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कोयला-शराब घोटाले में ACB ने दर्ज की FIR: पूर्व मंत्री सहित कई कांग्रेस नेता और अफसरों के नाम शामिल, जानें पूरा मामला

Chhattisgarh Coal-liquor Scam: ACB में ED की FIR में पिछली भूपेश बघेल की सरकार के दो पूर्व मंत्रियों सहित कांग्रेस नेताओं, आईएएस अधिकारियों, व्यापारियों के नाम शामिल हैं.

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कोयला-शराब घोटाले में ACB ने दर्ज की FIR: पूर्व मंत्री सहित कई कांग्रेस नेता और अफसरों के नाम शामिल, जानें पूरा मामला

FIR Registered In Coal-liquor Scam: छत्तीसगढ़ आर्थिक अपराध शाखा (EOW) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की शिकायत पर कथित कोयला लेवी और शराब घोटालों के संबंध में दो एफआईआर दर्ज की है. दरअसल, ईडी इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) की पहलू से जांच कर रही है. बता दें कि इस FIR में कई कांग्रेस नेताओं सहित 70 लोगों के नाम शामिल हैं. जबकि 35 लोगों को कथित कोयला लेवी घोटाले में नामित किया गया है.

इन पर दर्ज हुई FIR

कोयला लेवी घोटाले मामले में दर्ज FIR में 35 आरोपियों में पूर्व मंत्री अमरजीत भगत, कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव, पूर्व विधायक यू.डी. मिंज, गुलाब कमरो, चंद्रदेव प्रसाद राय, शिशुपाल सोरी और बृहस्पत सिंह, IAS अधिकारी समीर बिश्नोई और रानू साहू समेत मुख्यमंत्री कार्यालय में तत्कालीन उप सचिव सौम्या चौरसिया शामिल हैं.


जबकि शराब घोटाले मामले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड, कांग्रेस नेता अनवर ढेबर और अन्य 70 लोगों और कंपनियों को नामित किया गया है.

प्रति टन 25 रुपये की लेवी वसूली

कोयला लेवी से संबंधित FIR में ACB ने दावा किया है कि सूर्यकांत तिवारी घोटाले का मुख्य आरोपी था. वहीं नौकरशाहों, व्यापारियों, राजनेताओं और बिचौलियों की मिलीभगत से राज्य में परिवहन किए गए कोयले पर प्रति टन 25 रुपए की लेवी वसूली गई थी. FIR के मुताबिक, ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच शुरू की और इस दौरान 11 लोगों को गिरफ्तार किया. वहीं अपराध में अर्जित 220 करोड़ रुपये की जब्ती की गई थी.

एफआईआर में कहा गया है कि मनी लॉन्ड्रिंग जांच के दौरान कई और आपराधिक मामलों के खुलासे हुए हैं जो एसीबी और ईओडब्ल्यू, छत्तीसगढ़ के अधिकार क्षेत्र में आते हैं.

जांच में आपराधिक कृत्यों का खुलासा

एफआईआर में कहा गया है कि कोयला लेवी के जरिए जुलाई 2020 और जून 2022 के बीच 540 करोड़ रुपये की उगाही की गई और इस राशि का उपयोग तिवारी और चौरसिया के निर्देशों के अनुसार किया गया था. ईडी के अनुसार, कथित शराब घोटाले की जांच में आपराधिक कृत्यों का खुलासा हुआ. जिसके परिणामस्वरूप सरकारी खजाने को नुकसान हुआ और इसमें शामिल लोगों को अनुचित अवैध लाभ हुआ. इसने अपराध से अर्जित आय लगभग 2,161 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया था.

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पूर्व CM ने बताया राजनीति से प्रेरित 

 पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने राज्य की भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए कहा, 'ये कदम राजनीति से प्रेरित है. पिछले तीन सालों से ईडी और आयकर विभाग मामलों की जांच कर रहे थे और अब उन्होंने एसीबी को अपराध दर्ज करने की सिफारिश की है. 

बघेल ने आगे कहा कि पहले हमारी पार्टी के नेताओं के नाम जांच में सामने नहीं आए थे, लेकिन अब उनके नाम (ईओडब्ल्यू/एसीबी की) FIR में दर्ज किए गए हैं. ये लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें बदनाम करने के लिए किया गया है. यू.डी. मिंज का नाम इसलिए लिया गया, क्योंकि उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के खिलाफ चुनाव लड़ा था.

हालांकि पूर्व सीएम के बयान के बाद मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि ईडी एक स्वतंत्र एजेंसी है और वो अपना काम करती रही है. इसका चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है.

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