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Manmohan Singh News: भारत को आर्थिक संकट से उबारने के लिए हमेशा याद किए जाएंगे डॉ. मनमोहन सिंह

Manomohan Singh Died: 1991 में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री का पद संभालने वाले डॉ. मनमोहन सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था को गंभीर संकट से उबारना में अहम भूमिका निभाई. उन्होंने आर्थिक उदारीकरण की नीतियों को लागू कर विदेशी निवेश को प्रोत्साहन दिया और भारत को वैश्विक बाजार से जोड़ा.

Manmohan Singh News: भारत को आर्थिक संकट से उबारने के लिए हमेशा याद किए जाएंगे डॉ. मनमोहन सिंह

Former Prime Minister Manmohan Singh: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) ने गुरुवार यानी 26 दिसंबर की रात साढ़े 10 बजे के करीब  दिल्ली के एम्स (AIIMs Delhi) में अंतिम सांस ली. वो 2004 से 2014 तक देश के प्रधान मंत्री रहे. उनके प्रधानमंत्री रहते हुए देश में RTI, RTE, MANREGA, खाद्य सुरक्षा कानून (Food Security Act) जैसे महत्वपूर्ण कानून बनाए गए, जिसने समाज के निचले तबके की जिंदगी में आमूलचूल बदलाव लाने के साथ ही देश में लोकतंत्र को भी मजबूती प्रदान की. वह पेशे से एक अर्थशास्त्री थे, लिहाजा, इसका भी देश की आर्थिक में अहम योगदान रहा. यही वजह है कि 2008 की मंदी के वक्त जब पूरा विश्व आर्थिक संकट से जूझ रहा था, तब भारत तेजी विकास कर रहा था. हालांकि, उन्होंने देश को आर्थिक संकट  से निकालने के लिए सबसे बड़ा योगदान पीवी नरसिम्हा की सरकार में वित्त मंत्री रहते हुआ दिया.

1991 में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री का पद संभालने वाले डॉ. मनमोहन सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था को गंभीर संकट से उबारना में अहम भूमिका निभाई. उन्होंने आर्थिक उदारीकरण की नीतियों को लागू कर विदेशी निवेश को प्रोत्साहन दिया और भारत को वैश्विक बाजार से जोड़ा. उनकी इन नीतियों ने लाइसेंस राज की समाप्ति की राह प्रशस्त की. इसके साथ ही देश में व्यापार और उद्योगों को नई दिशा दी. इसी वजह से डॉ. सिंह को भारत में आर्थिक सुधारों का जनक माना जाता है.

देश को आर्थिक दिवालियापन से उबारते हुए विकास के पथ पर अग्रसर किया

डॉ. सिंह के 1991 के सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दी. उनकी नीतियों के कारण ही देश में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण हुआ. इसके साथ ही नए उद्योगों का भी विकास हुआ, जिससे बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन के साथ ही आर्थिक विकास को गति मिली. इसके अलावा, व्यापार और उद्यमिता को देश में बढ़ावा मिला. मध्यम वर्ग की आय में वृद्धि हुई, जिससे उपभोक्तावाद को प्रोत्साहन मिला. उनके सुधारों के दौरान 1992 में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की स्थापना भी हुई. उन्होंने भारत को आर्थिक दिवालियापन से उबारते हुए इसे विकास के पथ पर अग्रसर किया. दरअसल, उस समय भारत गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था. वित्तीय घाटा और भुगतान संतुलन में बढ़ते संकट के कारण विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ कुछ सप्ताह के आयात के लिए पर्याप्त था. ऐसी स्थिति में, डॉ. सिंह ने साहसिक कदम उठाए और पहली बार अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की मदद ली. इसके साथ ही, स्वर्ण भंडार गिरवी रखकर आवश्यक वित्त जुटाया गया.

प्रधानमंत्री के रूप में उनके नेतृत्व में हुए ये महत्वपूर्ण काम

इसके बाद एक बार फिर 2004 में कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए सरकार बनी और डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने. उनके पहले कार्यकाल की प्रमुख उपलब्धियों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA),राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, वन अधिकार अधिनियम, जो पारंपरिक वनवासियों के अधिकारों की रक्षा करता है. इसके अलावा, उन्होंने आधार कार्ड की शुरुआत की और देश को आतंकवाद की विभीषिका से बचाने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) का गठन किया. हालांकि, उनका दूसरा कार्यकाल भ्रष्टाचार और घोटालों के आरोपों से घिरा रहा, जिससे उनकी लोकप्रियता पर नकारात्मक भी प्रभाव पड़ा.

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शिक्षाविद और प्रशासनिक जीवन

भारत के विभाजन के वक्त भारत आए डॉ. मनमोहन सिंह एक उत्कृष्ट विद्वान थे. पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई के बाद, उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डी.फिल की उपाधि प्राप्त की. अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के व्याख्याता और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रोफेसर के रूप में सेवाएं दी.  इसके बाद, उन्हें विदेश व्यापार मंत्रालय में सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया. 1972 में वे वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बने. 1982-1985 तक उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में कार्य किया.  इसके अलावा, वे योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में भी सक्रिय रहे. 

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