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"विष्णु" ने बुलाया तो नंगे पांव मिलने चले आए जागेश्वर, विलुप्त हो रहे "बिरहोर" को बचाने के लिए करते हैं काम

Birhor janjati Jashpur : जागेश्वर का कहना है अब प्रदेश में इस समुदाय की आबादी महज 3000 के आसपास ही रह गई है. जागेश्वर कहते हैं कि यह जनजाति विलुप्त होती जा रही है. इस विलुप्त हो रही जनजाति को बचाने लिए लगातार काम कर रहे हैं और आगे भी करेंगे.

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Birhor janjati Jashpur : छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh)एक आदिवासी बाहुल्य राज्य है. यहां बस्तर (Bastar) से लेकर सरगुजा (Surguja) तक बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं. इस बार प्रदेश को भी एक आदिवासी मुख्यमंत्री मिला है. CM बनने के बाद वे क्षेत्र के लोगों से मुलाक़ात कर रहे हैं. जशपुर के भीतरघरा गांव के रहने वाले जागेश्वर राम को सीएम विष्णुदेव साय (Vishnu deo sai) ने मिलने बुलाया तो नंगे पांव ही CM से मिलने पहुंच गए. जागेश्वर बिरहोर जनजाति के लिए काम करते हैं. इसके लिए उन्हें साल 2015 साल 2015 में शहीद वीर नारायण सिंह सम्मान से सम्मानित किया गया है. 

इंसानों को देख पहले भाग जाते थे 

विलुप्त हो रही  बिरहोर जनजाति (Birhor Tribe) को बचाने के लिए काम करने वाले जागेश्वर बताते हैं कि इस जनजाति के बच्चे लोगों से घुलते-मिलते नहीं थे बल्कि उन्हें देखकर भाग जाते थे. ज़मीन पर मिले जूतों के निशान को देखकर भी छिप जाते थे. पढ़ाई-लिखाई के लिए स्कूल जाना तो दूर की बात है. लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब इस जनजाति के बच्चे भी स्कूल जाते हैं. लोगों से मिलते हैं. दरअसल जागेश्वर साल 1989 से इस जनजाति के लिए काम कर रहे हैं.

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3000 हजार है आबादी

बिरहोर जनजाति भारत में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड, छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के लैलुंगा, तमनार व धरमजयगढ़, कोरबा जिला के पोंडी, पाली व उपरोड़ा, बिलासपुर जिला के मस्तूरी व कोटा, जशपुर जिला के बगीचा, दुलदुला, पत्थलगांव और कंसाबेल में पाई जाती है. ये भारत की प्रमुख जातियों में से एक है. जागेश्वर का कहना है अब प्रदेश में इस समुदाय की आबादी महज 3000 के आसपास ही रह गई है. जागेश्वर कहते हैं कि यह जनजाति विलुप्त होती जा रही है. इस विलुप्त हो रही जनजाति को बचाने लिए लगातार काम कर रहे हैं और आगे भी करेंगे.

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जानिए इस जनजाति के बारे में 

बिरहोर दो शब्दों से मिलकर बना है बिर और होर. जिसका संबंध जंगल और आदमी से है. बिर का अर्थ है जंगल और होर का अर्थ है झाड़ी काटने वाला आदमी. बिरहोर दो प्रकार के होते हैं, पहला उथलू , ये एक प्रकार के घुमंतू होते हैं जो एक स्थान से दूसरे स्थान घूमकर अपना जीवन यापन करते हैं. इस जनजाति के लोग साधारण जीवन यापन करते हैं.  झोपड़ी घास फूस से बने पहाड़ियों के किनारे जंगलो में होती है. लेकिन अब सरकार इनके लिए भी पक्का मकान बनवा रही है. जनजाति में युवाओं के रहने की जगह गीतिओरा कहलाती है. इस जाति की महिलाए पीतल के व पुरुष लोहे का आभूषण पहनते हैं एवं युवा लोग भगवा व कारिया पहनते हैं. त्यौहारों में भी इनकी रूचि नहीं होती है.

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