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देश में नक्सलवाद का 'लाल कॉरिडोर' टूटा ! अब सिर्फ 3 जिलों में सिमटा खतरा, 2013 में थे 126 जिले

देश में आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बने नक्सलियों पर नकेल कसने में मोदी सरकार को बड़ी कामयाबी मिली है. केन्द्र सरकार के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक देश में नक्सलवाद से सबसे ज़्यादा प्रभावित रहने वाले जिले 6 से घटकर केवल 3 रह गए हैं. और ये तीनों जिले- बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर

देश में नक्सलवाद का 'लाल कॉरिडोर' टूटा ! अब सिर्फ 3 जिलों में सिमटा खतरा, 2013 में थे 126 जिले

Naxalism in Chhattisgarh: देश में आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बने नक्सलियों पर नकेल कसने में मोदी सरकार को बड़ी कामयाबी मिली है. केन्द्र सरकार के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक देश में नक्सलवाद से सबसे ज़्यादा प्रभावित रहने वाले जिले 6 से घटकर केवल 3 रह गए हैं. और ये तीनों जिले- बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर- अब सिर्फ छत्तीसगढ़ में बचे हैं. ये इसलिए भी अहम है कि कभी देश के 126 जिले नक्सल हिंसा की चपेट में थे. तब नक्सलियों का सपना था 'नेपाल के पशुपति' से 'आंध्र प्रदेश के तिरुपति' तक एक 'लाल कॉरिडोर' बनाना. क्या है केन्द्र सरकार के ताजा आकड़ों में जानते हैं इस रिपोर्ट में.

नक्सलवाद का किला ढहा

सरकार की नई नीति का बड़ा असर दिख रहा है. कभी नक्सलवाद से सबसे ज़्यादा प्रभावित रहने वाले जिलों की संख्या 6 से घटकर अब सिर्फ 3 रह गई है. अब छत्तीसगढ़ के बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर को ही इस कैटेगरी में रखा गया है. इसके अलावा, वामपंथी उग्रवाद (LWE) से प्रभावित माने जाने वाले जिलों की संख्या भी 18 से घटकर सिर्फ 11 रह गई है. सरकार ने अब 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद की समस्या को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य रखा है.

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312 कैडर ढेर, रिकॉर्ड तोड़ सफलता

यह सफलता ऐसे ही नहीं मिली है. इस साल नक्सल विरोधी अभियानों ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. सुरक्षाबलों ने इन अभियानों में 312 LWE कैडरों को मार गिराया है, जिनमें सीपीआई (माओवादी) के महासचिव समेत 8 बड़े नेता शामिल थे. इसी दौरान 836 LWE कैडर को गिरफ्तार किया गया और 1639 कैडर ने हिंसा का रास्ता छोड़कर आत्मसमर्पण किया. अहम ये भी है कि आत्मसमर्पण करने वालों में एक पोलित ब्यूरो सदस्य और एक केंद्रीय समिति सदस्य जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं, जो दर्शाता है कि नक्सली संगठन अंदर से टूट रहे हैं.

रणनीति का असर: पैसा रोका, विकास पहुंचाया

मोदी सरकार ने नक्सली खतरे से निपटने के लिए एक बहुआयामी रणनीति (National Action Plan) अपनाई. इस नीति में केवल बंदूक का सहारा नहीं लिया गया, बल्कि ये कदम उठाए गए. अधिकारियों ने सटीक खुफिया जानकारी जुटाई और नक्सल प्रभावित इलाकों में तेज़ी से सड़कें, पुल और अन्य बुनियादी ढाँचे बनाए. इसके अलावा प्रभावित इलाकों में कल्याणकारी योजनाओं को सख्ती से लागू किया गया, ताकि स्थानीय लोगों को सरकारी मदद मिल सके. साथ-साथ नक्सलियों के आर्थिक स्रोतों को पूरी तरह बंद कर दिया गया, जिससे उनके लिए लड़ना मुश्किल हो गया.

'लाल कॉरिडोर' अब इतिहास !

नक्सलियों ने एक समय नेपाल के पशुपति से आंध्र प्रदेश के तिरुपति तक एक 'लाल कॉरिडोर' बनाने की भयानक योजना बनाई थी. 2013 में, देश के 126 जिलों में नक्सल-संबंधी हिंसा रिपोर्ट हुई थी, जो अब सिमटकर केवल 18 जिलों तक रह गई है. यह सरकार की नीतियों की बड़ी जीत है.

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