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This Article is From Jul 18, 2023

बालाघाट : कुदरती खूबसूरती, अकूत खनिज संपदा समेटे है मध्य प्रदेश का यह जिला

बालाघाट प्राकृतिक सुंदरता की गोद में तो बैठा ही है, खनिज भंडार और वनों से भी समृद्ध है. जिला देश में मैंगनीज़ के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है. मलाजखंड का तांबे का भंडार एशिया में सबसे बड़ा माना जाता है. इसके अलावा बॉक्साइट, कानाइट, संगमरमर, डोलोमाइट और चूना पत्थर यहां के मुख्य खनिज हैं.

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बालाघाट : कुदरती खूबसूरती, अकूत खनिज संपदा समेटे है मध्य प्रदेश का यह जिला
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान बालाघाट की सबसे मशहूर जगह है...

बालाघाट सतपुड़ा की खूबसूरत वादियों से घिरा और वैनगंगा नदी की गोद में बैठा मध्य प्रदेश का बेहद खूबसूरत जिला है. कभी 'बुरहा' नाम से इस जिले को जाना जाता था, जो बाद में बालाघाट बन गया. बालाघाट जिला रेड कॉरिडोर का हिस्सा है. मतलब यहां नक्सली मूवमेंट है. हालांकि, अब नक्सलियों से ज्यादा इस जिले की अपनी अलग पहचान है. 1867-1873 के आसपास भंडारा, मांडिया और सिवनी जिलों के छोटे-छोटे हिस्सों को मिलाकर इस जिले का गठन हुआ था.

एमपी का कुदरती 'धनवान' जिला है बालाघाट
बालाघाट प्राकृतिक सुंदरता की गोद में तो बैठा ही है, खनिज भंडार और वनों से भी समृद्ध है. जिला देश में मैंगनीज़ के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है. मलाजखंड का तांबे का भंडार एशिया में सबसे बड़ा माना जाता है. इसके अलावा बॉक्साइट, कानाइट, संगमरमर, डोलोमाइट और चूना पत्थर यहां के मुख्य खनिज हैं.

कान्हा टाइगर रिज़र्व है खास
कान्हा टाइगर रिज़र्व बालाघाट का प्रमुख पर्यटन स्थल है, जिसे कान्हा राष्ट्रीय उद्यान नाम से भी जाना जाता है. यह भारत के प्रमुख बाघ अभयारण्यों में से एक है. यहां बाघों की अच्छी-खासी संख्या है. मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का तमगा हासिल करने में इस नेशनल पार्क का बड़ा योगदान है.

बांस और लाठी से जिले की पहचान
बालाघाट के बांस की पूरे मध्य प्रदेश में अलग ही पहचान है. प्रदेश में 70-80 प्रतिशत लाठी बांस का उत्पादन इसी जिले में होता है. बालाघाट की 70% भूमि पर बांस की खेती की जाती है. यहां के बांस दूसरे प्रदेशों में भी भिजवाए जाते हैं. कहा यह भी जाता है कि एक समय खंडवा जिले के नेपानगर और महाराष्ट्र के गोंदिया जिले के पेपर मिलों में यहीं से बांस की सप्लाई की जाती थी.

बालाघाट नाम के पीछे है दिलचस्प किस्सा
बालाघाट नाम के पीछे एक किस्सा काफी प्रचलित है. यह इलाका 12 घाटों से घिरा है. इस कारण इस जगह का नाम 12 घाट रखा जाना था. तब ब्रिटिश शासन था, तो इसके नाम पर मुहर लगाने के लिए कलकत्ता फाइल भेजी गई थी, जहां उच्चारण में गलती हो गई और 12 घाट का नाम 'बालाघाट' पड़ गया.

रामायण काल से जुड़ा है बालाघाट का इतिहास
मान्यता है कि भगवान श्रीराम, मां जानकी और लक्ष्मण वनवास के दौरान बालाघाट के रामपायली आए थे. इसके कुछ प्रमाण भी मिलते हैं. इसके अलावा सिख समाज के लोगों का मानना है कि उनके पहले गुरु श्री गुरुनानक देव जी 1500-1550 ई तक बालाघाट से होकर ही गुजरे थे. इसका प्रमाण उनके विश्व भ्रमण के नक्शे में भी है. वहीं, इतिहासकारों के मुताबिक अछूत समानता अधिकार आंदोलन के लिए धन इकट्ठा करने गांधीजी आमगांव, कारंजा और रजेगांव के रास्ते बालाघाट पहुंचे थे.

बालाघाट, एक नज़र में

  • लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र - 1
  • विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र - 8
  • प्रमुख फसल - धान
  • क्षेत्रफल - 9245 वर्ग. कि.मी.
  • आबादी - 17,01,698
  • भाषा - हिन्दी
  • जनपद पंचायत - 10
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