सुप्रीम कोर्ट ने पलटा खुद का फैसला, अब नहीं मिलेगी सांसदों और विधायकों को कानूनी छूट, होगी कार्रवाई

Supreme Court Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने अपने 1998 के एक फैसले को पलटते हुए सांसदों और विधायकों पर वोट देने के लिए रिश्वत लेने को लेकर कहा कि ये संसदीय विशेषाधिकारों के तहत संरक्षण प्राप्त नहीं है. 

विज्ञापन
Read Time: 2 mins
सुप्रीम कोर्ट ने पलटा अपना ही फैसला

Supreme Court on MP and MLA Immunity: भारत के उच्चतम न्यायालय (Supreme Court of India) ने सांसदों और विधायकों को सदन में भाषण देने या वोट डालने के लिए रिश्वत लेने पर कानूनी संरक्षण (Legal Protection) के मामले में अहम फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वोट के बदले नोट लेने वाले सांसदों और विधायकों को कानूनी संरक्षण नहीं दी जाएगी. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस मनोज मिश्रा की संयुक्त बेंच ने ये फैसला सुनाया.

वोट फॉर नोट केस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भाजपा सांसद मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, 'जो जनता के जनादेश के साथ विश्वासघात करते हैं, उन्हें ना तो कानूनी संरक्षण मिलनी चाहिए और ना ही सियासी संरक्षण मिल सकता है.'

ये भी पढ़ें :- Delhi Budget: केजरीवाल सरकार का बड़ा ऐलान, हर महीने इन महिलाओं के खाते में दिए जाएंगे 1000 रूपये

पी. वी. नरसिम्हा राव केस का फैसला पलटा

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सांसदों और विधायकों पर अब वोट के बदले रिश्वत लेने का मुकदमा चलाया जा सकता है. बता दें कि 1998 के पी. वी. नरसिम्हा राव मामले का फैसला पलट दिया गया है. ऐसे में नोट के बदले सदन में वोट देने वाले सांसद और विधायक कानून के कटघरे में खड़े हो सकते है. 

Advertisement

भारतीय संसदीय कार्यप्रणाली को खत्म कर देगी रिश्वतखोरी

सीजेआई चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कोई भी सासंद या विधायक कानूनी छूट का दावा नहीं कर सकता है क्योंकि दावा सदन के सामूहिक कामकाज से जुड़ा है. अनुच्छेद 105 विचार-विमर्श के लिए एक माहौल बनाए रखने का प्रयास करता है.

ये भी पढ़ें :- Rewa में बन रहा है दुनिया का सबसे बड़ा नगाड़ा, राम मंदिर को किया जाएगा समर्पित, जानें इसकी खासियत

Advertisement