
J&K Vande Bharat Chenab and Anji Bridge: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के रियासी जिले में अंजी ब्रिज (Anji Bridge) और चिनाब नदी पर बने दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे आर्च चिनाब ब्रिज (Chenab Bridge) का उद्घाटन किया. इस खास मौके पर उनके साथ जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी मौजूद रहे. पीएम मोदी ने कटरा-श्रीनगर वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन (Katra - Srinagar Vande Bharat Express) को भी हरी झंडी दिखाई. इन सबके बीच उधमपुर–श्रीनगर–बारामूला रेल लिंक परियोजना सबसे ज्यादा चर्चा में रही. इस प्रोजेक्ट के बारे में कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक संतोष कुमार झा ने बताया कि उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) परियोजना स्वतंत्रता के बाद की सबसे चुनौतीपूर्ण परियोजनाओं में से एक रही है. यह परियोजना इस लिहाज से भी आवश्यक है कि जम्मू-कश्मीर को भारतीय रेल नेटवर्क से जोड़ने के लिए एक वैकल्पिक और विश्वसनीय परिवहन प्रणाली है.

चिनाब ब्रिज प्रोजेक्ट के एमडी संतोष कुमार झा
कोंकण रेलवे का खास योगदान
संतोष कुमार झा ने बताया कि परियोजना का एक भाग, कटड़ा से धरम खंड कुल 52.20 किमी के कार्यान्वयन के लिए कोंकण रेलवे को सौंपा गया था. इसमें कुल 44.59 किमी, यानी 85.5% हिस्सा टनलों में, 4.6 किमी, यानी 8.8% पुलों पर और बाकी 5.7 किमी कटिंग व भराव में है. इसके अलावा, कोंकण रेलवे ने 172 किमी की परियोजना सड़कों का निर्माण किया, जिनमें 404 मीटर लंबी सड़क सुरंग, 138 मीटर लंबा पुल (चिनाब घाटी पर) और कई अस्थायी बैली ब्रिज शामिल हैं.
परियोजना का क्या असर होगा?
- पर्यटन को बढ़ावा : परियोजना के पूर्ण होने से देश के किसी भी हिस्से से पर्यटक आसानी से कश्मीर घाटी पहुंच सकेंगे.
- शिक्षा के अवसर : राज्य के छात्रों को देशभर में बेहतर शैक्षणिक संस्थानों तक आसान पहुंच मिलेगी.
- हर मौसम में संपर्क : यह रेलवे संपर्क जम्मू-कश्मीर को पूरे वर्ष देश के अन्य हिस्सों से जोड़े रखेगा, जिससे दूरस्थ क्षेत्रें का आर्थिक विकास संभव होगा.
- सड़कों द्वारा पहुंच : कार्यस्थलों तक पहुँच के लिए 172 किमी सड़कों का निर्माण किया गया, जिससे कई गांव मुख्यधारा से जुड़ सकेंगे.
खास टनल का निर्माण
इस खंड में कुल 16 मुख्य टनल हैं, जिनकी लंबाई 44.59 किमी है. इसके अतिरिक्त, सुरक्षा सुरंगें, क्रॉस पैसेज और एडिट्स सहित कुल 25.12 किमी की अतिरिक्त सुरंगें बनाई गई हैं. टनल नं. 42 की लंबाई 9.274 किमी है. सुरंगों के निर्माण में ‘न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (एनएटीएम)' और पारंपरिक तरीकों का उपयोग किया गया है.

चिनाब ब्रिज है पूरी दुनिया में सबसे खास
चिनाब ब्रिज - एक नजर में
यह परियोजना चिनाब नदी पर बनी है और यह सलाल जलविद्युत परियोजना के पास स्थित है. इस कारण चिनाब नदी पर एक मेगा पुल के निर्माण की आवश्यकता पड़ी. चिनाब ब्रिज नदी तल से 359 मीटर ऊंचाई पर स्थित है और इसकी मुख्य आर्च की लंबाई 467 मीटर है, जो दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज है. यह प्रतिष्ठित पुल चिनाब नदी के तल से 359 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है, जो पेरिस के प्रसिद्ध एफिल टावर से 35 मीटर अधिक ऊंचा है.
क्यों खास है चिनाब ब्रिज?
चिनाब ब्रिज की कुल लंबाई 1,315 मीटर है, जिसमें कुल 17 स्पैन लगे हैं. इनमें मुख्य आर्च स्पैन की लंबाई 467 मीटर है, जो चिनाब नदी को पार करता है. वायाडक्ट भाग में सीधा और घुमावदार भाग शामिल है. इसका घुमावदार भाग 2.74 डिग्री के तीव्र मोड़ पर है. वायाडक्ट के इस घुमावदार भाग को एंड-ऑन लॉन्चिंग तकनीक से लॉन्चिंग नोज का उपयोग कर स्थापित किया गया. भारत में पहली बार इस तकनीक का उपयोग घुमाव पर सफलतापूर्वक किया गया है, जिसके लिए यूएसबीआरएल टीम विशेष प्रशंसा की पात्र है. इस वायाडक्ट के सुपर स्ट्रक्चर की फैब्रिकेशन का कार्य साइट पर एक तकनीकी रूप से उन्नत और अत्यधिक कुशल वर्कशॉप की स्थापना कर किया गया.

