Gaurela-Pendra-Marwahi News : छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में सरकार बदलने के साथ ही गौरेला पेंड्रा मरवाही (Gaurela-Pendra-Marwahi) जिले के एकलव्य विद्यालयों में एक साथ 22 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को निकाल दिया गया है. एक ओर एकलव्य विद्यालय के प्राचार्य एवं सहायक आयुक्त इन दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नौकरी से निकले जाने का कारण सेटअप ना होना बता रहे हैं. वहीं निकाले गए दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों ने इन एकलव्य विद्यालयों के प्राचार्यों पर एक से डेढ़ लाख रुपए लेकर नौकरी देने का आरोप लगाया है. ऐसे में उन्होंने नौकरी से निकाले जाने को लेकर नाराजगी व्यक्त करते हुए गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के आदिवासी विकास के सहायक आयुक्त कार्यालय का घेराव कर दिया.
22 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को निकाले जाने के बाद बीते वर्षों में एकलव्य विद्यालयों में किया गया दैनिक वेतन भोगी भर्ती घोटाला सड़क पर आ गया है. दरअसल आदिवासी विकास विभाग के अंतर्गत जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही में चल रहे एकलव्य आवासीय विद्यालय डोंगरिया एवं लाटा से एक साथ 22 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को निकाले जाने के बाद बुधवार तो इन कर्मचारियों ने सहायक आयुक्त आदिवासी विकास कार्यालय का घेराव कर दिया और खुद को नौकरी पर रखे जाने की मांग की.
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'नौकरी दो या पैसा वापस करो'
निकाले गए दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का कहना था कि उन्हें नौकरी पर रखा जाए या उनसे नियुक्ति के लिए लिया गया पैसा वापस दिया जाए. दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नौकरी से निकाले जाने की वजह उन्हें सिर्फ यही बताई गई कि नए सेटअप में उनसे कार्य नहीं लिया जा सकता. ये सभी कर्मचारी 3 से 7 वर्षों से एकलव्य विद्यालयों में अपनी सेवाएं दे रहे थे जिन्हें विद्यालय प्रशासन ने चौकीदार भृत्य, प्लंबर, सफाई कर्मचारी और रसोईयां जैसे पदों पर रखा था.
'नए सेटअप में नहीं ले सकते काम'
नौकरी से निकाले जाने के बाद सभी कर्मचारियों ने परियोजना प्रशासक कार्यालय पहुंचकर अधिकारियों को अपनी आप बीती बताई लेकिन प्रशासन ने कर्मचारियों की सभी मांगों को एक ही बात में खारिज कर दिया कि नए सेटअप के अनुसार उन्हें कार्य पर नहीं रखा जा सकता. कार्य से निकाले जाने के बाद पीड़ित कर्मचारियों ने एकलव्य आवासीय विद्यालय डोंगरिया के प्राचार्य अनिल वर्मा और एकलव्य विद्यालय लाटा के प्राचार्य पर आरोप लगाया कि जब उन्हें नौकरी में रखा गया तब प्राचार्यों ने उनसे मोटी रकम ली थी.
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जमीन बेचकर दिया था पैसा
कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि उनसे इन प्राचार्ययों ने 80000 से डेढ़ लाख रुपए तक की मोटी रकम वसूली है और उन्हें नौकरी पर रखे जाने और नियमित कर देने के लिए यह पैसा लिया गया था लेकिन अब उन्हें निकाले जाने से उनके सामने जीवन यापन का संकट खड़ा हो गया है. इन कर्मचारियों ने बताया कि उन्होंने खेत बेचकर या ब्याज पर पैसे लेकर इन प्राचार्यों को पैसे दिए थे. हालांकि उन्हें मिलने वाला मानदेय भी काफी कम था पर नौकरी में स्थाई करने के एवज में सभी ने रुपए दिए थे. ग्रामीणों ने ये पैसे जमीन बेचकर, जमीन गिरवी रखकर या किसी से उधार दिए थे. अब नौकरी से निकाले जाने के बाद सभी अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं.