ग्वालियर : गंभीर मरीजों को रेफर न करें प्राइवेट अस्पताल, मेडिकल कॉलेज के डीन ने लिखा अजीबोगरीब पत्र

ग्वालियर के गजराराजा मेडिकल कॉलेज ने एक अलग तरह का और अजीबोगरीब फरमान जारी किया है. डॉक्टरों ने सीएमएचओ से कहा है कि वे इस बात की व्यवस्था करें कि गंभीर मरीज मेडिकल कॉलेज रेफर न किए जाएं क्योंकि यहां मरणासन्न मरीज भेजे जा रहे हैं.

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ग्वालियर : गंभीर मरीजों को रेफर न करें प्राइवेट अस्पताल, मेडिकल कॉलेज के डीन ने लिखा अजीबोगरीब पत्र
मेडिकल कॉलेज के डीन ने सीएमएचओ को लिखा अजीबोगरीब पत्र

ग्वालियर : जब कोई व्यक्ति बीमार होता है तो वह सबसे पहले पास के डॉक्टर को दिखाता है. अगर वहां से राहत नहीं मिलती तो किसी नर्सिंग होम या जिला अस्पताल में जाता है. जब वहां इलाज करने वाले डॉक्टरों को लगता है कि मरीज की हालत गंभीर है और उसे विशेषज्ञों से इलाज की जरूरत है तो वे उसे मेडिकल कॉलेज रेफर करते हैं. मकसद सिर्फ इतना होता है कि मरीज की जान बचाने की हर संभव कोशिश की जाए. लेकिन ग्वालियर के गजराराजा मेडिकल कॉलेज ने एक अलग तरह का और अजीबोगरीब फरमान जारी किया है. डॉक्टरों ने सीएमएचओ से कहा है कि वे इस बात की व्यवस्था करें कि गंभीर मरीज मेडिकल कॉलेज रेफर न किए जाएं क्योंकि यहां मरणासन्न मरीज भेजे जा रहे हैं. सीएमएचओ कह रहे हैं कि यह अजीबोगरीब बात है कि मरणासन्न मरीजों को रेफर न किया जाए? गंभीर मरीज तो मेडिकल कॉलेज से जुड़े जेएएच भेजे ही जाएंगे.

अब इस विवाद की पूरी कहानी जान लेते हैं. दरअसल ग्वालियर में गजराराजा मेडिकल कॉलेज है जिसके अधीन जेएएच समूह में कई अस्पताल आते हैं. जेएएच में केवल ग्वालियर, चम्बल ही नहीं बल्कि यूपी और राजस्थान तक से मरीज इलाज कराने आते हैं. पिछले दिनों गजराराजा मेडिकल कॉलेज के डीन अक्षय निगम ने ग्वालियर जिले के मुख्य एवं जिला चिकित्सा अधिकारी को एक अजीबोगरीब पत्र लिखा. इसमें उन्होंने लिखा है कि अस्पतालों खासकर निजी अस्पतालों की ओर से बिना किसी सूचना की जयारोग्य अस्पताल समूह के लिए मरीज रेफर कर दिए जाते हैं. उन मरीजों की स्थिति बेहद नाजुक और मरणासन्न होती है. इसलिए निजी अस्पतालों के संचालक अपने मरीज को रेफर करने से पहले सहमति के लिए संबंधित विभाग के डॉक्टरों से पहले संपर्क जरूर करें. मेडिकल कॉलेज के डीन की ओर से लिखे गए इस पत्र को लेकर अब बवाल मच गया है. 

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मरीज के परिजन लगाते हैं गंभीर आरोप

मेडिकल कॉलेज के डीन अक्षय निगम ने स्वीकार किया कि उन्होंने ऐसा पत्र लिखा है. हालांकि वह कहते हैं कि इसके पीछे की भावना समझने की कोशिश नहीं की जा रही है. वह कहते हैं कि कोरोना काल से यह चला आ रहा है कि बिना किसी रेफरेंस और बिना कारण के मरीज सीधे-सीधे भर्ती हो रहे हैं. ऐसे मरीज भर्ती हो रहे हैं जो निजी अस्पतालों में कई दिनों से भर्ती थे और इन मरीजों को निजी अस्पताल गंभीर स्थिति या मरणासन्न हालत में रेफर कर रहे हैं. जब परिजन गंभीर हालत में मरीज को लेकर जयारोग्य अस्पताल आते हैं तो इलाज के दौरान उनकी मौत हो जाती है या वे रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. ऐसे में उन परिजनों को नहीं पता होता है कि उनकी मौत का कारण क्या है और फिर वे गंभीर आरोप लगाते हैं.

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'ऐसे पत्र काफी गंभीर और चिंतनीय'

दूसरी तरफ डीन की ओर से उन्हें लिखे गए पत्र को लेकर सीएमएचओ डॉक्टर आरके राजोरिया ने आपत्ति जताई है. सीएमएचओ कहते हैं, 'हालांकि मुझे अभी पत्र मिला नहीं है लेकिन मीडिया के जरिए जो पता चला है उससे लगता है जिस तरीके से उस पत्र में लिखा है वह व्यावहारिक नहीं है. जिस तरीके से उन्होंने कहा है उसका कार्यान्वयन करना संभव नहीं है. कोई भी आदेश जारी कर प्रतिबंध लगाने से पहले उसके परिणामों पर गौर करना बहुत जरूरी होता है और उसके दुष्परिणामों को भी देखना चाहिए. जब कोई मरीज गंभीर होता है तो उसे रेफर किया जाता है. जिस तरीके से मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की ओर से जो आदेश जारी किए गए हैं वे काफी गंभीर और चिंतनीय हैं. पत्र मिलने पर व्यक्तिगत तौर पर डीन से मिलकर बात करेंगे.'

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