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हे भगवान! ये गौशाला संचालक तो कसाइयों से भी बदतर निकला, 19 गायों ने कैसे तड़प-तड़प कर तोड़ दिया दम

Cow Shelter Home In Gariaband: गौशाला का संचालन 2020 से एक निजी संस्था कर रही थी, जिसका प्रमुख मनोज साहू है. जब कृषि विकास समिति के सदस्यों ने गौशाला का निरीक्षण किया, तो अंदर और बाहर मवेशियों के कंकाल पड़े मिले.

हे भगवान! ये गौशाला संचालक तो कसाइयों से भी बदतर निकला, 19 गायों ने कैसे तड़प-तड़प कर तोड़ दिया दम

Cow Shelter Latest News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के गरियाबंद जिले के कोपरा की एक गौशाला में चारे पानी के अभाव में पिछले 20 दिनों में एक-एक करके 19 गायों की मौत का सनसनीखेज मामला सामने आया. यह गौशाला गोसेवा का केंद्र नहीं, बल्कि मौत की फैक्ट्री बन चुकी थी. दरअसल, यहां दो महीने से चारा-पानी तक नहीं था, चरवाहे बिना वेतन के छोड़कर चले गए थे और भूख से तड़पकर रोज गायें दम तोड़ रही थीं. मामला खुलने पर अधिकारी रातों रात दौड़े, लेकिन तब तक 19 गायों की हड्डियां ही बची थीं.

पैरी नदी में सड़ती लाशें और बदबू का खुलासा

स्थानीय लोगों ने जब वार्ड 12-13 में दुर्गंध की शिकायत की, तो प्रशासन हरकत में आया. जब जांच टीम ने पैरी नदी के किनारे देखा, तो वहां 19 गायों की सड़ी-गली लाशें पड़ी थीं. इन शवों में कीड़े रेंग रहे थे, जिससे साफ होता है कि ये लाशें कई दिनों से यहां फेंकी जा रही थीं.

भूख से टूट गई गायें

अधिकारियों ने जब गौशाला का निरीक्षण किया, तो वहां का नजारा दिल दहला देने वाला था. जैसे ही चारा लाया गया, गायें उस पर टूट पड़ीं. कुछ इतनी कमजोर थीं कि खड़ी भी नहीं हो पा रही थीं. अधिकारियों ने तुरंत चारा-पानी की व्यवस्था की, लेकिन सवाल यह है कि अब तक यह इंतजाम क्यों नहीं था?

चरवाहों को दो महीने से नहीं दिया गया वेतन

जांच में खुलासा हुआ कि गौशाला में काम करने वाले चरवाहों को दो महीने से वेतन नहीं दिया गया था. इसलिए वे काम छोड़कर चले गए और मवेशियों के खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं हुई. पहले मवेशी जंगल में चरने चले जाते थे, लेकिन जब चरवाहे नहीं रहे, तो यह आखिरी सहारा भी खत्म हो गया.

गौशाला के संचालक तलब, एफआईआर की तैयारी

गौशाला का संचालन 2020 से एक निजी संस्था कर रही थी, जिसका प्रमुख मनोज साहू है. जब कृषि विकास समिति के सदस्यों ने गौशाला का निरीक्षण किया, तो अंदर और बाहर मवेशियों के कंकाल पड़े मिले. जब संचालक को बुलाया गया, तो वह गायब हो गया. अब उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी की जा रही है.

रावण गांव में भी गायों की रहस्यमयी मौतें!

इधर, सुहेला के रावण गांव में भी शनिवार को चार बैलों और एक गाय की अचानक मौत हो गई. छह महीने में यह दूसरी बार हुआ है कि मवेशी चलते-चलते गिर पड़े और दम तोड़ दिया. पशु चिकित्सकों ने आशंका जताई कि इन मवेशियों ने कोई जहरीली चीज खा ली होगी, लेकिन सटीक कारण पोस्टमार्टम के बाद ही पता चलेगा.

विधायक बोले, दोषियों पर होगी कार्रवाई

राजिम विधायक रोहित साहू ने इस घटना को ‘गंभीर लापरवाही' करार देने के साथ ही और प्रशासन से दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की. प्रशासन ने फिलहाल गौशाला के संचालन को दूसरी संस्था को सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

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गौशालाओं पर दिखावटी राजनीति या असली गोसेवा?

छत्तीसगढ़ में सरकारें गौशालाओं के लिए करोड़ों रुपये आवंटित करने का दावा करती हैं, लेकिन यह पैसा कहां जाता है? क्या गौशालाओं में गौसेवा के नाम पर सिर्फ राजनीति की जा रही है? कोपरा का यह मामला न सिर्फ प्रशासन की लापरवाही उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि अगर मीडिया और स्थानीय लोग आवाज न उठाए, तो ऐसी मौतें अनदेखी रह जाती हैं.

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