
सूरजपुर:

सूरजपुर में केनापारा पर्यटन स्थल पर ठेकेदारों ने ताला लगा दिया और अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए. उन्होंने बताया कि इस पर्यटन स्थल पर फिश प्वाइंट में काम करने के एक साल बाद भी 15 लाख रुपये का भुगतान नहीं किया गया है. कई बार अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर भी काटे, लेकिन किसी ने नहीं सुना. इसीलिए अधिकारियों से नाराज ठेकेदार पर्यटन स्थल पर तालाबंदी कर हड़ताल पर बैठ गए.
1 साल से नहीं हुआ 15 लाख रुपए का भुगतान
एसईसीएल विश्रामपुर के बंद कोयला खदान के जलाशय को कोल प्रबंधन और प्रशासनिक पहल से पांच साल पहले पर्यटन स्थल के रुप में विकसित किया गया. तब से इस स्थल पर राज्यों से पर्यटक पहुंचते हैं. बता दें कि इस पर्यटन स्थल पर सौंदर्यीकरण के लिए कई निर्माण कार्य हुए. मत्स्य पालन से लेकर बोटिंग और फ्लोटिंग रेस्टोरेंट भी तैयार किए गए. वहीं 200 से अधिक महिलाओं और पुरुषों को रोजगार भी दिया गया.
एसईसीएल विश्रामपुर के बंद कोयला खदान के जलाशय को कोल प्रबंधन और प्रशासनिक पहल से पांच साल पहले पर्यटन स्थल के रुप में विकसित किया गया. तब से इस स्थल पर राज्यों से पर्यटक पहुंचते हैं. बता दें कि इस पर्यटन स्थल पर सौंदर्यीकरण के लिए कई निर्माण कार्य हुए. मत्स्य पालन से लेकर बोटिंग और फ्लोटिंग रेस्टोरेंट भी तैयार किए गए. वहीं 200 से अधिक महिलाओं और पुरुषों को रोजगार भी दिया गया.

केनापारा पर्यटन स्थल पर ताला लगा कर हड़ताल पर बैठे ठेकेदार
दफ्तरों के चक्कर काटे, लेकिन किसी ने हमारी नहीं सुनी
कहा गया कि कार्यों को पूरा करने वाले ठेकेदारों को बीते एक साल से 15 लाख रुपए का भुगतान नहीं किया गया. इन ठेकेदारों ने कई बार प्रशासनिक अधिकारियों से गुहार लगाए, लेकिन किसी ने नहीं सुना. वहीं अधिकारियों से आक्रोशित होकर इन ठेकेदारों ने पर्यटन स्थल को तालाबंदी कर अनिश्चितकालीन धरना पर बैठ गए.
कहा गया कि कार्यों को पूरा करने वाले ठेकेदारों को बीते एक साल से 15 लाख रुपए का भुगतान नहीं किया गया. इन ठेकेदारों ने कई बार प्रशासनिक अधिकारियों से गुहार लगाए, लेकिन किसी ने नहीं सुना. वहीं अधिकारियों से आक्रोशित होकर इन ठेकेदारों ने पर्यटन स्थल को तालाबंदी कर अनिश्चितकालीन धरना पर बैठ गए.
मौके पर पहुंच प्रशासनिक अधिकारी समझाने में जुटे
धरने पर बैठे इन ठेकेदारों को अब जनपद सीईओ और पुलिस आधिकारी समझाने में जुटे हैं, लेकिन प्रदर्शनकारी रकम भुगतान करने के लिए लिखित आश्वासन की मांग पर अड़े हैं.
धरने पर बैठे इन ठेकेदारों को अब जनपद सीईओ और पुलिस आधिकारी समझाने में जुटे हैं, लेकिन प्रदर्शनकारी रकम भुगतान करने के लिए लिखित आश्वासन की मांग पर अड़े हैं.