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इस लाइलाज बीमारी से जूझ रहे थे उस्ताद जाकिर हुसैन, जानें, क्या है वो खतरनाक बीमारी?

Zakir Hussain Deatlh: एक क्रॉनिक बीमारी में शुमार इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (आईवीएफ) से पीड़ित उस्ताद जाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को में इलाज चल रहा था, जहां स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर उन्हें बचाने में असफल रहे और अंततः सोमवार सुबह तड़के उन्होंने दम तोड़ दिया.

इस लाइलाज बीमारी से जूझ रहे थे उस्ताद जाकिर हुसैन, जानें, क्या है वो खतरनाक बीमारी?
जाकिर हुसैन ( फाइल फोटो)

Zakir Hussian Passed Away: 73 वर्ष की उम्र में महान तबला वादक जाकिर हुसैन दुनिया को अलविदा कह चुके हैं. सोमवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली. सवाल है आखिर उस्ताद जाकिर हुसैन को अपने प्रशंसकों को छोड़कर क्यों जाना पड़ा. जवाब है उनकी खास क्रॉनिक बीमारी, जिसने उनको हमसे जल्दी छीन लिया. 

फेफड़े की खतरनाक बीमारी इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (IPF) से पीड़ित जाकिर हुसैन छोटी उम्र में दुनिया से विदा हो गए. एक क्रॉनिक बीमारी रूप में कुख्यात आईपीएफ मरीज के फेफड़ों में वायुकोषों या एल्वियोली के आस-पास के ऊतकों को प्रभावित करती है. 

आईवीएफ से ग्रस्त मरीज के फेफड़ों के ऊतक मोटे और कठोर हो जाते हैं

आईवीएफ से पीड़ित को मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है, क्योंकि पीड़ित मरीज के फेफड़ों के ऊतक मोटे और कठोर हो जाते हैं और समय के साथ ये समस्याएं बढ़ती जाती हैं और एक समय ऐसा आता है, जब फेफड़ों में स्थायी निशान बन जाता है, जिसे फाइब्रोसिस कहा जाता है, जिससे सांस लेना धीरे-धीरे मुश्किल हो जाता है.

ऐसे लोगों में आईवीएफ बीमारी की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है

परिवार के किसी सदस्य के इस बीमारी से ग्रस्त होने से परिवार के लोगों भी आईवीएफ के चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है. यह बीमारी धूम्रपान करने वाले को भी आसानी से चपेट में ले लेती है. हालांकि कम उम्र की तुलना में यह बड़े उम्र के लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है.

एक क्रॉनिक बीमारी में शुमार इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (आईवीएफ) से पीड़ित उस्ताद जाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को में इलाज चल रहा था, जहां स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर उन्हें बचाने में असफल रहे और अंततः सोमवार सुबह तड़के उन्होंने दम तोड़ दिया.

क्या है क्रॉनिक बीमारी आईवीएफ के लक्षण?

आईपीएफ के लक्षण पर नजर डालें तो इसमें सबसे बड़ा लक्षण है, सांस लेने में तकलीफ और खांसी का आना.  स्थिति गंभीर होने पर सांस लेने में असमर्थता और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या उत्पन्न होने लगती है. बड़ी बात यह है कि शुरुआत में कुछ लोगों में यह लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन बीमारी बढ़ती है, तो हालत और भी खराब हो सकती है.

 वर्तमान में लाइलाज है आईपीएफ?

जानकारी के अनुसार वर्तमान में आईपीएफ का कोई इलाज नहीं है. हालांकि कुछ उपचार आईपीएफ की प्रगति को धीमा कर सकते हैं और फेफड़ों को बेहतर काम करने में मदद कर सकते हैं. सही खानपान, व्यायाम और प्रदूषण से बचाव करके भी रोगी की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है.

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