Shardiya Navratri 2023 : आज नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है. देवी के इस स्वरूप में मां के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्द्धचंद्र सुशोभित है, जिसके चलते उनका नाम चंद्रघंटा (Chandraghanta) पड़ा है. ये माता शेर की सवारी करती हैं और उनके हाथों में कमल-कमंडल के साथ-साथ अस्त्र-शस्त्र नजर आते हैं. मां के माथे पर चमकता हुआ अर्द्धचंद्र ही मां की पहचान है. मान्यताओं के अनुसार मां चंद्रघंटा को शांति और कल्याण की देवी माना जाता है और कहा जाता है कि माता रानी (Mata Rani) का पूजन करने पर जातक को आध्यात्मिक शक्ति की अनुभूति होती है. ऐसे में भक्त पूरे मनोभाव से मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना करते हैं.
मां चंद्रघंटा का मंत्र
मां चंद्रघंटा की पूजा के समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए
पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता
प्रसादं तनुते मह्मम् चंद्रघण्टेति विश्रुता
या
ऊं देवी चंद्रघण्टायै नम:
माता चंद्रघंटा की पूजा विधि
शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन स्नानादि से निवृत होकर माता का ध्यान करें और फिर पूजा स्थल पर गंगाजल से छिड़काव करें. इसके बाद माता का ध्यान करते हुए पांच घी के दीपक जलाएं और फिर माता को सफेद कमल या पीले गुलाब के फूल या माला अर्पित करें.
पूजा के लिए मां की चौकी सजाई जाती है और माता के समक्ष दीप जलाकर आरती गाते हैं. मां चंद्रघंटा को तिलक लगाकर भोग चढ़ाया जाता है. भोग में केसर की खीर या दूध से बनी कोई भी मिठाई खिलाना बेहद शुभ होता है. पंचामृत और चीनी-मिश्री का भोग भी माता को लगाया जा सकता है.
मां चंद्रघंटा आरती
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम
पूर्ण कीजो मेरे काम
चंद्र समान तू शीतल दातीचंद्र तेज किरणों में समाती
क्रोध को शांत बनाने वाली
मीठे बोल सिखाने वाली
मन की मालक मन भाती हो
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो
सुंदर भाव को लाने वाली
हर संकट मे बचाने वाली
हर बुधवार जो तुझे ध्याये
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं
शीश झुका कहे मन की बाता
पूर्ण आस करो जगदाता
कांची पुर स्थान तुम्हारा
करनाटिका में मान तुम्हारा
नाम तेरा रटू महारानी
'भक्त' की रक्षा करो भवानी
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