
Water Crisis MCB District : एमसीबी जिले के चिरमिरी नगर पालिक निगम अंतर्गत वार्ड क्रमांक 1 'साजा पहाड़' के बाशिंदे आज भी 21वीं सदी में मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. इस वार्ड में न तो पीने का साफ पानी उपलब्ध है, न नियमित बिजली की सुविधा है, और न ही पक्की सड़कें. पानी के लिए यहां की महिलाएं और बुजुर्ग रोजाना दो-दो किलोमीटर की दूरी तय कर नदी किनारे या दूरदराज के बोरवेल तक पानी लेने जाती हैं. यह स्थिति तब और चौंकाती है जब पता चलता है कि यह क्षेत्र प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री और चिरमिरी विधानसभा से विधायक श्याम बिहारी जायसवाल के निर्वाचन क्षेत्र में आता है. स्थानीय महिलाओं ने जब मंत्री से इस समस्या की शिकायत की तो उनका जवाब और भी निराशाजनक था.
महिलाओं की गुहार, मंत्री की टालमटोल
वार्ड नंबर 1 में एक भूमि पूजन व लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान जब मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल पहुंचे, तो स्थानीय महिलाओं ने उन्हें घेर लिया और अपनी पीड़ा बताई. महिलाओं ने कहा हमारे वार्ड में न पानी है, न बिजली है, न सड़क है. मैं छोटे बच्चों को छोड़कर दूर पानी लेने जाती हूं. बरसात में नदी में बाढ़ आ जाती है, सांप-बिच्छू का खतरा रहता है. क्या हम इंसान नहीं हैं.
इस पर मंत्री ने पहले तो सहानुभूति जताई, लेकिन बाद में यह कहकर किनारा कर लिया कि महापौर से बात कीजिए, मैं उन्हें बोल दूंगा.
पानी, बिजली, सड़क सब अधूरे वादे
स्थानीय निवासी राजकुमारी बताती हैं, हमारे यहाँ पानी की इतनी भारी किल्लत है कि बच्चों को छोड़कर कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. मेरी सासू माँ वृद्ध हैं, उन्हें देखूं या पानी लाऊं बरसात में हालत और भी बिगड़ जाते हैं.
मंत्री का जवाब और योजनाओं की झलक
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने बताया कि जब मैं विधायक था, तब इस क्षेत्र में 40 कुएं खुदवाए थे. यहां बोरिंग मशीन नहीं जा पाती क्योंकि बीच में रेलवे ट्रैक है और दूसरी ओर पहाड़ी इलाका है. हमने पहले 3 किलोमीटर सड़क बनवाई है. अब 'जनमन योजना' के तहत 7.5 किलोमीटर सड़क स्वीकृत हो चुकी है, टेंडर हो गया. साथ ही रेलवे ट्रैक के नीचे अंडरग्राउंड ब्रिज के लिए प्रस्ताव भेजा गया. मंत्री ने आगे कहा जल्द ही इस क्षेत्र में अमृत जल मिशन के तहत 184 करोड़ रुपये की लागत से एक बड़ी पानी की टंकी का निर्माण होगा, जिससे हर घर तक नल से पानी पहुंचेगा. साथ ही सरकार की तरफ से बोरिंग कराकर भी पानी पहुंचाया जाएगा.
जमीनी हकीकत कुछ और कहती है
हालांकि, मंत्री ने भले ही योजनाओं का पुलिंदा खोल दिया हो, लेकिन जमीनी सच्चाई इससे कोसों दूर है. जिन महिलाओं को रोज पानी के लिए संघर्ष करना पड़ता है, जिन घरों में आज भी दीपावली बिजली से नहीं, दीयों से मनाई जाती है, वहां योजनाओं की घोषणा सिर्फ भाषणों तक सीमित लगती है.
वार्ड नंबर 1 साजा पहाड़ की महिलाओं का दर्द सिर्फ पीने के पानी तक सीमित नहीं है. यह दर्द उस शासन व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करता है, जो चुनावों में वादे करती है, पर वादों को निभाने से कतराती है.
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