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Surendra Dubey Passed away: पद्मश्री सुरेंद्र दुबे का निधन, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर थी इनकी कविताओं की पहचान

Surendra Dubey Death: पद्मश्री सुरेंद्र दुबे का गुरुवार, 26 जून को निधन हो गया. जानकारी के अनुसार, उनका हार्ट अटैक के कारण निधन हुआ. आइए आपको इनके बारे में थोड़ी जानकारी देते हैं.

Surendra Dubey Passed away: पद्मश्री सुरेंद्र दुबे का निधन, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर थी इनकी कविताओं की पहचान
पद्मश्री सुरेंद्र दुबे का निधन

Padma Shri Surendra Dubey Death: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सुप्रसिद्ध हास्य कवि और पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित सुरेंद्र दुबे (Surendra Dubey) का आज दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. उन्होंने रायपुर के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में अंतिम सांसें लीं, जहां उनका इलाज चल रहा था. उनके निधन की खबर सुनते ही छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है. सुरेंद्र दुबे एक भारतीय व्यंग्यकार, लेखक और पेशे से आयुर्वेदिक चिकित्सक भी थे. वे छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि देश-विदेश में भी अपनी कविताओं से लोगों को हंसाते थे. उनकी पंक्तियों में लोगों को खुशी देने की अद्भुत क्षमता थी. उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान निराशा भरे माहौल को दूर करने के लिए एक विशेष कविता भी लिखी थी.

2010 में मिला था पद्मश्री सम्मान

8 जनवरी 1953 को छत्तीसगढ़ के बेमेतरा में जन्मे सुरेंद्र दुबे ने पांच किताबें लिखी थीं और कई मंचों और टेलीविजन शो में अपनी प्रस्तुति दे चुके थे. भारत सरकार ने 2010 में उन्हें देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया था. इसके अलावा, नॉर्थ अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन द्वारा शिकागो में उन्हें छत्तीसगढ़ रत्न सम्मान से भी नवाजा गया था. सुरेंद्र दुबे अमेरिका में एक दर्जन से अधिक स्थानों पर काव्य पाठ कर चुके थे.

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कोरोना काल में लिखी थी ये खास कविता

कवि सुरेंद्र की रचनाओं की चर्चा और प्रशंसा केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में होती थी. उन्होंने कोरोना के समय एक खास कविता लिखी थी, जो ये थी...  "हम हंसते हैं लोगों को हंसाते हैं इम्यूनिटी बढ़ाते हैं, चलिए एंटीबॉडी बनाते हैं, घिसे-पिटे चुटकलों में भी हंसो, कोरोना के आंकड़ों में मत फंसो, नदी के बाढ़ का धीरे-धीरे पानी घट जाता है, कुत्तों को भौंकने के लिए आदमी नहीं मिल रहे, चोरों को चोरी करने खाली घर नहीं मिल रहे, सुबह-शाम टहलने वाले अब कद्दू की तरह फूल रहे, स्कूल बंद हैं, बच्चे मां-बाप के सिर पर झूल रहे, दूध बादाम मुनक्कका विटामिन सी खाओ, कोरोना का दुखद समाचार मत सुनाओ, अब भी वक्त है तीसरी लहर में संभल जाओ हंसो-हंसाओ और एंटीबॉडी बनाओ."

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