
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के सूरजपुर के स्वास्थ्य विभाग में एक ऐसा घोटाला सामने आया है, जो सिस्टम और अधिकारियों की सांठगांठ की पोल खोलता है. 83 लाख 21 हजार रुपये की सरकारी निविदा (टेंडर) तो रायपुर की वैध फर्म को मिली, लेकिन भुगतान किसी और को कर दिया गया. वो भी एक ऐसी फर्म को जो दस्तावेज़ों की नकल और नाम की नकल के सहारे बनी और लाखों की रकम हड़पकर गायब हो गई.
क्या है पूरा मामला
साल 2021 में सूरजपुर के स्वास्थ्य विभाग ने एक ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना के लिए जैम ऑनलाइन पोर्टल पर टेंडर जारी किया यह टेंडर रायपुर की "यूनिक इंडिया कम्पनी" को मिला था. जिसके प्रोपराइटर जयंत चौधरी हैं. उन्होंने तय समय सीमा में काम पूरा कर दिया. मशीनें सप्लाई कीं, प्लांट लगाया और दस्तावेज भी सौंप दिए. लेकिन जब भुगतान की बारी आई तो जयंत को जवाब मिला भुगतान हो चुका है.
जांच में निकली चौंकाने वाली सच्चाई
जयंत चौधरी ने जब दस्तावेज खंगालना शुरू किया, तो सच्चाई सामने आई. दंतेवाड़ा के आशीष कुमार बोस नामक व्यक्ति ने 'यूनिक इंडिया कम्पनी' नाम से मिलती-जुलती एक दूसरी फर्म खड़ी की थी और उसी नाम से जीएसटी रजिस्ट्रेशन और बिल बनाकर विभाग में जमा कर दिए थे. हैरत की बात ये है कि विभाग ने बिना जांच के उसी फर्म को दो बार में भुगतान कर दिया 50 लाख और 31.85 लाख रुपये, कुल मिलाकर 81.85 लाख रुपये, जो एक्सिस बैंक के खाते में ट्रांसफर किए गए.
और यह हेराफेरी का खेल अकेले नहीं हुआ है, बल्कि इसमें जिला अस्पताल के अफसर भी शामिल हुए. इस फर्जीवाड़े में विभाग के कुछ अधिकारियों की भूमिका भी खुलकर सामने आई है. जिसमें पूर्व सीएमएचओ डॉ. रनसाय सिंह, पूर्व लिपिक जेम्स बेक, सहायक लेखपाल विजय सिन्हा, फार्मासिस्ट ग्रेड-2 सकिरन दास इन सभी पर आरोप है कि इन्होंने कूटरचित दस्तावेज बनवाए, असली फर्म को दरकिनार किया और फर्जी फर्म को भुगतान की राह आसान कर दी.
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FIR दर्ज, पर क्या होगा इंसाफ
जयंत चौधरी ने मामला पुलिस महानिरीक्षक सरगुजा, एसपी सूरजपुर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को सौंपा. जिसके बाद संबंधित धाराओं 419, 420, 467, 468, 471 और 120B के तहत पूर्व CMHO आर एस सिंह, जेम्स बेग, विजय सिन्हा, सकीरन दास समेत यूनिक इंडिया दंतेवाड़ा कंपनी के प्रोपराइटर आशीष बोस पर एफआईआर दर्ज हुई है. मामले की जांच चल रही है, लेकिन जिला अस्पताल के अफसरों और ठगों की मिलीभगत से इतने बड़े घोटाले का पर्दाफाश अगर जयंत जैसे कारोबारी आवाज़ न उठाते, तो क्या ये घोटाला कभी सामने आता? बहरहाल अब यह देखना होगा कि इस बार भी कोई बलि का बकरा बनेगा या असली दोषियों को सजा मिलेगी?
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