्रोजेक्ट के लिए चुना गया था और एनटीपीसी ने यहां पावर प्लांट लगाने के लिए ग्लोबल टेंडर जारी कर दिया था.
छत्तीसगढ़ की सबसे ऊंची चोटी है गौरलाटा
बलरामपुर में स्थित गौरलाटा, छत्तीसगढ़ की सबसे ऊंची चोटी है. इसकी ऊंचाई 1225 मीटर है, वहीं अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाने वाला, छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में मौजूद, मैनपाट 1152 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. लेकिन गौरलाटा की ऊंचाई मैनपाट से भी अधिक है.
आदिवासियों का ठिकाना
बलरामपुर में लगभग 63 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जनजातियों की है, वहीं करीब 4.5 प्रतिशत अनुसूचित जातियों के लोग हैं. पहाड़ी कोरवा, गोंड़, खैरवार, कांवरा और पंडो जिले में रहने वाली प्रमुख आदिवासी समूह हैं, इसमें से कई संरक्षित जनजातियों में शामिल हैं.
बलरामपुर जिला एक नजर में
- जनसंख्या: 7,30,491
- क्षेत्रफल: 60.16 लाख हेक्टेयर
- विधानसभा क्षेत्र- 4
- विकासखंड: 6
- गांव: 636
- नगरीय निकाय: 5
- पुलिस स्टेशन: 14