मुख्य आर्च का निर्माण दोनों सिरों से केबल क्रेन की सहायता से किया गया. यह आर्च दो भागों में है- एक अपस्ट्रीम और दूसरा डाउनस्ट्रीम, जिन्हें विंड ब्रेसिंग्स द्वारा जोड़ा गया है. यह आर्च परवलयाकार आकार का है और इसका क्राउन नदी तल से 359 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है, जो इसे विश्व का सबसे ऊँचा रेलवे आर्च ब्रिज बनाता है. आर्च की ज्योमेट्री को नियंत्रित करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया है.
चिनाब ब्रिज की प्रमुख विशेषताएं
- दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज, जो नदी तल से 359 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.
- केबल क्रेन असेंबली, जिसमें पैलोन सहित 915 मीटर का स्पैन है, दुनिया में सबसे लंबा है. 127 मीटर ऊंचा पैलोन, कुतुब मीनार से 72 मीटर ऊंचा है.
- दुनिया में पहली बार, इस पुल को ब्लास्ट लोड (विस्फोट भार) के लिए डिजाइन किया गया है, जो डीआरडीओ के साथ परामर्श में तैयार किया गया है.
- डिजाइन में अतिरिक्त संरचनात्मक सुरक्षा रखी गई है.
- यदि कोई एक पियर/ट्रेसल हटाया जाए तब भी पुल स्थिर रहेगा.
- पुल ध्वस्त नहीं होगा और 30 किमी/घंटा की गति से संचालित रह सकता है.
- देश में पहली बार, 2.74 डिग्री के घुमाव पर स्थित पुल के हिस्से में प्लेट गर्डर को एक सिरे से पुश कर लॉन्च किया गया है.
- भारतीय रेल पर पहली बार, पुलों में वेल्डिंग की जांच के लिए फेज्ड एरे अल्ट्रासोनिक टेस्टिंग मशीन का उपयोग किया गया है.
- चिनाब ब्रिज साइट लैब को वेल्डेड एलिमेंट्स की जाँच के लिए नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर लेबोरेटरीज (एएबीएल) द्वारा मान्यता प्राप्त है- यह भारतीय रेल पर पहली बार हुआ है.
- S-40 फाउंडेशन पर 130.855 मीटर ऊँचा स्टील पियर, जो देश का सबसे ऊंचा संरचनात्मक स्टील पियर है.
अंजी ब्रिज - एक नजर में
अंजी खड्ड पुल एक केबल-स्टे ब्रिज है, जो कटड़ा और रियासी सेक्शन को उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना में जोड़ता है. यह भारतीय रेल पर निर्मित पहला केबल-स्टे ब्रिज है. अंजी पुल मुख्य रूप से निम्नलिखत भागों से मिलकर बना है. मुख्य पुल, जिसकी लंबाई 473.25 मीटर है (1×290.00मी. + 1×80.00मी. + 1×75.00मी. + 1×28.25मी.), सहायक वायाडक्ट जिसकी लंबाई 120 मीटर है. सेंट्रल एम्बैंकमेंट, जो मुख्य पुल और सहायक वायाडक्ट के बीच स्थित है, जिसकी लंबाई 64.25 मीटर है. इस पुल की खास विशेषता इसका मुख्य स्पैन (290 मीटर लंबा) और 193 मीटर ऊँचाई वाला पायलन है, जो वेल कैप के ऊपर है.

अंजी ब्रिज भी बहुत है खास
इंटली में हुआ ब्रिज का डिजाइन
इस पुल का डिजाइन इटली की परामर्शदाता कंपनी M/s Italfer द्वारा तैयार किया गया है. पुल में एक इंटीग्रेटेड मॉनिटरिंग सिस्टम लगाया गया है, जिसमें विभिन्न स्थानों पर कई सेंसर लगे हैं, जो वास्तविक समय में संरचनात्मक स्वास्थ्य की निगरानी के लिए आवश्यक महत्त्वपूर्ण आंकड़े रिकॉर्ड करते हैं.
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अंजी ब्रिज को बनाने में आई कई चुनौतियां
भारी सामग्रियों को स्थानांतरित करने के लिए कोंकण रेलवे (केआरसीएल) ने धमकुंड में रामबन-गूल राज्य मार्ग पर चिनाब नदी पर 138 मीटर लंबा एक सड़क पुल बनाया. यह पुल संगलदान, गूल, महौर, अर्नास, कंथन और रियासी जैसे आसपास के गांवों को जोड़ता है. सड़क मार्ग के कार्य की प्रगति बढ़ाने और अतिरिक्त कार्य मोर्चे उपलब्ध कराने के लिए, 260 मीट्रिक टन से अधिक की मशीनरी जैसे: एक्सकेवेटर, ट्विन ड्रिलिंग जम्बो, रोड रोलर, डोजर, डंपर, शॉटक्रिट मशीन, कंक्रीट मिक्सर, जनरेटर आदि को भारतीय वायु सेना के विश्व के सबसे बड़े मालवाहक हेलीकॉप्टर एमआई-26 द्वारा 21 बार उड़ान भरकर स्थानांतरित किया गया. इसके लिए सुरुकोट गांव में एक हेलीपैड का निर्माण केवल हाथ के औजारों से मैन्युअल रूप से किया गया, क्योंकि वहां तक कोई वाहन पहुंच नहीं सकता था.
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