Elephant-Human Conflict: छत्तीसगढ़ में हाथी मानव द्वंद लगातार गहरा रहा है,अक्सर छत्तीसगढ़ के अलग अलग जगह से हाथी और इंसानों के संघर्ष की खबरें भी आम है, वन विभाग का दावा है कि हाथी मानव द्वंद को रोकने कई प्रोग्राम चलाये जा रहे हैं,लेकिन सूरजपुर वन मंडल (Surajpur Forest Division) में हाथियों को भगाने के लिए ग्रामीणों को दिया जा रहा प्रशिक्षण सवालों के घेरे में आ गया है. यहां कर्नाटक से बुलाये गए प्रशिक्षक डॉ रूद्र आदित्य ने ग्रामीणों को मिर्ची-मशाल (Mirchi-Mashal Training) से हाथियों को भगाने का प्रशिक्षण दिया है. लेकिन कई जानकार मिर्ची-मशाल के प्रशिक्षण को हाथी मानव द्वंद बढ़ाने वाला बता रहे हैं.वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट ने इसके लिए CM तक को पत्र लिखा है लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ. वन विभाग भी इस मामले में चुप है.
पहले कुछ उदाहरणों से हालात की गंभीरता को समझते हैं. जशपुर के आसित तिग्गा अपने पडोसी अरविंद किसपोट्टा के साथ बीते 26 सितम्बर की सुबह खेत में काम करने गए थे,लेकिन ये कोई नहीं जानता था कि हाथियों से संघर्ष में आसित की लाश घर लौटेगी और अरविन्द अस्पताल में जिंदिगी मौत से लड़ रहे होंगे.हाथियों और मानव बीच द्वंद की खबरें छत्तीसगढ़ में अक्सर ही सामने आती रहती है. ऐसे हालात में हाथियों के साथ मानव द्वंद कम करने के नाम पर वन विभाग हाथी मानव द्वंद बढाने का ही काम कर रहा है. दरअसल बीते दिनों हाथी प्रभावित सूरजपुर वन मंडल में ग्रामीणों को जूट बैग में मिर्च भरकर मशाल बनाने का प्रशिक्षण दिया गया. इस प्रशिक्षण को वन प्राणी सरक्षण से जुड़े एक्टिविस्ट नितिन सिंघवी ने गैर कानूनी बताते हुए हाथी मानव संघर्ष बढ़ाने वाला बताया है.
नितिन के मुताबिक सूरजपुर वन मंडल ने कर्नाटक से एक एक्सपर्ट को बुलाया है. वे ग्रामीणों को ट्रेनिंग दे रहे हैं.जिसमें जूट बैग में मिर्ची रख दी जाती है और मशाल में भरकर उसे जलाकर हाथियों को खदेड़ा जाता है. नितिन का कहना है कि इससे हाथी परेशान होंगे और उनसे हमारा द्वंद और बढ़ेगा. इससे जनहानि की आशंका और बढ़ेगी. वैसे भी पूरे देश के मुकाबले छत्तीसगढ़ में हाथियों के द्वारा जनहानि के मामले काफी अधिक है. दरअसल वाइल्ड लाइव प्रोटेक्शन ACT में किसी भी वन्य प्राणी को खदेड़ना या उन्हें परेशान करने वाले कृत्य अपराध की श्रेणी में आते है. इसी आधार पर नितिन सिंघवी ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है. नितिन संघवी के मुताबिक इस तरीके की प्रैक्टिस को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने भी मना कर रखा है. वाइल्ड लाइफ प्रोटक्शन एक्ट में भी किसी भी वाइल्ड लाइफ को हांका लगाना या भागना एक अपराध है. इसके पीछे बड़ी सजा का प्रावधान है.
हालांकि सरकार का मानना है कि छत्तीसगढ़ में फिलहाल तो हाथियों और इंसानों के बीच द्वंद में कमी आई है. खुद वन मंत्री केदार कश्यप का कहना है कि ऐसी घटनाओं में कमी आई है. उन्होंने कहा है कि आप जिन घटनाओं और ट्रेनिंग का जिक्र कर रहे हैं उसकी जांच कराएंगे और यदि कोई दोषी हो तो कार्रवाई भी करेंगे. दरअसल हकीकत तो ये है कि इंसान हो या वन प्राणी उनके साथ इंसानियत से पेश आयेंगे तो संघर्ष नहीं होगा लेकिन अगर मिर्ची छिड़ककर किसी समस्या का हल ढूंढेगे तो द्वंद ही होगा जिसका परिणाम जान माल के नुकसान से ही चुकाना पड़ेगा.
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