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CG News:  यहां सावन के चार दिनों में हुई 100 MM बारिश, ऐसे में धान की फसल का रकबा घटाना सही या गलत?

Chhattisgarh Paddy Crop Update: छत्तीसगढ़ के कोरिया बैकुंठपुर में सावन के चार दिनों में 100 एमएम बारिश दर्ज की गई. बारिश के बाद धान की फसल को लेकर किसानों की उम्मीदें फिर से जग गई हैं. हालांकि, इस बार जिले में धान का रकबा कम कर दिया गया. ऐसे में क्या लक्ष्य के अनुरूप उत्पादन हो पाएगा या नहीं?

CG News:  यहां सावन के चार दिनों में हुई 100 MM बारिश, ऐसे में धान की फसल का रकबा घटाना सही या गलत?
सावन में चार दिन 100 मिमी तक बारिश, फिर भी लक्ष्य से 40 फीसदी ही धान ले सके किसान .

Chhattisgarh Rainfall: सावन महीने (Sawan Month) में चार दिन अच्छी बारिश (Rain) के बावजूद कोरिया (Korea) जिले में अब तक 40 फीसदी ही धान की फसल ली जा सकी है. बोता किस्म से 82 फीसदी, जबकि रोपा विधि से लगाई जाने वाली धान की खेती करीब 25 फीसदी ही शुरू हो पाई. आषाढ़ महीने में कमजोर मानसून के कारण जिले में धान की खेती पिछड़ गई थी. वहीं, सावन में चार दिनों में जिले के विभिन्न हिस्सों में 50 से 100 मिमी बारिश के बाद खेतों में पानी भरने के बाद धान की फसल के लिए उम्मीदें बढ़ गई हैं.

फसल का रकबा कृषि विभाग ने घटाया

पिछले साल की तुलना में इस बार धान व मक्के की फसल का रकबा कृषि विभाग ने घटाया है. जिले में इस बार मक्के की खेती करने वाले किसानों की संख्या में भी कमी देखी जा रही है. वहीं, कोदो और रागी की फसल भी आधी हो गई. बता दें, कोरिया में इस साल 33 हजार 840 हेक्टेयर में धान खेती का लक्ष्य है. इसमें बोता किस्म का धान 8 हजार 350 हेक्टेयर में लगाया जाएगा.

अब तक की ये है स्थिति

खेते में धान की रोपाई करते हुए किसान.

खेते में धान की रोपाई करते हुए किसान.

वहीं,  रोपा विधि से 25 हजार 490 हेक्टेयर में धान लगाया जाना है. वहीं, 1 हजार 800 हेक्टेयर में मक्का, 1 हजार 500 हेक्टेयर में कोदो, 80 हेक्टेयर में रागी की फसल ली जानी है. इसकी तुलना में जिले में अब तक बोता धान 6 हजार 835 हेक्टेयर में, धान रोपा 6 हजार 292 हेक्टेयर में लगाया गया है. यानी कुल 13 हजार 127 हेक्टेयर में धान की फसल ली गई.

इतने हेक्टेयर में धान की फसल ली गई थी

धान की रोपाई के दौरान का चित्र.

धान की रोपाई के दौरान का चित्र.

वहीं, 1 हजार 831 हेक्टेयर में मक्का, 998 हेक्टेयर में कोदो व 65 हेक्टेयर में रोगी की फसल लगी है. पिछले साल जिले में धान बोता 8 हजार 350 हेक्टेयर में, रोपा किस्म से लगाया जाने वाला धान 25 हजार 630 हेक्टेयर में लगाया गया था. यानी जिले में 33 हजार 980 हेक्टेयर में धान की फसल ली गई थी. वहीं, 2 हजार 330 हेक्टेयर में मक्का, एक हजार 990 हेक्टेयर में कोदो, 190 हेक्टेयर में रागी ली गई थी.

मध्यम वर्षा और गरज-चमक की संभावना

जिले में 1 जून से अब तक 303 मिमी बारिश दर्ज की गई है. इसमें पटना क्षेत्र में सर्वाधिक बारिश हुई है. जहां धान की खेती में तेजी देखी जा रही है. मौसम विभाग के अनुसार एक निम्न दाब का क्षेत्र पश्चिम बंगाल और उससे लगे उत्तर ओडिशा के ऊपर स्थित है. इसके साथ ऊपरी हवा का चक्रीय चक्रवाती परिसंचरण 7.6 किमी ऊंचाई तक विस्तारित है. वहीं, मानसून द्रोणिका माध्य समुद्र तल पर श्रीगंगानगर, सीकर, ग्वालियर, सीधी, निम्न दाब का केंद्र और उसके बाद पूर्व की ओर उत्तर बंगाल की खाड़ी तक 1.5 किमी ऊंचाई तक विस्तृत है, जिसके प्रभाव से अधिकांश स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा व गरज-चमक की संभावना है.

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लक्ष्य के अनुरूप धान खेती पूरी होने को अनुमान

कृषि विभाग के डीडीए राजेश भारती ने कहा कि कम बारिश के कारण खेती पीछे हुई है. हालांकि, लक्ष्य के अनुरूप धान खेती पूरी होने को अनुमान है. बारिश के बाद किसान धान की फसल ले रहे हैं. अन्य फसलों का रकबा पिछले साल की तुलना में घटा है. ऐसा पिछले साल के उत्पादन व सर्वे के आधार पर किया गया.

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