Vande Bharat Train Cost: भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने अपनी सेमी हाई स्पीड ट्रेन सेवा के तहत वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को चलाना शुरू किया. इसे पहले के शताब्दी ट्रेनों (Shatabdi Trains) के साथ रिप्लेस किया गया. पूरे देश में वंदे भारत एक्सप्रेस (Vande Bharat Express) अधिकतम 6 से 8 घंटे की दूरी वाली रूटों पर फिलहाल चलाई जा रही हैं. इसे रेलवे आगे और लंबे रूटों पर चलाने की योजना बना रही है. लेकिन, इसी बीच रेलवे ने 100 वंदे भारत ट्रेनों की डील कैंसल कर दी है. एल्सटॉम इंडिया (Alstom India) के एमडी ने रेलवे के साथ हुई डील और उसके कैंसिलेशन को लेकर जानकारी दी. रेलवे ने अपने जारी किए 30,000 करोड़ रुपये के टेंडर को वापस लिया गया है.
मौका मिला तो करेंगे मदद-एल्सटॉम इंडिया
रेलवे ने अपने एल्सटॉम इंडिया के साथ किए वंदे भारत ट्रेन सेट के करार को रद्द कर दिया है. रेलवे ने कुल 100 एल्युमिनियम बॉडी वाली वंदे भारत ट्रेनों की मैन्युफैक्चरिंग और मेंटीनेंस की डील कैंसल कर दी है. इसकी जानकारी एल्सटॉम इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर ओलिवियर लोइसन ने दी. मनी कंट्रोल से बात करते हुए उन्होंने कहा कि कंपनी ने देश में काफी निवेश किया है. आने वाले समय में अगर मौका मिला तो इस प्रोजेक्ट में मदद करने के लिए तैयार है. बता दें कि रेलवे ने वंदे भारत को बनाने और उसके मेंटेनेंस के लिए 30,000 करोड़ रुपये का टेंडर निकाला था.
एल्सटॉम ने लगाई सबसे कम बोली
एल्सटॉम इंडिया के एक साथी ने कहा, '100 एल्युमीनियम ईएमयू के लिए एल्सटॉम की पेशकश बहुत प्रतिस्पर्धी थी और वैश्विक स्तर पर उत्पादित समान ट्रेनों के मुकाबले बेंचमार्क की गई यह सबसे कम कीमत थी. 220 किमी प्रति घंटे की डिजाइन गति के साथ, इन अत्याधुनिक एल्युमीनियम ट्रेनों के निर्माण के लिए उत्पाद डिजाइन में पर्याप्त प्रारंभिक निवेश की आवश्यकता होती है, जो भारतीय बाज़ार के लिए इस तरह का पहला उत्पाद है. इसमें ‘आत्मनिर्भर भारत' विज़न के अनुरूप ऐसी ट्रेनों के उत्पादन में भारत को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला और पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण भी शामिल है. सबसे कम बोली लगाने वाले होने के बावजूद, एल्सटॉम ने अपने प्रस्ताव को और बेहतर बनाने के लिए भारतीय रेलवे के अनुरोध पर काम किया.'
इस वजह से कैंसल हुई डील
रेलवे के अधिकारी से जब इस डील को कैंसल करने के पीछे का कारण पूछा गया तो उन्होंने बताया कि ऐसा करने से रेलवे को अच्छी कीमत पर ट्रेन की डिलीवरी पाने के लिए ज्यादा समय मिल जाएगा. इसके अलावा बोली लगाने वाली कंपनियों को भी जरूरी मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटीज तैयार करने के लिए मौका मिलेगा. अधिकारियों की मानें तो टेंडर पैनल को फ्रांस की कंपनी एल्सटॉम की बोली बहुत ज्यादा लगी थी. इसने एक वंदे भारत सेट की बोली 150.9 करोड़ रुपये लगाई थी. लेकिन, रेलवे चाहती है कि ये कीमत 140 करोड़ रुपये से ज्यादा न जाए. बता दें कि एल्सटॉम ने 30 मई 2023 को हुई बोली में 100 वंदे भारत ट्रेन सेट बनाने को लेकर अपनी इच्छा जताई थी.
स्टील की अपेक्षा महंगी है एल्युमिनियम वंदे भारत ट्रेन
फांस की एल्सटॉम कंपनी वंदे भारत की बॉडी को एल्युमिनियम से बनाना चाहती थी. इसको लेकर कंपनी के सीईओ ने एक इंटरव्यू में जानकारी दी थी. रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि इस डील से पहले 200 स्टेनलेस स्टील बॉडी वाली वंदे भारत स्लीपर ट्रेन सेट बनाने का कॉन्ट्रैक्ट 120 करोड़ रुपये प्रति ट्रेन के हिसाब से दिया गया था.
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क्यों बेहतर है एल्युमिनियम से बनी ट्रेन
स्टेनलेस स्टील और एल्युमिनियम से बनी ट्रेन में बहुत तरह के अंतर होते हैं. सबसे पहले तो एल्युमिनियम वाली स्टील के मुकाबले वजन में हल्कि होती है. इस वजह से वह जल्दी स्पीड पकड़ने में मदद करती है. इसके अलावा, पावर एफिशियंसी के अनुसार भी एल्युमिनियम बेहतर होता है. अगर स्लिपर वंदे भारत की बात करें, तो 2025 के पहले तीमाही में इसे रेलवे शूरू कर देगी. सबसे पहले इसे देश के अधिक व्यस्त रूटों पर चलाया जाएगा और बाद में इसका विस्तार देश के हर कोने तक कर दिया जाएगा.
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मेंटेनेंस के लिए इतने हजार करोड़ देगी सरकार
रेलवे के एक अधिकारी ने टेंडर से जुड़ी जानकारी देते हुए कहा कि इसमें शामिल होने के लिए कंपनियों के पास रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D) की सुविधा जरूर होनी चाहिए. इसके अलावा, उनके पास हर साल कम से कम पांच ट्रेन सेट बनाने की क्षमता भी होनी चाहिए. कुल मिलाकर सात साल में 100 ट्रेन सेट डिलीवर करने होंगे. कॉन्ट्रैक्ट की शर्त के अनुसार, जीतने वाली कंपनी को ट्रेन सेट देने पर 13,000 करोड़ रुपये मिलेंगे और बाकी 17,000 करोड़ रुपये 35 साल तक मेंटेनेंस के लिए दिए जाएंगे.
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